आमतौर पर बीमारियों के बारे में सोचते ही हमारे दिमाग में डायबिटीज, हार्ट डिजीज जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पहले नंबर पर आती हैं। हर साल फरवरी के अंतिम दिन को रेयर डिजीज डे (Rare Disease Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन दुर्लभ रोगों के प्रति लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए अलग-अलग प्रकार के कैंपेन और प्रोग्राम चलाए जाते हैं।
इस वर्ष 28 फरवरी को रेयर डिजीज डे (Rare Disease Day 2023) के रूप में मनाया जा रहा है। वहीं आजकल सेलेब्रिटी लोगों के बीच दुर्लभ बीमारियों को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए खुद सामने आ रहे हैं। इसलिए आज हम लेकर आये हैं, सेलिब्रिटी द्वारा शेयर की गई कुछ ऐसे ही दुर्लभ बीमारियों के नाम जिसकी जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण है।
5 फरवरी, 2023 को पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की मृत्यु की खबर सामने आई थी। मृत्यु का कारण एमिलॉयडोसिस को बताया गया। एमिलॉयडोसिस एक प्रकार की गंभीर बीमारी है, जिससे लंबे समय तक जुंझने के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया। एनएचएस के अनुसार, एमिलॉयडोसिस दुर्लभ और गंभीर स्वास्थ्य समस्यायों का एक समूह है जो शरीर और सेल्स में एमिलॉयड (असामान्य प्रोटीन) के निर्माण के कारण होता है।
जब शरीर में अमाइलॉइड प्रोटीन का निर्माण होता है, तो सेल्स ओर ऑर्गन के लिए सही से काम करना कठिन हो जाता है। यदि इसका उपचार सही समय पर न करवाया जाए तो ये ऑर्गन फैलियर का कारण बन सकता है। वर्तमान समय में, एमिलॉयडोसिस का कोई उचित इलाज नहीं है, और एमिलॉयड डिपाजिट को हटाना भी बहुत मुश्किल है। परंतु इलाज शुरू करवा कर लोग अन्य असामान्य प्रोटीन को बढ़ने से रोक सकते हैं। इसके इलाज में कीमोथेरेपी शामिल है।
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पॉपुलर इंडियन एक्ट्रेस सामंथा रूथ प्रभु ने दुर्लभ बीमारी मायोसिटिस के साथ अपनी जंग के बारे में खुलकर बातचीत की। यह समस्या शरीर के मांसपेशियों एवं इम्यून सिस्टम को बुरी तरह प्रभावित कर देती है। शरीर में सूजन और मांसपेशियों के डैमेज होने के कारण नियमित गतिविधियां जैसे की कुर्सी से उठना, किसी चीज को हाथ से पकड़ना, सीढ़ियों पर चढ़ना, इत्यादि भी एक मुश्किल टास्क बन जाते हैं।
सामंथा सोशल मीडिया के माध्यम से अपने प्रशंसकों के साथ ठीक होने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी साझा कर रही हैं, और ऐसी स्थिति में पूरी तरह से सकारात्मक रहने का प्रयास कर रही हैं। वहीं अक्सर लोगों को भी इसके लिए मोटिवेट करती नजर आती हैं।
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दिसंबर 2022 में, सिंगर सेलीन डायोन ने बताया कि वे स्टिफ-पर्सन सिंड्रोम की समस्या से पीड़ित थी। ये समस्या दुर्लभ और प्रगतिशील न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक के अनुसार, इस स्थिति में धड़, हाथ और पैर की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं। वहीं समय के साथ, इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति के कूबड़ होने का जोखिम बना रहता है।
कुछ लोगों को यह समस्या इतनी ज्यादा प्रभावित कर देती है, कि वे चलने, हिलने और खड़े होने के लायक भी नहीं होते। उपयुक्त उपचार से इसके लक्षण को नियंत्रित किया जा सकता है। ओरल डायजेपाम, ये एक एंटी एंग्जाइटी और मांसपेशियों को आराम देने वाली दवा है, जो इस समस्या का एक उचित समाधान हो सकती हैं। इस स्थिति में मांसपेशियों की ऐंठन को कम करने वाली दवाएं भी आपकी मदद करेंगी।
हाल ही में, 67 वर्षीय हॉलीवुड स्टार ब्रूस विलिस ने बताया कि वे “फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया” से पीड़ित थें। पिछले साल, उनके वचाघात का इलाज चल रहा था, इस बीमारी में व्यक्ति बोलने की क्षमता खो देता है। वचाघात की समस्या से उभरने के बाद अब विलिस फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया के साथ अपनी आगे की जिंदगी जी रहे हैं।
यह एक असामान्य प्रकार का डिमेंशिया है जो व्यवहार और भाषा से जुड़ी समस्याओं का कारण बनता है। एनएचएस के अनुसार, फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया व्यक्ति के ब्रेन के सामने के हिस्से के साथ-साथ उसके किनारों को भी प्रभावित करती है। दुर्भाग्य से, वैज्ञानिकों को अभी तक फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया का इलाज नहीं मिल पाया है।
पिछले साल, पॉप स्टार जस्टिन बीबर रामसे हंट सिंड्रोम का शिकार हो गए थें। जर्नल ऑफ न्यूरोलॉजी न्यूरोसर्जरी सायकेट्री के अनुसार यह एक प्रकार का पेरीफेरल फेशियल नर्व पाल्सी है, जिसके कारण कान और मुंह में रैशेज देखने को मिलते हैं। इस स्थिति में उल्टी आना, जी मचलना और कम सुनाई देने जैसे लक्षण नजर आते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए आप सामयिक इलेक्ट्रॉनिक उत्तेजना, फेस योगा और काइन्सियोलॉजी टेप जैसी गतिविधियों में भाग ले सकती हैं।
2022 में एक इंटरव्यू में, बॉलीवुड एक्टर वरुण धवन ने बताया कि वे वेस्टिबुलर हाइपोफंक्शन से जुंझ रहे थें। जो एक प्रकार का हेट्रोजेनियस डिसऑर्डर है। जर्नल ऑफ़ न्यूरोलॉजी के अनुसार, इस बीमारी में इंबैलेंस, चक्कर आना और ऑसिलोप्सिया जैसे लक्षणों को सामना करना पड़ता है।
धवन ने इंटरव्यू में बताया कि इस बीमारी की वजह से कई बार वे चलते-चलते बेहोश हो जाते थें। उन्होंने वेस्टिबुलर हाइपोफंक्शन होने की बात को स्वीकार किया, जहां मूल रूप से “आपका संतुलन बिगड़ जाता है।” बाद में उन्होंने स्विमिंग, योगा, साइकोथेरेपी की मदद ली साथ ही लाइफस्टाइल में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव के साथ इस समस्या पर जीत हासिल की।
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