हर साल 8 जून को मनाए जाने वाले वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे (World Brain Tumor Day) की वजह ब्रेन ट्यूमर के बारे में जागरूकता फैलाना और इस बीमारी पर शोध को प्रोत्साहित करना था। जर्मन ब्रेन ट्यूमर एसोसिएशन ड्यूश हिरंटुमोरहिल्फ़ ईवी ने इस दिन को मनाने की पेशकश की थी।
इस विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस पर हमने बात की न्यूरोसर्जरी एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के डॉक्टर मुकेश पाण्डेय से और जाना ब्रेन ट्यूमर के लक्षण और उपचार के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य।
डॉक्टर मुकेश ब्रेन ट्यूमर के बारे में बात करते हुए कहते हैं ब्रेन ट्यूमर दरअसल मस्तिष्क में कोशिकाओं (tissues) के अनावश्यक या असामान्य रूप से बढ़ जाने की स्थिति है, जो ट्यूमर या एक गांठ का रूप ले लेती है। इन कोशिकाओं की वृद्धि की तीव्रता के आधार पर, ट्यूमर को दो तरह के कैंसर में बांटा जाता है (गैर-कैंसरयुक्त, धीमी वृद्धि दर वाला, इलाज योग्य) माइल्ड और घातक (कैंसर युक्त, आगे ट्यूमर के आक्रमण और इसके बढ़ने की क्षमता के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
कोशिकाओं के बढ़ने से मस्तिष्क के भीतर दबाव बढ़ता है, जो अगर सही समय पर कंट्रोल न किया जाए, तो जानलेवा भी हो सकता है।
ब्रेन ट्यूमर का पता यदि इसके शुरुआती दौर में ही चल जाए, तो इससे लड़ना और इसका इलाज दोनों आसान हो जाता है।
बार-बार, मतली के साथ तेज़ सिरदर्द , बीमारी की अगली स्टेज में उल्टी भी हो सकती है।
दौरे (फिट्स पड़ना), बोलने में कठिनाई होना
देखने, सुनने, गंध और स्वाद में परेशानी
व्यक्तित्व या व्यवहार परिवर्तन, शरीर के अंगों का काम करना बंद करना
मेमोरी लॉस, सिचुएशन हैंडल करने में कठिनाई होना
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंमांसपेशियों में कमजोरी, चलते समय असंतुलन
ट्यूमर के आकार, स्थान, अवस्था और कोशिकाओं में बढ़ोतरी की दर के आधार पर ये लक्षण भिन्न हो सकते हैं। यदि व्यक्ति ये लक्षण अचानक और लगातार अनुभव करता है, तो उसे डॉक्टर से परामर्श करना बेहद ज़रूरी है और इसमें देर नहीं की जानी चाहिए।
इसके उपचार के लिए पहले निदान की आवश्यकता होती है और इस प्रक्रिया में इन परीक्षणों से गुजरना होता है–
न्यूरोलॉजिकल टेस्ट्स : देखने, सुनने और सूंघने में होने वाली दिक्कतें देखी जाती हैं
इमेजिंग टेस्ट्स: ऐसी परिस्थिति होने पर एमआरआई की मदद से ट्यूमर की उपस्थिति का निर्धारण किया जाता है। इन टेस्ट्स में कई विशेष एमआरआई स्कैन शामिल हैं। कभी-कभी निर्धारण के लिए एमआरआई अध्ययन के दौरान कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी (सीटी), पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी) के अलावा कार्यात्मक एमआरआई, परफ्यूजन एमआरआई स्पेक्ट्रोस्कोपी, एसपीईसीट भी करवाए जाते हैं, जिनका उपयोग ब्रेन ट्यूमर के निदान के लिए किया जा सकता है।
बायोप्सी: असामान्य ऊतक टिशूज़ के नमूने का परीक्षण
निदान के बाद, यदि यह पाया जाता है कि ट्यूमर माइल्ड है, तो कुछ विशेषताओं के आधार पर, न्यूरोसर्जन या तो इसे पूरी तरह से हटा सकते हैं या इसे कुछ नसों को संरक्षित करने और उपचार के लिए छोड़ सकते हैं।
घातक ट्यूमर के मामले में, उपचार के लिए एक कंप्लीट पर्सपेक्टिव की आवश्यकता होती है, जिसमें इन बातों को शामिल किया जा सकता है:
सर्जरी
कीमोथेरेपी के साथ रेडियोथेरेपी
कीमोथेरेपी के बिना रेडियोथेरेपी
रोगी के लिए इलाज करने के सबसे उपयुक्त तरीके के लिए, इन विशेषज्ञों की खास तौर पर मदद ली जाती है:
विकिरण ऑन्कोलॉजिस्ट
चिकित्सा ऑन्कोलॉजिस्ट
रेडियोलॉजिस्ट और
कैंसर खून, हड्डियों, फेफड़ों या यकृत सहित मानव शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। यह असामान्य कोशिकाओं के अनियंत्रित विकास की विशेषता है कि वे शरीर में कहीं भी फैल सकती हैं। डॉक्टर पांडेय इसके लक्षण और कारण पर बात करते हुए कहते हैं कि इस बीमारी में डराने वाली बात यह है कि कई बार इस बीमारी में दिखाई देने वाले लक्षण ट्यूमर के मूल स्थान से संबंधित नहीं होते हैं और न ही इस बीमारी की कोई स्पेसिफिक वजह है।
कभी-कभी घातक कैंसर कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से फैलती हैं और उन ऊतकों और क्षेत्रों पर आक्रमण करती हैं जहां तंत्रिकाएं होती हैं। इससे रोगी में ऐंठन और मरोड़ जैसी दिक्कतें होती हैं। मांसपेशियों में मरोड़ की तरह का कॉन्ट्रैक्शन है, जो अत्यधिक कैफीन के सेवन का परिणाम हो सकता है।
एक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित लेख में ओलियोलुसियो कैंसर की एमडी मोनिका वासरमैन ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क के न्यूरॉन्स में जलन पैदा कर सकता है और झुनझुनी या मरोड़ का कारण बन सकता है। जब ब्रेन स्टेम, ओसीसीपिटल लोब या टेम्पोरल लोब में ट्यूमर विकसित हो जाता है, तो व्यक्ति धुंधली दृष्टि, दोहरी दृष्टि या आंख फड़कने का अनुभव कर सकता है।
डॉक्टर पांडेय इस बारे में बात करते हुए कहते हैं कि ब्रेन के जिस हिस्से पर ट्यूमर बढ़ता है उससे जुड़ी इन्द्रियों पर असर पड़ता है।
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