अगर घर में छोटे बच्चे या बुजुर्ग हैं तो जरूरी हैं टिटनेस शॉट के बारे में जानना
बढ़ती उम्र के चंचल बच्चे और बुजुर्ग दुर्घटनाओं के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं। फिर चाहें वह स्टेशनरी सीजर से लगा हुआ कट हो या पांव में चुभा कोई कांटा या कील। ये छोटी-छोटी दुर्घटनाएं भी टिटनेस (Tetanus) का कारण बन सकती हैं। खासतौर से गर्मी और बरसात के मौसम में इसका सबसे ज्यादा डर रहता है। इसलिए आपके लिए जरूरी है कि आप टिटनेस शॉट (Tetanus shot) के बारे में सब कुछ जानती हों।
अगर बच्चों के शरीर का हिस्सा कहीं से किसी दुर्घटना के कारण कट या फट जाता है तो उसे टिटनेस का टीका लगाया जाता है। लेकिन आपके मन में आज तक यह सवाल तो जरूर आया होगा कि अगर आप इस टीके को बच्चे को नहीं लगवाएंगी तो क्या इससे कोई फर्क पड़ेगा?
इस टीके का क्या महत्त्व होता है और जब बच्चे के साथ ऐसी कोई दुर्घटना हो जाती है, तो कितने समय के अंदर यह टीका लगवा लेना चाहिए। आइए जान लेते हैं इन सारे सवालों के जवाब।
क्या है टिटनेस
मदरहुड अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन नियोनेटालॉजिस्ट डॉ अमित गुप्ता, बताते हैं कि यह सेंट्रल नर्वस सिस्टम के अंदर होने वाली एक गम्भीर बीमारी होती है। जोकि बैक्टीरिया द्वारा होती है। यह संक्रमण नहीं फैलाती है। लेकिन जानलेवा हो सकती है। इससे वैक्सीन के द्वारा बचाव किया जा सकता है।
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बच्चों में टिटनेस का क्या कारण होता है
यह टिटनेस बैक्टीरिया के द्वारा फैलने वाला एक प्रकार का जहर होता है। यह संक्रामक बीमारी नहीं है, बल्कि यह बैक्टीरिया बच्चों की स्किन में किसी प्रकार के घाव के माध्यम से अंदर जाता है।
टिटनेस का बैक्टीरिया मिट्टी या जानवरों में रहता है और गर्मियों एवं बरसात के मौसम में अधिक एक्टिव हो जाता है। यह बच्चों के अम्बिलिकल स्टंप में भी कई बार पाई जाती है। जहां बच्चों को पैदा होने के बाद इसकी वैक्सीन नहीं दी जाती है, वहां उनके अम्बिलिकल स्टंप का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।
किन बच्चों को होता है टिटनेस का ज्यादा रिस्क
यह बीमारी उन देशों में अधिक होती है जहां टिटनेस के टीके उपलब्ध नहीं होते। जहां बच्चों को चोट लगने के और घाव होने के अधिक चांस रहते हैं। विकसित देशों के बच्चे इसके बहुत कम रिस्क में आते हैं।
टिटनेस होने पर बच्चों में क्या लक्षण देखने को मिल सकते हैं?
- एब्डोमिनल और कमर की मसल्स का अकड़ जाना।
- फेशियल मसल्स में कॉन्ट्रेक्शन होना।
- बच्चों की पल्स का तेज हो जाना।
- बुखार होना।
- बहुत अधिक पसीना आना।
- घाव के आसपास की मसल्स में बहुत दर्द होना।
- सूजन हो जाना।
टिटनेस को किस प्रकार ठीक किया जा सकता है?
- सबसे पहले अपने बच्चे के घाव वाली जगह को अच्छे से साफ करवाएं।
- फिर डॉक्टर आपके बच्चे को टिटनेस एंटी टॉक्सिन शॉट देंगे।
- हो सकता है इसके बाद भी डॉक्टर बच्चे को कुछ एंटी बायोटिक्स दें।
अगर टिटनेस का इंजेक्शन न लगवाया जाए तो क्या जोखिम हो सकते हैं?
- उनके वोकल कार्ड में कुछ खराबी हो सकती है।
- कहीं से उनकी हड्डी भी टूट सकती है।
- सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
- ब्लड प्रेशर अधिक हो सकता है।
- फेफड़ों में इंफेक्शन हो सकता है।
- हृदय की धड़कन असामान्य हो सकती है।
अब जानिए बच्चे को टिटनेस से बचाने के उपाय
- आपके बच्चे को पहले 3 शॉट 2, 4 और 6 महीने की उम्र में लगाए जाते हैं।
- चौथा शॉट उसे 12 महीने से 18 महीने तक की उम्र में लगाया जाता है।
- 4 से 6 साल की उम्र के बीच में उसे अगला शॉट दिया जाता है।
- रेगुलर चेक अप के दौरान एक टीडीएपी शॉट भी दिया जाता है।
- प्रेगनेंट महिलाओं को भी एक टिटनेस का शॉट 27 से 36 हफ्ते में लगवा लेना चाहिए। ताकि उनके बच्चे को एक्स्ट्रा सुरक्षा मिल सके।
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आपको कब बच्चे को डॉक्टर के पास ले कर जाना चाहिए?
जब आपके बच्चे के लक्षण कुछ दिनों बाद भी ठीक न हो रहे हों और उसे नए लक्षण देखने को मिल रहे हों।
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कस्टमाइज़ करेंआपको सही समय पर अपने बच्चे को टिटनेस से बचाने वाली वैक्सीन के शॉट जरूर लगवाने चाहिए। जब उसे किसी प्रकार की चोट लगती है तब भी उसे डॉक्टर के पास जरूर लेकर जाएं।