दिल की सेहत पर हार्ट अटैक जितना कहर ढाता है कोरोनावायरस : शोध

जर्मनी की यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल फ्रैंकफर्ट के शोधकर्ताओं ने कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों के हृदय की संरचना में बदलाव चिन्हित किया, जो लापरवाही करने पर घातक हो सकता है।
शराब आपके दिल की मांसपेशियों को कमजोर बना देती है। चित्र: शटरस्‍टॉक
शराब आपके दिल की मांसपेशियों को कमजोर बना देती है। चित्र: शटरस्‍टॉक
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कोरोना संक्रमण न सिर्फ फेफड़ों, बल्कि हृदय, किडनी और मस्तिष्क तक को नुकसान पहुंचाता है, यह बात तो कई अध्ययनों में साबित हो चुकी है। अब जर्मनी में हुए एक नए शोध से पता चला है कि सार्स-कोव-2 वायरस दिल की सेहत पर ठीक वैसे ही कहर बरपाता है, जैसे कि हार्ट अटैक। यही नहीं, शरीर को इसकी भरपाई करने में काफी लंबा वक्त भी लगता है।

लापरवाही जानलेवा साबित होगी

यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल फ्रैंकफर्ट के शोधकर्ताओं ने कोविड-19 से संक्रमित सौ मरीजों के दिल की सेहत का विश्लेषण किया। इस दौरान तीन-चौथाई से अधिक मरीजों के हृदय की संरचना में बदलाव देखने को मिला।

कोविड-19 से रिकवरी के बारे में यह जानना भी जरूरी है। चित्र: शटरस्‍टॉक

76 फीसदी में उच्च मात्रा में ‘ट्रोपोनीन’ प्रोटीन की मौजूदगी पाई गई, जो हृदय की कोशिकाओं को दिल का दौरा पड़ने जितना नुकसान पहुंचाने के लिए काफी थी। 60 प्रतिशत संक्रमितों के हृदय में सूजन दर्ज की गई।

शोधकर्ताओं ने कहा कि कोरोना से हृदय को पहुंची क्षति हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ाती है या नहीं, फिलहाल यह तो साफ नहीं है, लेकिन इतना जरूर स्पष्ट है कि व्यक्ति का दिल लंबी अवधि के लिए कमजोर हो जाता है। उसकी सेहत पर ध्यान न देना जानलेवा साबित हो सकता है।

लंबे समय तक निगरानी की जरूरत

मुख्य शोधकर्ता डॉक्टर क्लाइड यांसी ने दावा किया कि कोरोना संक्रमण से उबरने वाले मरीज हृदयरोगों के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं। ऐसे में मरीजों के साथ ही डॉक्टरों का भी उनकी दिल की सेहत पर लंबे समय तक नजर रखना जरूरी है।

कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों के हृदय में सूजन हो जाती है। चित्र: शटरस्‍टॉक

यांसी ने हैमबर्ग स्थित यूनिवर्सिटी हार्ट एंड वास्कुलर सेंटर के उस अध्ययन का भी हवाला दिया, जिसमें शोधकर्ताओं ने कोरोना संक्रमण से दम तोड़ने वाले 39 संक्रमितों के हृदय की कोशिकाओं का विश्लेषण किया था। इनमें से 35 मरीजों के मृत्यु प्रमाणपत्र में निमोनिया को मौत की वजह बताया गया था।

हालांकि, आधे से ज्यादा मरीजों के हृदय में सार्स-कोव-2 वायरस के अंश बेहद अधिक मिले। यह इस बात का प्रमाण था कि मरीज की जान जाने तक वायरस उसके हृदय में तेजी से फैल रहा था।

 

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