भारत में कुछ समुदायों में बंदर पूजनीय हैं और लोग कई तरह के सांस्कृतिक-धार्मिक अनुष्ठानों में उन्हें शामिल करते हैं। अगर आप भी बंदरों को फीड करती हैं, तो ये खबर आप ही के लिए है। चीन ऐसा पहला देश है जिसमें मंकी बी वायरस (Monkey B Virus) के कारण होने वाली पहली मृत्यु का केस रिकॉर्ड किया गया है। यह मृत्यु बीजिंग के पशुओं के एक डॉक्टर की हुई है। आपके लिए यह जानना जरूरी है कि मंकी बी वायरस बंदरों की लार के संपर्क में आने से फैल सकता है।
चीन में एक पशु चिकित्सक ने मार्च में दो मरे हुए बंदरों को चेक किया था और उनके द्वारा संक्रमित हो गए। यह डॉक्टर 53 वर्ष के थे और एक नॉन ह्यूमन प्रीमेट्स इंस्टीट्यूशन के लिए काम करते थे।
उन्होंने अप्रैल के महीने में जी मिचलाना और उल्टियों जैसे लक्षण दिखाने शुरू कर दिए और मई में उनकी मृत्यु हो गई। यह कहा जा रहा है कि इस इंफेक्शन का चीन में पहले कोई प्रमाण नहीं था। इस मृत्यु के साथ ही यहां इस वायरस का पहला केस सामने आया है।
यह वायरस सबसे पहले 1932 में देखने को मिला था और यह जीनस मैकाका के मैकाक्स का अल्फ़ाहर्पीसवायरस एनज़ूटिक है। यह पुराने समय के बंदरों से मिलने वाला एक इकलौता ऐसा वायरस है, जिसकी मानवों में गंभीर पैथोजेनिसिटी है।
यह वायरस बंदरों के डायरेक्ट कॉन्टेक्ट में आने से भी फैल सकता है और उनके बालों या अन्य चीजों के संपर्क में आने से भी फैल सकता है। यह वायरस ज्यादातर बंदरों के सलाइवा में देखने को मिलता है। इसके साथ ही यह उनके मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड टिश्यू में भी पाया जाता है।
मनुष्य में यह वायरस तब फैलता है जब कोई संक्रमित बंदर उसे काट लेता है या उसे स्क्रैच कर देता है। अगर उस व्यक्ति को बंदर का संक्रमित टिश्यू या स्किन पर उसका फ्लूइड लग जाता है तो भी वह इस वायरस की चपेट में आ सकता है।
वायरस से संक्रमित होने के महीने भर में ही आपको लक्षण देखने की मिल सकते हैं। इसके लक्षण फ्लू के समान ही होते हैं जैसे बुखार होना, सर्दी लगना, मसल्स में दर्द होना, सिर दर्द होना आदि लक्षण आपको देखने को मिल सकते है।
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आपके शरीर पर छोटे-छोटे दाने या ब्लिस्टर भी हो सकते हैं और यह इस भाग पर होते हैं जो बंदरों के साथ संपर्क में आया है। वायरस के कुछ अन्य लक्षणों में सांस लेने में कमी, जी घबराना, उल्टियां आना, पेट में दर्द होना, हिचकियां आना आदि भी हो सकते हैं।
जैसे-जैसे यह बीमारी आगे बढ़ती जाती है वैसे-वैसे आपके मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड के टिश्यू में इंफ्लेमेशन आती जाती है और यह गम्भीर होने लगता है। इससे आपको घाव वाली जगह में सुन्नपन, खुजली और दर्द जैसे लक्षण देखने को मिलेंगे। इससे आपका ब्रेन डेमेज भी हो सकता है।
आपको सभी बंदरों से इस वायरस के संक्रमण का रिस्क नहीं होता है, बल्कि केवल संक्रमित बंदरों के कारण ही यह वायरस फैलता है। इसका अधिक रिस्क लैब में काम करने वाले कर्मचारियों और वेट डॉक्टर को ही होता है।
अगर आप बंदरों के ज्यादा संपर्क में आते हैं या उनके सेलाइवा आदि के संपर्क में रहते हैं तो आपको भी यह वायरस होने का खतरा हो सकता है।
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इस वायरस का मुख्य कारण बंदर ही होते हैं और अभी तक इसका कोई उपचार या कोई वैक्सीन भी उपलब्ध नहीं है इसलिए खुद को बंदरों के ज्यादा संपर्क में न आने दें।