दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को देख भारतीय कंपनी भारत बायोटेक कोरोना की नेजल वैक्सीन लाने की तैयारियों में जुट गई है। वैक्सीन लगभग तैयार है और इसके दो चरण के ट्रायल पूरे हो चुके हैं। वहीं तीसरे चरण के ट्रायल के लिए कंपनी द्वारा ड्रग्स कंट्रोल जर्नल से अनुमति मांगी गई है। अगर यह पूरा हो जाता है तो कंपनी बहुत जल्दी नाक से दी जाने वाली वैक्सीन ले आएगी। और यह कोरोनावायरस के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक बड़ी मदद साबित होगी।
भारत में भी कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंकाएं तेज हो रही है। ऐसे में सभी की निगाहें भारत बायोटेक की बूस्टर डोज पर टिकी हुई है। खास बात यह है कि कंपनी द्वारा बनाया जा रहा है यह टीका किसी सुई के माध्यम से नहीं लगाया जाएगा। यह वैक्सीन एक नेजल स्प्रे वैक्सीन होगी। जिसे नाक के माध्यम से दिया जाएगा। कंपनी द्वारा इस वैक्सीन को BBV154 का नाम दिया गया है। आज हेल्थशोट्स पर आपको इससे जुडी हर जानकारी मिलने वाली है। इसलिए अंत तक पढ़ते रहें।
BBV154 भारत की पहली नेजल वैक्सीन (Nasal Vaccine) है, जिसे भारतीय कंपनी भारत बायोटेक और सेंट लूसिया की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी मिलकर बना रही हैं। इस वैक्सीन के दो चरण सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं। वैक्सीन को बनाने की शुरुआत इसी साल जनवरी में की गई थी। इसके पहले और दूसरे चरण के ट्रायल में 18 से 60 साल तक के वॉलिंटियर्स को शामिल किया गया था। यह वैक्सीन भारत में बूस्टर डोज की तरह काम करेगी।
नेजल वैक्सीन बिल्कुल नेजल स्प्रे की तरह होती है, इसे लगाने में किसी भी सीरिंज या सुईं का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसलिए इसका नाम इंट्रानेजल वैक्सीन है। इस वैक्सीन को नाक के माध्यम से शरीर तक पहुंचाया जाता है।
जिस प्रकार इंजेक्शन से लगाई जाने वाली वैक्सीन को इंट्रामस्कुलर वैक्सीन कहते हैं, उसी प्रकार नाक से बूंद डालकर दी जाने वाली वैक्सीन को इंट्रानेजल वैक्सीन के नाम से जाना जाता है। जैसे पोलियो ड्रॉप मुंह में डालकर पिलाई जाती थी, यह वैक्सीन तैयार होने के बाद नाक के जरिए दी जाएगी।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार भारत बायोटेक किए बूस्टर डोज पहले फेज के ट्रायल के नतीजों पर खरी उतरी। जितने भी वॉलिंटियर्स ने इसमें भाग लिया था उनमें से किसी पर भी कोई भी साइड इफेक्ट्स देखने को नहीं मिले।
पहले चरण से पहले किए गए क्लिनिकल ट्रायल में भी वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित पाई गई। यानी लैब में चूहों और जानवरों पर यह सफल रही। देखा गया कि जानवरों पर इस डोज से न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी भारी मात्रा में बनी थी। इस नेजल वैक्सीन के डेवलपमेंट में डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (DBT) और बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (BIRAC) भी सपोर्ट कर रहे हैं।
कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक के एमडी कृष्ण एल्ला के अनुसार वैक्सीन की दोनों डोज लेने के 6 महीने बाद बूस्टर डोज लेना सही रहेगा। हालांकि अंतिम फैसला सरकार के हाथ में होना चाहिए। भारत में अभी तक वैक्सीन की बूस्टर डोज देने का अभियान शुरू नहीं हुआ है।
दुनिया भर में कहीं पर भी नेजल वैक्सीन का उपयोग नहीं किया जा रहा है। हालांकि करीब आठ कंपनियां नेजल वैक्सीन बनाने में जुटी हुई हैं, जिसमें भारत बायोटेक इकलौती ऐसी कंपनी है जिसका ट्रायल तीसरे चरण तक पहुंच चुका है।
भारत बायोटेक के अलावा कोविशील्ड बनाने वाली पुणे की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियाऔर कोडाजेनिक्स, UK में ड्रग रेगुलेटर भी नेजल वैक्सीन का ट्रायल कर रहे हैं।
दुनिया में नए वेरिएंट ओमिक्रोन के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। भारत में भी आंकड़ा 200 के पार हो गया है। इसी बीच वैक्सीन निर्माता कंपनी मॉडर्न ने एक नया दावा किया है। बता दे मॉडर्ना की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद डाटा के अनुसार मॉडर्ना की कोविड वैक्सीन का बूस्टर डोज तेजी से फैलने वाले वेरिएंट ओमिक्रोन पर काफी प्रभावी है।
मॉडर्ना ने कहा कि लैब टेस्ट्स से पता चला है कि बूस्टर की आधी खुराक से ओमीक्रोन से लड़ने में सक्षम एंटीबॉडी के स्तर में 37 गुना वृद्धि हो गई। हालांकि, इस दावे की अभी तक वैज्ञानिक समीक्षा नहीं हुई है।
डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।