सर्वाइकल कैंसर के लिए तैयार हुई स्वदेशी वैक्सीन सर्वावेक, सस्ते में होगी उपलब्ध 

आने वाले समय में स्वदेश में निर्मित सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन सर्वावेक सभी को उपलब्ध होगी। यह काफी कम कीमत 200-400 रुपये में मिलेगी। इससे भारत में दूसरे सबसे अधिक प्रचलित कैंसर से होने वाली हजारों मौतों को रोका जा सकेगा।
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फ्लू वैकसीनेशन के माध्यम से शरीर को आसानी से प्रोटेक्ट किया जाता सकता है। इससे शरीर में संक्रमण फैलने का खतरा आधा हो जाता है। चित्र: शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 3 Sep 2022, 12:30 pm IST
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कुछ महीनों बाद देश में विकसित गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की वैक्सीन सर्वावेक उपलब्ध(Cervical Cancer vaccine Cervavac) हो जाएगी। सरकारी घोषणा के अनुसार, यह अगले कुछ महीनों में लॉन्च किया जाएगा। इसकी कीमत भी कम, यानी 200-400 रुपये होगी। 

सर्वाइकल कैंसर भारत में दूसरा सबसे अधिक प्रचलित कैंसर है। दुनिया में सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों का लगभग एक-चौथाई हिस्सा भारत से ही होता है। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार, हर साल लगभग 1.25 लाख महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का निदान किया जाता है। 

भारत में 75,000 से अधिक लोग इस बीमारी से मर जाते हैं। भारत में 83 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर एचपीवी 16 या 18 वायरस के कारण होते हैं, जबकि विश्व में 70 प्रतिशत महिलाएं इस वायरस से पीड़ित होती हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ आदर सी पूनावाला की अगुआई में क्वाड्रीवैलेंट (चार तरह के वायरस से बचाव करने वाला) ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (क्यूएचपीवी) वैक्सीन निर्मित होगी।

क्या है एचपीवी

एचपीवी यानी ह्यूमन पेपिलोमा वायरस खतरनाक और सबसे तेजी से फैलने वाला वायरस है। अधिकतर मामलों में इस वायरस से होने वाली बीमारी के लक्षण भी मालूम नहीं चलते। इसके कारण यह भी पता नहीं चल पाता है कि किसी में मौजूद यह वायरस उसके पार्टनर को भी संक्रमित कर रहा है। 

ह वायरस सेक्सुअल ऑर्गन और एनस स्किन के एक-दूसरे से संपर्क में आने से फैलता है। बिना सेक्सुअल पेनेट्रेशन के भी यह वायरस दो व्यक्ति के बीच फैल सकता है। 

यौन रूप से सक्रिय 80 फीसदी महिला और पुरुष जीवन में कभी न कभी इस वायरस से संक्रमित होते हैं। अदार सी पूनावाला के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर से बचाव का एकमात्र उपाय ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) का वैक्सीन ही हो सकता है। 

एक अनुमान के मुताबिक, एचपीवी टाइप 16 और 18 (एचपीवी-16 और एचपीवी-18) मिलकर दुनिया भर में सभी आक्रामक सर्वाइकल कैंसर के मामलों में लगभग 70 प्रतिशत का योगदान करते हैं।

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यौन रूप से सक्रिय 80 फीसदी महिला और पुरुष जीवन में कभी न कभी इस वायरस से संक्रमित होते हैं। चित्र: शटरस्टॉक

सिंगल डोज टीके पर भी पर चल रहा ट्रायल

स्वदेशी रूप से विकसित पहला क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमावायरस वैक्सीन (क्यूएचपीवी) कुछ महीनों में लॉन्च हो जाएगा। इस टीके के इस्तेमाल से सर्वाइकल कैंसर के 85 से 90 प्रतिशत मामले को कम किया जा सकेगा। इससे हजारों महिलाओं की जान बच सकेगी। 

शुरुआत में यह टीका दो डोज का आएगा। इसके सिंगल डोज टीके के इस्तेमाल पर भी ट्रायल चल रहा है। इसलिए आने वाले समय में एक ही डोज के स्वदेशी टीके से सर्वाइकल कैंसर से बचाव संभव हो सकता है।

हालांकि अमेरिका में बने सर्वाइकल कैंसर के क्वाड्रिवैलेंट टीके की सिंगल डोज के असर का भारत में क्लीनिकल ट्रायल हो चुका है। इसमें इस विदेशी टीके का सिंगल डोज सर्वाइकल कैंसर के जीनोटाइप-16 व 18 से बचाव में 95.4 प्रतिशत असरदार पाया गया है। इस ट्रायल के बारे में इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल लांसेट में शोध पत्र प्रकाशित हो चुका है।

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सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की साझेदारी से बनेगी सर्वावेक वैक्सीन

“सर्वैक” वैक्सीन जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च एसिसटेंस काउंसिल  (बीआईआरएसी) बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ मिलकर बनाई जा रही है। इसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने अपने साझेदारी कार्यक्रम ‘ग्रैंड चैलेंजेज इंडिया’ के माध्यम से क्वाड्रिवैलेंट वैक्सीन के स्वदेशी विकास के लिए सपोर्ट किया गया।

सर्वाइकल कैंसर के जल्‍द निदान के लिए इंस्‍टेंट टेस्‍ट की योजना है। चित्र : शटरस्‍टॉक
सर्वावेक वैक्सीन सस्ती होने के कारण सर्वसुलभ होगी। चित्र : शटरस्‍टॉक

इससे पहले कैडिला हेल्थकेयर द्वारा अपने देश में ही कोविड -19 के लिए दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन विकसित की गई, जिसे 20 अगस्त, 2021 को इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन प्राप्त हुआ था। यह कोविड -19 के खिलाफ देश की पहली एमआरएनए (mRNA) वैक्सीन और इंट्रानैसल वैक्सीन है।

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स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।...और पढ़ें

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