पिछले दिनों बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Laloo prasad yadav) की बेटी रोहिणी आचार्य (Rohini Acharya) सुर्ख़ियों में रहीं। दरअसल, लालू यादव की दोनों किडनी खराब हो चुकी हैं। बेटी रोहिणी अपनी एक किडनी लालू को डोनेट करना चाहती हैं। इसी के साथ लाेगों में इस बात पर चर्चा होने लगी कि इस उम्र में किडनी ट्रांसप्लांट करवाना सेफ है? या इसके बाद क्या चुनौतियां हो सकती हैं? असल में किडनी ट्रांसप्लांट के बारे में जागरुकता बहुत कम है। जबकि एक्सपर्ट इसे डायलिसिस से ज्यादा सुरक्षित मानते हैं। आपकी जिज्ञासा के मद्देनजर हेल्थ शॉट्स के इस लेख में हम उन सभी सवालों का जवाब दे रहे हैं, जिन्हें आपको जानना चाहिए।
शरीर को किडनी ट्रांसप्लांट (kidney transplant) की जरूरत कब पड़ती है।
किडनी डोनेट (Kidney donation) कौन कर सकता है।
अगर किडनी डोनेट की जा रही है, तो किन चीजों का ध्यान रखना पड़ता है।
क्या इसमें कुछ जोखिम भी हो सकते हैं। इन जोखिमों से कैसे बचा जा सकता है।
इन्हीं सभी सवालों के जवाब जानने के लिए हमने बात की रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ के कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट और रीनल ट्रांसप्लांट डॉ. आलोक कुमार पांडे से।
किडनी का काम प्रभावित होना या गुर्दे की विफलता (Renal failures) एक जटिल प्रक्रिया है। जब किडनी का काम करना प्रभावित हो जाता है, तो अक्सर रोगी के पास बहुत कम विकल्प बच पाते हैं। रीजेंसी हेल्थ, लखनऊ के डॉक्टरों के अनुसार डायलिसिस की तुलना में रोगियों में गुर्दा प्रत्यारोपण (kidney transplant) बेहतर जीवनशैली, मृत्यु के कम जोखिम, कम आहार प्रतिबंधों और बहुत कम उपचार लागत से जुड़ा हुआ है।
गुर्दे की विफलता की स्थिति में गुर्दा प्रत्यारोपण (kidney transplant) एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है। यह रोगी के लंबे और स्वस्थ रहने के लिए क्रोनिक किडनी रोग या यहां तक कि अंतिम चरण के गुर्दे की बीमारी के कारण किसी भी छोटी या लंबी अवधि की समस्या का समाधान कर सकता है।
जब गुर्दे अपने कार्यों को ठीक तरह से पूरा नहीं कर पाते हैं, तो अपशिष्ट उत्पाद (waste products), इलेक्ट्रोलाइट्स (Electrolytes) और तरल पदार्थ(Fluid) ब्लड सर्कुलेशन(Blood Circulation) में शामिल होने लगते हैं। डायलिसिस(Dialysis) इस गंदगी को साफ करने में मदद करता है। खराब हो चुकी किडनी की नियमित गतिविधियों और कार्यों के हिस्से को यह कुशलतापूर्वक करने लगता है।
हालांकि डायलिसिस के दौरान कुछ समस्याएं भी आती हैं। इसलिए डॉक्टर हर समस्या से छुटकारा पाने के लिए बेकार हो चुकी किडनी को नए सिरे से बदलने के लिए किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney Transplant) कराने की सलाह देते हैं।
डॉ. आलोक बताते हैं, ” यदि गुर्दा प्रत्यारोपण ((Kidney Transplant) सफल हो जाता है, तो ऐसे लोग डायलिसिस रोगियों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रह सकते हैं। शोध के अनुसार, विश्व स्तर पर क्रोनिक किडनी डिजीज के कारण सालाना अनुमानित 735,000 मौतें हो जाती हैं। भारत में प्रति दस लाख की जनसंख्या पर लगभग 151 से 232 लोगों को गुर्दे की बीमारी के अंतिम चरण में प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ती है।
यहां प्लस पॉइंट यह है कि डोनर (kidney Doner) जिंदा या मृत हो सकता है। चिकित्सा विज्ञान में लगातार प्रगति ने प्रत्यारोपण की चिकित्सा और शल्य चिकित्सा जटिलताओं की शुरुआती चुनौतियों को दूर करने में काफी मदद की है। प्रत्यारोपण केंद्रों पर पहले की तुलना में अधिक ध्यान दिया जा रहा है। यह रोगियों के लिए बेहतर जीवन के लिए एक बढ़िया अवसर लाता है।
“अंग दान(Organ Donation) के प्रति अभी भी हमारे देश में जागरूकता (Awareness) नहीं है। अभी-भी लोग इसे सोशल टैबू मानते हैं। हमारे पारंपरिक रीति-रिवाज लोगों को मृतक के अंगों को दान करने के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हैं। लाइव डोनर के लिए प्रक्रिया सरल है, क्योंकि व्यक्ति की केवल सहमति की आवश्यकता होती है। मृतक के परिवार अक्सर डोनेशन से एक कदम पीछे हट जाते हैं। यदि इसमें बदलाव आ जाए, तो बहुत सारी जिंदगियां बचाने में मदद मिल सकती है।’
गुर्दा प्रत्यारोपण सुचारू रूप से करने के लिए स्वस्थ शरीर आवश्यक है।
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कस्टमाइज़ करेंचाहे ट्रांसप्लांट सर्जरी के लिए प्रतीक्षा का समय हो या उससे बहुत पहले, डोनर और रोगी का स्वस्थ और सक्रिय होना बेहद जरूरी है। ट्रांसप्लांट सफल होने पर रोगी जल्दी रिकवर करता है। वह बिना किसी जटिलता के जल्द ही सामान्य जीवन में वापस आ जाता है।
प्रत्यारोपण से पहले रोगी को समय पर दवाएं, उचित आहार और नियमित व्यायाम, स्मोकिंग और वाइन से दूर रहना चाहिए। इसके अलावा, नियमित जांच-पड़ताल, शारीरिक गतिविधियों में शामिल रहने, आराम करने और प्रकृति के साथ समय व्यतीत करना, ये सभी चीजें करना चाहिए।
क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित लोगों के लिए किडनी ट्रांसप्लांट पसंदीदा विकल्प है। सफल प्रत्यारोपण रोगी के जीवन को पहले की तरह स्वस्थ बना सकता है।
यह किडनी के कारण होने वाली दूसरी समस्याओं से भी बचाव करता है। डायलिसिस की प्रक्रिया में निश्चित अंतराल पर कई सारे घंटे खर्च करने के विपरीत, प्रत्यारोपण स्थायी समाधान है। वर्षों से डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने भी डायलिसिस की बजाय रोगी को प्रत्यारोपण की सलाह देते हैं।
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