हृदय रोगों से बचना है तो लिपिड प्रोफाइल पर नज़र रखना है ज़रूरी, जानिए कब और कैसे किया जाता है यह टेस्ट

शरीर में वसा और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जांच करने के लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट की मदद ली जाती है। इसे कोलेस्ट्रॉल टेस्ट भी कहा जाता है। इसकी मदद से हृदय रोग और स्ट्रोक के लक्षणों के विकसित होने की जानकारी मिल पाती है।
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शरीर में वसा और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जांच करने के लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट की मदद ली जाती है। इसे कोलेस्ट्रॉल टेस्ट भी कहा जाता है।
ज्योति सोही Published: 26 Sep 2024, 05:20 pm IST
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अनहेल्दी लाइफस्टाइल और अनियमित डाइट हृदय संबधी समस्याओं का खतरा बढ़ा सकती है। इसकी सबसे बड़ी वजह है खराब कोलेस्ट्रॉल (Bad cholesterol) का बढ़ना। खाद्य स्रोतों के ज़रिए शरीर को मिलने वाला कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार का होता है- एक एचडीएल कोलेस्ट्रॉल (HDL cholesterol) जो शरीर को फायदा पहुंचाता है, तो वहीं दूसरा एलडीएल, जो हृदय रोगों का कारण बनने लगता है। लिपिड प्रोफाइल कोलेस्ट्रॉल के लेवल को जांचने का पैमाना है। लिपिड प्रोफाइल टेस्ट के माध्यम से जाना जाता है कि आपके कोलेस्ट्रॉल में फैट की मात्रा कितनी है। यह कैसे किया जाता है (lipid profile test procedure), कब किया (lipid profile time) जाता है और हृदय रोगों से बचाने (Lipid profile test to prevent heart disease) में कैसे मददगार है, आइए जानते हैं विस्तार से।

लिपिड प्रोफाइल किसे कहते हैं (What is lipid profile test)

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार शरीर में वसा और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जांच करने के लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट की मदद ली जाती है। इसे कोलेस्ट्रॉल टेस्ट भी कहा जाता है। इसकी मदद से हृदय रोग और स्ट्रोक के लक्षणों के विकसित होने की जानकारी मिल पाती है। दरअसल, ब्लड में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स जैसे लिपिड का स्तर बढ़ जाने से आर्टरीज़ में प्लाक बिल्डअप होने लगता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन में कमी आने लगती है, जिससे हृदय रोग का जोखिम बढ़ जाता है।

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ब्लड में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स जैसे लिपिड का स्तर बढ़ जाने से आर्टरीज़ में प्लाक बिल्डअप होने लगता है।

लिपिड प्रोफाइल की जांच क्यों है ज़रूरी (Why lipid profile test is important)

इस बारे में डॉ बिलाल थंगल टी एम बताते हैं कि हृदय रोग विश्व स्तर पर मौत का एक मुख्य कारण बनकर उभर रहा है। भारत भी इस गंभीर संकट का सामना कर रहा है। दरअसल, हृदय रोग सभी मौतों का लगभग एक चौथाई हिस्सा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हृदय रोग के कारण सालाना 17.9 मिलियन लोगों की जान जा रही है। युवा वयस्कों में बढ़ रही दिल के दौरे की समस्या के चलते समस्या की प्रारंभिक जांच आवश्यक है। इस चुनौती का सामना करने के लिए अर्ली स्क्रीनिंग आवश्यक है।

प्रारंभिक स्क्रीनिंग की मदद से व्यक्ति लिपिड प्रोफाइल और अन्य प्रिवेंटिव मेजर्स को समझ पाता है। इससे समस्या के शुरुआती चरणों की पूर्ण रूप से पहचान की जा सकती है और इलाज करने में भी मदद मिलती है। इससे दिल के दौरे का जोखिम कम हो सकता है।

किन लोगों को जरूर करवाना चाहिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट (Who should get a lipid profile test done)

