यौन एवं संक्रामक रोगों के कलंक को दूर करने में ली जा सकती है युवाओं की मदद

सूचना प्रौद्याेगिकी के विस्तार के बावजूद यौन रोगों के बारे में अब भी सामाजिक भेदभाव और टैबू का सामना करना पड़ता है।
Yuva hi AIDS ke social taboo ko mita sakte hain
युवा ही यौन रोगों के सोशल टैबू को मिटा सकते हैं। चित्र: शटरस्टॉक
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जागरुकता और सूचना-प्रौद्योगिकी के विस्तार के बावजूद सेहत के मामले में अब भी हम बहुत पिछड़े हुए हैं। खास तौर से यौन रोगों के संदर्भ में न केवल स्वास्थ्य ढांचा कमजोर है, बल्कि समाज में फैले टैबू ऐसे रोगियों का जीवन और भी दूभर कर देते हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में इस भेदभाव और सामाजिक कलंक को दूर करने में निश्चित ही युवा मदद कर सकते हैं। देश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण प्रवार ने एक डिजिटल संवाद में यह आग्रह किया।

स्वास्थ्य राज्य मंत्री की युवाओं से अपील 

केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने एचआईवी/एड्स, क्षयरोग (टीबी), रक्तदान के बारे में जागरुकता लाने के लिए युवाओं से सहयोग की अपील की है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि युवा ही इन स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में फैले हुए भेदभाव और कलंक को दूर करने में मदद कर सकते हैं।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पवार ने राजधानी में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत एचआईवी/एड्स और टीबी पर जागरुकता अभियानों के दूसरे चरण की शुरुआत की। उन्होंने देशभर के छात्रों से डिजिटल तरीके से संवाद किया और उन्हें राष्ट्रनिर्माण की दिशा में योगदान के लिए प्रोत्साहित किया।

HIV/AIDS ke bare me ab bhi hum social tabboo se ghire huye hai
एचआईवी एड्स के बारे में अब भी हम सामाजिक कलंक के शिकार हैं। चित्र: शटरस्टॉक

अभियान की शुरुआत पर प्रसन्नता जताते हुए उन्होंने कहा, ”न्यू इंडिया-75 (आजादी का अमृत महोत्सव) ने राज्यों को छात्रों, किशोरों, युवाओं तथा अन्य पक्षों को राष्ट्रीय हित में साथ लाने का मंच प्रदान किया है।

पहले चरण के बाद मुझे यह जानकर खुशी है कि हर राज्य में 25 स्कूलों और 25 कॉलेजों में एचआईवी/एड्स, टीबी और रक्तदान को लेकर जागरुकता निर्माण से संबंधित पेटिंग, वाद-विवाद तथा मास्क बनाने जैसी गतिविधियां सप्ताह भर तक चलाई गयीं।”

युवा ला सकते हैं सेहत में आत्मनिर्भरता 

छात्रों से डिजिटल संवाद में उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि हमारे देश को महान बनाने के लिए ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ महत्वपूर्ण है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए आपका योगदान सर्वाधिक मायने रखता है जिसकी सोच हमारे ओजस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने रखी। हमारे प्रधानमंत्री ने सही कहा है कि देशभर के युवा खेल, रोबोटिक्स, मशीन-लर्निंग आदि जैसे अनेक क्षेत्रों में हमारे देश को गौरवान्वित कर रहे हैं।”

सामाजिक विकास के मुद्दों में युवाओं को भागीदारों और नेताओं के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। तभी हम अपने स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त कर पाएंगे। उन्होंने कहा, ”युवाओं को सामुदायिक स्वयंसेवकों के रूप में शामिल करने से एचआईवी/एड्स, तपेदिक, रक्तदान के बारे में जागरुकता पैदा करने और उनके कलंक और भेदभाव को मिटाने में काफी मदद मिलेगी।”

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इस तरह जीवन प्रत्याशा में सुधार किया जा सकता है। चित्र: शटरस्टॉक

जीवन की प्रत्याशा, शिशु मृत्यु दर (आईएमआर), मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) आदि जैसे सभी स्वास्थ्य सूचकांकों में भारत के उल्लेखनीय सुधार पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम और राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों ने भारत के स्वास्थ्य सूचकांकों को सुधारने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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