रोज़मर्रा के जीवन में हम कई तरह के अनुभवों से होकर गुज़रते हैं और उनसे बहुत कुछ सीखते हैं। कभी सफलता हाथ लगती हैं, तो कभी असफल हो जाते हैं। कभी ऑफिस में लोगों के खिलखिलाते चेहरे हमारा उत्साह बढ़ाते हैं, तो कभी गुस्सा हमारे अंदर निराशा भर देता है। ये सभी तजुर्बे और एक्सपीरिएंसिस हमें हर रोज़ एक नया पाठ पढ़ाते हैं। डे टू डे लाइफ के तनाव से परेशान होने और झुंझलाने से बेहतर है कि हम उन चीजों पर फोकस करें, जो हमें कुछ नया सिखाती हैं। जटिल परिस्थितियों में भी कुछ नया सीख लेने के इस एटीट्यूड को पॉजीटिव लर्निंग (positive learning) कहा जाता है। आइए जानते हैं इसके अभ्यास (How to practise positive learning) का तरीका।
इस बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हल्दवानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि अगर हमारा लर्निंग एटीट्यूड होगा, तो इससे हमें कुछ नया सीखने का मौका मिलता है। इससे हमारे अंदर कुछ सीखने की ललक बढ़ने लगती है। ये हमारे व्यक्तित्व के विकास में सहायक होता है। साथ ही पॉज़िटिव लर्निंग एक गुड पर्सनेलिटी की ओर इशारा करता है।
बहुत से लोग जीवन में किसी भी समस्या के कारण जल्दी हार मानने लगते हैं। कारण जीवन में अनुभवों की कमी। जब आप किसी ऐसी स्थिति में होते हैं, जहां आपको कोई रास्ता नज़र नहीं आता। अगर फिर भी आपके अंदर ये भावना है कि मैं कर सकती हूं और जीत सकती हूं।
ये एटीट्यूड आपको जीवन में सफल बनाता है। इसी के चलते आप और निष्ठा से काम करने लगते हैं और आगे बढ़ने लगते हैं। ऐसी ही सिचुएशंस आपके अंदर विश्वास जगाने का काम करने लगती है। उसके बाद आपको हर मुश्किल चीज़ भी आसान लगने लगती है।
हम कई बार ऐसी परिस्थिती में फंस जाते हैं, जहां लोग हमें पीछे धकलने की कोशिश करते हैं, मगर हमारा ध्यान लक्ष्य पर टिका होता है। हम हार नहीं मानते हैं और मंज़िल को पा लेते हैं। ऐसा ही व्यवहार फिर हम दूसरों के प्रति निभाने लगते है। हम भी अपने अनुभवों से सीखकर अन्य लोगों को हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने लगते हैं। ताकि वो बिना किसी समस्या के आगे बढ़ सके और अपना मिशन पूरा कर सके। आपके गोल्डन वर्डस किसी की जिंदगी के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
सॉरी, थैंक यू और एक्सक्यूज़ मी। बचपन से यही मेजिकल वर्डस हम सीखते आए है। इन्ही की बदौलत हमें जीवन में कई बार सराहना भी मिली। आगे बढ़ने के लिए दूसरों को पीछे छोड़ना बेहद ज़रूरी हैं। मगर नुकसान पहुंचाकर नहीं। अगर आपकी गलती हैं, तो दूसरे व्यक्ति से माफी ज़रूर मांगे। अगर किसी ने आपकी मदद की है, तो उसे थैंक यू कहना न भूलें। वहीं अगर आपको किसी से कुछ चाहिए, तो बिना मांगे लेने की बजाय एक्सक्यूज़ मी शब्द के प्रयोग से उस चीज को आप प्राप्त कर सकते हैं।
दूसरों की खामियां और कमज़ोरियों को खोजने की जगह अपना कीमती वक्त अपने काम में लगाएं। जो भी खाली वक्त मिले उसमें अपने सभी अधूरे कामों को पूरा कर लें। दिनभर मसरूफ रहने से हमारा माइंड प्रोडक्टिव बनता है और हम कुछ नया सीखते हैं। हम अपने आसपास के लोगों को देखते हैं और उन्हें आब्जर्व करते हैं कि खाली वक्त का वो किस प्रकार से सदुपयोग करते हैं। वहीं चीजें हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।
हर वक्त जीतना हमारे जीवन में सीखने की उम्मीद को खत्म करने लगता है। ऐसे में अगर आप जीवन में फेलियर से गुज़र रहे हैं, तो जान लें कि आप अपने भविष्य को उज्जवल बनाने की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं। फेलियर हमें जीवन में गिरकर संभलना सिखाता है। हम जान पाते हैं कि किन चीजों की हमें जानकारी नहीं है और कौन सी चीजें हमें आगे बढ़ा सकती हैं।
अगर हमें बचपन से कभी हारने की आदत नहीं होती हैं, तो आगे चलकर हम उस पीड़ा को सह नहीं पाते हैं। अगर अचपन से ही हमें गिरकर संभलने की आदत होती हैं, तो हम आसानी से समस्या को सुलझाने के लिए दोबारा खड़े हो जाते हैं।
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