एम्स की एक नवीन रिसर्च में पाया गया कि कोविड-19 के सभी मरीज़ों को बुखार नहीं आता।
एक स्टडी में पाया गया कि कोरोनावायरस से संक्रमित केवल 17 प्रतिशत मरीज़ों को ही बुखार आ रहा था। यह स्टडी एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती 144 कोविड-19 मरीज़ों पर की गई थी। इस स्टडी के परिणाम इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित किए गए हैं।
स्टडी में पाया गया,”भारत के आंकड़ों को देखा जाए तो बुखार केवल 17% मरीजों को आया है। जबकि चीन में यह आंकड़ा 44% है। भारत मे 88% मरीज़ों को अस्पताल में भर्ती होने के बाद बुखार आया है।”
शोधार्थियों ने कहा,”बुखार को कोविड-19 का प्रमुख लक्षण के रूप में इतना ज्यादा प्रचारित किया गया है कि बहुत से केस बुखार न होने के कारण मिस हो रहे हैं।”
स्टडी के अनुसार 44.4% लोगों में कोई लक्षण नहीं थे, और जिन मरीजों में लक्षण थे उनमें से 34.7% को खांसी, 17.4% को बुखार और 2% को सांस लेने में तकलीफ हुई है।
मार्च से अप्रैल के बीच हुई एक रिसर्च में यह रोचक जानकारी मिली है कि उम्र, जेंडर और स्मोकिंग हैबिट का कोविड-19 से कोई सम्बन्ध नहीं है। स्मोक करने वाले मरीजों में नॉन स्मोकर्स के मुकाबले कोई गम्भीर अंतर नही पाया गया। हालांकि चैन स्मोकिंग का स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है, जो कोविड-19 से रिकवरी को इफ़ेक्ट कर सकता है।
अधिकतर केसेस में मरीज सपोर्टिव ट्रीटमेंट से ही ठीक हो रहे हैं। लगभग 48.5% एंटीन्हिस्टामिन और विटामिन सी से स्वस्थ हुए हैं। 20.8% पेरासिटामोल से और 18.7% को HCQ दवा दी गयी है। 7.6% मरीज़ों को दोनों HCQ और अज़ीथ्रोमयसिन दवा दी गईं।
इस जानकारी से दो निष्कर्ष निकल कर सामने आते हैं। पहला कि कोविड-19 की गम्भीरता सिर्फ एक फैक्टर पर आधारित होती है और वह है इम्यून सिस्टम। और दूसरा यह कि बुखार कोविड-19 का मुख्य लक्षण नहीं है। इसलिए हर स्थिति में सावधानी ही हमारे बचाव का एकमात्र विकल्प है।