अमेरिकन हार्ट इंस्टीटयूट के अनुसार 20 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों को लिपिड प्रोफाइल टेस्ट अवश्य करवाना चाहिए। इसके अलावा हर 4 से 6 साल के भीतर इसे रिपीट करते रहना चाहिए। इससे हृदय रोगों की रोकथाम में मदद मिल जाती है। खासतौर से वे लोग जिनके परिवार में फैमीलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया से कोई न कोई ग्रस्त हो चुका है, उन्हें भी ये टेस्ट अवश्य करवाना चाहिए।

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20 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों को लिपिड प्रोफाइल टेस्ट अवश्य करवाना चाहिए।

कब और कैसे किया जाता है लिपिड प्रोफाइल टेस्ट (lipid profile test procedure)

लिपिड प्रोफ़ाइल टेस्ट 12 घंटे की फास्टिंग के बाद किया जाता है। इसकी मदद से शरीर में कोलेस्ट्रॉल और वसा के स्तर की जानकारी मिल पाती है। सुबह खाली पेट लिपिड प्रोफाइल टेस्ट किया जाता है। हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल से ग्रस्त लोगों को ये टेस्ट करवाने का सुझाव दिया जाता है।

क्या है एक आदर्श लिपिड प्रोफाइल (Ideal lipid profile)

परीक्षण के दौरान कोलेस्ट्रॉल का दायरा 200 मिलीग्राम प्रति डेसीमीटर से कम होना चाहिए। वहीं एचडीएल कोलेस्ट्रॉल की रेंज 60 मिलीग्राम प्रति डेसीमीटर से ज्यादा होनी चाहिए और एलडीएल 100 मिलीग्राम प्रति डेसीमीटर से कम होना आवश्यक है। वहीं ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा 150 मिलीग्राम प्रति डेसीमीटर से कम होना चाहिए।

इन 4 तरीकों से गंभीर हृदय रोगों से बचाने में मददगार साबित होता है लिपिड प्रोफाइल टेस्ट (Benefits of lipid profile test)

1. हृदय रोगों की अर्ली डिटेक्शन

इस टेस्ट की सहायता से स्ट्रोक और हृदय रोग के जोखिम को कम किया जा सकता है। विश्व स्तर पर बड़े रहे हार्ट अटैक के मामलों कह रोकथाम के लिए इस टेस्ट के माध्यम से एचडीएल कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड्स के ऊंचे स्तर की जानकारी मिल जाती है। लिपिड प्रोफाइल टेस्ट के ज़रिए लिपिड के लेवल का पता लगाया जा सकता है। इससे हृदय रोगों से बचा जा सकता है।

2. अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की जानकारी

नियमित रूप से लिपिड प्रोफाइल की मॉनीटरिंग की मदद से हाईपरटेंशन, डायबिटीज़, लिवर व पेनक्रियाज़ से जुड़े रोगों की जानकारी मिल जाती है। ये टेस्ट शरीर में लिपिड, कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को इवेल्यूएट करता है। इससे हृदय रोगों के साथ साथ अन्य रोगों के बारे में जानकारी मिलने से उनका इलाज संभव हो पाता है।

Heart disease ke karan
परिवार में फैमीलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया के मामले होने से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का जोख्मि बना रहता है। चित्र : एडॉबी स्टॉक

3. जेनेटिक डिसऑर्डर का पता लगाया जा सकता है

कई मामलों में अनवांशिक रोग एबनॉर्मल लिपिड प्रोफाइल का कारण बनने लगते है। परिवार में फैमीलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया के मामले होने से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का जोख्मि बना रहता है। इसके अलावा कम उम्र में हृदय संबधी समस्याएं इस ओर इशारा करती है। लिपिड प्रोफाइल की मदद से इसका पता लगाया जा सकता है।

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4. हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाने में मददगार

वे लेग जो ओवरवेट, अल्कोहलिक, डायबिटीज, थायराइड और पीसीओएस का शिकार होते हैं, उन्हें इस टेस्ट की सलाह दी जाती है। इसके अलावा सिडेंटरी लाइफस्टसइल अपनाने वाले लोगों को भी ये टेस्ट अवश्य करवाना चाहिए। इससे जीवनशैली में सुधार आने लगता है और अनहेल्दी लाइफस्टाल में बदलाव लाने में मदद मिलती है।

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लेखक के बारे में

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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