कोरोनावायरस से संबंधित यह नया अध्ययन उन लोगों के लिए भी चेतावनी भरा है जो डायबिटीज की बार्डर लाइन पर हैं या जो अपने खानपान पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। अध्ययन में पाया गया कि जो व्यक्ति पहले से डायबिटीज से ग्रस्त नहीं थे, उनमें भी अगर शर्करा का स्तर ज्यादा है तो वे कोविड-19 में अधिकतम जोखिम ग्रस्त हैं।
इस अध्ययन में कहा गया है कि रक्त शर्करा का स्तर अधिक होने से कोविड-19 मरीजों की मौत होने का खतरा बढ़ सकता है।
इस नये अध्ययन के अनुसार कोविड-19 के जिन मरीजों में मधुमेह के पिछले निदान के बिना रक्त शर्करा का स्तर बढ़ा है, उनकी मौत होने का खतरा अधिक हो सकता है और उनमें संक्रामक बीमारी से अन्य गंभीर जटिलताओं का भी खतरा बढ़ सकता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, पहले के अध्ययनों में बताया गया था कि कोविड-19 रोगियों में मृत्यु दर के बढ़ते खतरे से उच्च रक्त शर्करा जुड़ी हुई है। हालांकि उन्होंने कहा कि अस्पताल में भर्ती के दौरान ‘फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज (एफबीजी) स्तर और कोविड-19 रोगियों के क्लीनिकल निष्कर्षों के बीच सीधा संबंध अच्छी तरह से स्थापित नहीं किया गया है।
‘डायबिटोलॉजिया पत्रिका में प्रकाशित एक नये अध्ययन में शोधकर्ताओं ने चीन के दो अस्पतालों में भर्ती किये जाने पर एफबीजी और पहले से मधुमेह का निदान किए बिना कोविड-19 रोगियों की 28-दिन की मृत्यु दर के बीच के संबंधों की जांच की।
अध्ययन में कहा गया है, ”कोविड-19 के सभी मरीजों की रक्त शर्करा की जांच करने की सिफारिश की जानी चाहिए, भले ही वे पहले से मधुमेह से पीड़ित न हो, क्योंकि कोविड-19 से संक्रमित ज्यादातर मरीजों को ग्लूकोज मेटाबोलिक संबंधी विकार होने की आशंका रहती है।
अध्ययन में कोविड-19 के कुल 605 मरीजों को शामिल किया गया जिनमें से 114 की अस्पताल में मौत हो गई थी।
अध्ययन के अनुसार इसमें 322 पुरुष शामिल थे। वैज्ञानिकों के अनुसार, कोविड-19 रोगी उच्च रक्त शर्करा से पीड़ित हो सकते हैं।
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