जुलाई को सार्कोमा जागरूकता महीने (sarcoma awareness month 2022) के रूप में मनाया जाता है। सार्कोमा एक तरह का कैंसर है, जो हमारे शरीर के सॉफ्ट टिश्यू, मांसपेशियों, फैटी टिश्यू या हड्डियों में होता है। इस तरह के कैंसर होने के पीछे कई कारण होते हैं। सार्कोमा के उपचार में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसकी पहचान बहुत देर से हाे पाती है। इसलिए आप उन कारणों को समझें जो सार्कोमा (Causes of sarcoma) के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं और उनसे बचने का प्रयास करें।
जीवन के शुरुआती वर्षों में या किसी दूसरी बीमारी के इलाज के लिए रेडिएशन लेने से उम्र बढ़ने पर सार्कोमा होने का खतरा बढ़ सकता है। रेडिएशन ट्रीटमेंट और सार्कोमा का पता चलने के बीच लगभग 10 वर्ष का औसत समय लगता है।
विनाइल क्लोराइड, हेर्बिसाइड और आर्सेनिक जैसे औद्योगिक रसायनों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से भी सार्कोमा होने का खतरा बढ़ जाता है।
जिन व्यक्तियों के परिवार में इस कैंसर का इतिहास रहा हो, उन्हें कम उम्र में सार्कोमा होते देखा गया है। इससे पता चलता है कि इस बीमारी के पीछे आनुवंशिक कारण भी होते हैं।
किसी पुराने इलाज या सर्जरी के कारण लिम्फेटिक डक्ट में चोट लगने से सूजन (लिम्फेडेमा) आ सकती है। अगर यह लंबे समय तक बनी रहे, तो सार्कोमा में बदल सकती है। लिम्फैंजियोसारकोमा (एक असाध्य (कैंसर) ट्यूमर जो लिम्फ वेसल में विकसित होता है) क्रोनिक लिम्फेडेमा की बहुत दुर्लभ बीमारी है।
जिन लोगों को प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ी समस्या होती है, उन्हें कई प्रकार के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। उन्हें ह्यूमन इमुनोडेफिशियेन्सी वायरस (HIV) जैसे संक्रमण, क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया जैसे कैंसर और ल्यूपस या सोरायसिस जैसी ऑटोइम्यून कंडीशन होने का खतरा बढ़ जाता है।
इस बात को समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि अन्य तरह के कैंसर होने से जुड़े आम कारणों का सार्कोमा से कोई जुड़ाव नहीं पाया गया है। इनमें धूम्रपान, भोजन से जुड़ी आदतें, व्यायाम और ट्रॉमा शामिल हैं।
सार्कोमा आमतौर पर सॉफ्ट टिश्यू या हड्डियों में बिना दर्द वाली सूजन के तौर पर होता है। किसी भी तरह के ट्रॉमा से भी इसी तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। इसलिए इसे भी गलती से सार्कोमा का कारण मान लिया जाता है। इस तरह एक-दूसरे से जुड़े लक्षण दिखाई देने पर रोग की सही पहचान के लिए एक्स रे, अल्ट्रासोनोग्राफी और सीटी स्कैन का सहारा लिया जाना चाहिए। नीडल बायोप्सी के ज़रिए रोग की पुष्टि की जानी चाहिए।
जल्दी पता चलने पर ऐसे कैंसर को सर्जरी के ज़रिए पूरी तरह हटाया जा सकता है। ऊपर बताए इन कारणों के बारे में जानना बहुत ज़रूरी है क्योंकि इन कारणों से दूर रहकर हम कैंसर होने से रोक सकते हैं।
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