सेरेब्रल पाल्सी (cerebral palsy) नामक बीमारी ने माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला के बेटे जैन नडेला की 26 साल की उम्र में जान ले ली। उनके निधन की खबर माइक्रोसॉफ्ट द्वारा साझा की गई। जैन नडेला इस बीमारी के साथ पैदा हुए थे और सोमवार की सुबह उन्होंने अपनी अंतिम सांसे ली। दुनिया भर में 1,000 बच्चों में से 1.5 से 4 बच्चों को यह दुर्लभ बीमारी प्रभावित करती है। कई बार बच्चे को यह मस्तिष्क संबंधी विकार मां की कोख में ही हो जाता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप इसके बारे में सब कुछ जानें।
इस बीमारी के बारे में अधिक समझने के लिए हेल्थशॉट्स ने मुंबई सेंट्रल स्थित वॉकहार्ट अस्पताल के सलाहकार न्यूरोलॉजिस्ट डॉ प्रशांत मखीजा से संपर्क किया। आइए इस बीमारी के बारे में विस्तार से समझते हैं।
डॉ प्रशांत मखीजा बताते हैं, “यह मस्तिष्क की क्षति के कारण अंगों को कमजोर करने वाला डिसऑर्डर है। Cerebral Palsy (CP) विकारों के एक समूह को दर्शाता है। इसमें मांसपेशियों की गति और समन्वय प्रभावित होता है। कई मामले ऐसे भी होते हैं, जिसमें दृष्टि, श्रवण और संवेदना पर भी प्रभाव पड़ता है।”
जैन नडेला बचपन से ही इस बीमारी से जूझ रहे थे। सेरेब्रल पाल्सी बचपन में मोटर डिसेबिलिटी का सबसे आम कारण है। CDC यानी ड्रग्स कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार यह दुनिया भर में प्रत्येक 1,000 बच्चों में से कम से कम 1.5 से 4 को प्रभावित करता है।
डॉ प्रशांत मखीजा कहते हैं, इस बीमारी के लक्षण स्थिति के हिसाब से या मस्तिष्क की क्षति के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं। इसके अलावा मरीज में लक्षण इस चीज पर भी निर्भर करते हैं कि मस्तिष्क का कौन सा हिस्सा प्रभावित है। लक्षणों में :
यह एक जन्मना विकार है और कई मामलों में यह किस कारण उत्पन्न होती है, इसका पता नहीं चल पाता। हालांकि सामान्य तौर पर शिशु के मस्तिष्क का असमान विकास, विकासशील मस्तिष्क पर चोट लग जाना, इस गंभीर बीमारी का कारण बन जाता है। दिमाग के जिस हिस्से को नुकसान पहुंचता है, वह उस हिस्से को प्रभावित करती है। जो शरीर की गति और मुद्रा पर से नियंत्रण खोने लगता है।
आमतौर पर यह समस्या जन्म से पहले कोख में ही हो जाती है। हालांकि ऐसा जरूरी नहीं है, क्योंकि कुछ मामलों में यह जीवन के पहले वर्ष में भी देखी गई। इसके सटीक कारणों के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन संभावित कारण कुछ इस प्रकार है :
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ प्रशांत मखीजा के अनुसार, इस समस्या में स्पीच थेरेपी, स्वॉलो थेरेपी, फिजियोथेरेपी, व्यवसायिक चिकित्सा के रूप में काफी हद तक सहायक है। गंभीरता के आधार पर, अंगों की स्पास्टिसिटी को नियंत्रित करने के लिए कुछ हस्तक्षेप किए जा सकते हैं, जैसे – बोटुलिनम टॉक्सिन इंजेक्शन और एंटी-स्पास्टिसिटी दवाएं।
समस्या की शीघ्र पहचान और चिकित्सा की शीघ्र शुरुआत रोग से जुड़ी अक्षमता पर काबू पाने में काफी मदद कर सकती है।
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