महिलाओं को हर महीने पीरियड्स से संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यहां तक की रोजोनिवृति के बाद भी उन्हें कई समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। इन्हीं में से एक है यूट्रीन फाइब्रॉएड। ये समस्या बेहद आम है और इतनी घातक नहीं है। पर थोड़ी सी लापरवाही या अनदेखी के कारण इसका जोखिम बढ़ सकता है। इसलिए इसके बारे में पूर्ण जानकारी होना बेहद ज़रूरी है।
युट्रीन फाइब्रॉएड यानि गर्भाशय की रसौली…. गर्भाशय में होने वाली एक गांठ है। यह गर्भाशय की दीवारों पर पनपने वाला एक प्रकार का ट्यूमर है। हालांकि ये नॉन कैंसरस और हार्मलेस होती है, लेकिन इसका सही समय पर पता लगाना और इलाज करवाना बेहद ज़रूरी है। साथ ही, यूट्रस फाइब्रॉएड की गंभीरता और उपचार हर महिला के लिए अलग-अलग हो सकता है।
अगर आपको पीरियड्स के अलावा भी ब्लीडिंग हो रही है या पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा फ्लो है तो यह चिंताजनक बात है। साथ ही, अगर आपको असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है तो, ये युट्रीन फाइब्रॉएड का एक लक्षण हो सकता है। हालांकि यह लक्षण पीरियड्स के दौरान काफी आम हैं, लेकिन कोई भी अजीब परिवर्तन दिखने पर चिकित्सीय सलाह ज़रूर लें।
आयु: फाइब्रॉएड प्रजनन के दौरान विकसित हो सकते हैं। खासतौर पर 30 की आयु से लेकर 50 की आयु के बीच। रजनोवृति तक इसके होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। ऐसा माना जाता है कि रजनोवृति के बाद इसकी संभावना कम होती हैं।
तनाव: तनाव बहुत बीमारियों का कारण बनता है जिनमें से एक गर्भाशय रसौली भी है। इसलिए तनाव लेने से बचना चाहिए। ज्यादा परेशान व तनावग्रस्त रहने से इसका खतरा बढ़ सकता है।
हार्मोंस: शरीर में एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की मात्रा अधिक होने पर भी फाइब्रॉएड बन सकते हैं।
विटामिन D की कमी : शरीर में विटामिन-डी की कमी होने पर और आयरन की मात्रा बढ़ने पर महिलाएं यूट्रस फाइब्रॉएड की चपेट में आ सकती हैं।
जेनेटिक: अगर परिवार में किसी महिला को यह समस्या रही है, तो आशंका है कि आगे की पीढ़ी को इसका सामना करना पड़ सकता है। अगर घर में मां को यह समस्या रही है, तो बेटी को होने का खतरा तीन गुना बढ़ सकता है।
मोटापा: अगर किसी महिला का वजन ज्यादा है, तो उसमें फाइब्रॉएड होने की आशंका अन्य महिलाओं के मुकाबले ज्यादा रहती है।
गंभीर स्थिति में इसके लिए सर्जरी करनी पड़ती है। पर ज़्यादातर महिलाएं सर्जरी के लिए नहीं जाना चाहतीं, क्योंकि इसमें कभी-कभी पूरा गर्भाशय ही निकालना पढ़ता है, जिसे हिस्टेरेक्टोमी भी कहते हैं। इसके अलावा बगैर निकाले भी इसका इलाज संभव है, लेकिन ऐसा देखा गया है कि फाइब्रॉएड वापस आ जाते है।
हाल ही में शोधकर्ताओं ने एक ड्रग का आविष्कार किया है, जिससे महिलाएं इससे होने वाली सर्जरी से बच सकती हैं। अभी इस ड्रग की जांच यू एस फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (U.S Food and Drug Administration, FDA) के पास चल रही है। ये ड्रग एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन को साथ मिलाकर बना है। जो एक तरह के फीमेल हॉरमोन होते हैं और जिनके उतार-चढ़ाव से गर्भाशय में फाइब्रॉएड का निर्माण होता है।
इस ड्रग को 770 महिलाओं पर जांचा गया है, जिसमें यह 70% तक कारगर साबित हुई है, लेकिन अभी तक इसे अप्रूवल नहीं मिला है। ये ड्रग सर्जरी की तरह महिलाओं की बोन डेंसिटी को कम नहीं करती है और गर्भाशय को भी सुरक्षित रखती है। जिससे महिलाएं आगे गर्भवती होने के बारे में भी सोच सकती हैं।
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