Side effects of momos : सबसे खतरनाक स्ट्रीट फूड हैं मोमोज, एक्सपर्ट बता रहे हैं स्वास्थ्य के लिए इनके जोखिम

स्ट्रीट फूड्स की श्रृंखला में शामिल मोमोज़ बच्चों से लेकर बड़ों तक हर किसी के पंसदीदा है। इन्हें खाना भले ही आसान है, मगर इन्हें पचाना उतना ही मुश्किल। आपको बताते हैं कि कैसे मोमोज़ आपकी मुश्किलों को बढ़ा सकते हैं
momos ke side effects
मोमोज़ में प्रयोग की जाने वाली कच्ची सब्जियां शरीर में माइक्रोऑर्गेनिज्म की ग्रोथ का कारण बन जाती हैं। । चित्र : शटरस्टॉक
ज्योति सोही Updated: 21 Jun 2024, 04:16 pm IST
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मेडिकली रिव्यूड

शाम की छोटी मोटी भूख को शांत करने के लिए अधिकतर लोग स्ट्रीट फूड का रूख करते हैं। इन्हीं स्ट्रीट फूड्स (street foods) की श्रृंखला में शामिल मोमोज़ बच्चों से लेकर बड़ों तक हर किसी के पंसदीदा है। इन्हें लोग लाल चटनी के साथ चाव से खाते हैं।

मोमोज़ दो प्रकार के मिलते हैं स्टीम और फ्राइड। इन्हें ठेले पर खड़े होकर खाना भले ही आसान है, मगर इन्हें पचाना उतना ही मुश्किल। आपको बताते हैं कि कैसे चाइनीज़ फूड मोमोज़ (momos) आपकी मुश्किलों को बढ़ा सकते हैं।

चाहे नामी होटल हो या छोटी दुकान मोमोज में इस्तेमाल किए जाने वाले सभी इंग्रीडिएंटस स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित होते हैं। इसे तैयार करने के लिए मैदे में एज़ोडिकार्बोनामाइड, क्लोरीनगैस, बेंज़ोयल पेरोक्साइड और अन्य रसायनों को मिलाया जाता है। इससे पैनक्रियाज़ को नुकसान पहुंचता है, जिसके चलते इंसुलिन प्रोडक्शन क्षमता घटने लगती है। दरअसल, एक समय में हज़ारों मोमोज़ को तैयार किया जाता है, जिसे डीप फ्रीज (deep freeze) करके आवश्यकतानुसार स्टीम किया जाता है। मगर बनाने में प्रयोग किया जाने वाला कच्चा मैदा पूरी तरह से स्टीम न होने के चलते आंतों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने लगता है।

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मोमोज में इस्तेमाल किए जाने वाले सभी इंग्रीडिएंटस स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित होते हैं। चित्र : शटरस्टॉक

मोमोज़ खाने से पहले हो जाएं सावधान 

इस बारे में डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती है कि मोमोज़ को रॉ मैदा से तैयार किया जाता है, जो एक रिफांइड फ्लोर है। इसमें फाइबर की मात्रा न होने से ये आंतों में चिपकने लगता है। इसके अलावा मोमोज़ में प्रयोग की जाने वाली कच्ची सब्जियां भी शरीर में माइक्रोऑर्गेनिज्म की ग्रोथ  (growth of microorganism) का कारण बन जाती हैं।

मोमोज़ के साथ खाई जाने वाली चटनी में प्रयोग किया जाने वाला रंग और मसाले गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिज़ीज़ का कारण बन सकते है। दोनों ही प्रकार के मोमोज़ शरीर काे नुकसान पहुंचा सकते हैं। फ्राइड मोमोज़ को तलने के लिए प्रयोग किया जाने वाला तेल शरीर में वसा की मात्रा को बढ़ाने लगता है।

एम्स भी दे चुका है मोमोज पर चेतावनी

जर्नल ऑफ फोरेंसिक इमेजिंग में छपी एम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार साउथ दिल्ली में 50 वर्षीय व्यक्ति की मौत का मामला सामने आया। मगर मौत की वजह बेहद हैरान करने वाली है, जिसका खुलासा पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के बाद किया गया। दरअसल, एक व्यक्ति के मोमोज खाने के दौरान वो स्लिप होकर उसके विंड पाइप में अटक गया।

इसके चलते पोस्टीरियर हाइपोफरीनक्स में रूकावट आने लगी और रेसपीरेटरी ट्रैक (respiratory tract) ब्लॉक हो गया। पोस्टमार्टम के दौरान लैरींगियल इनलेट में मोमोज के चोकिंग का पता लगाया गया और न्यूरोजेनिक कार्डियक अरेस्ट से उस व्यक्ति की मौत हो गई। वे लोग लो मोमोज़ खाते हैं, उन्हें इन्हें चबा चबाकर खाने की हिदायत दी जाती है।

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मोमोज़ के साथ खाई जाने वाली चटनी में प्रयोग किया जाने वाला रंग और मसाले गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिज़ीज़ का कारण बन सकते है। चित्र- अडोबी स्टॉक

स्टडी में मोमाेज को माना गया सबसे खराब स्ट्रीट फूड

इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट की एक स्टडी में पाया गया कि दिल्ली की सड़कों पर मिलने वाले की सड़कों पर मिलने वाले समोसा, गोलगप्पे, बर्गर जैसे स्ट्रीट फूड्स में मोमोज सबसे घटिया स्ट्रीट फूड हैं। इनमें मल पदार्थ पाए जाते हैं। इनका स्तर परमीसिबल कोलीफॉर्म स्तर से बहुत अधिक होता है। इन संक्रमणों में बेसिलस सेरेस, क्लोस्ट्रीडियम परफ्रिंजेंस, स्टेफिलोकोकस ऑरियस और साल्मोनेला प्रजातियां शामिल थीं। इससे डायरिया, पेट दर्द, फूड पॉइज़निंग और टायफाइड का खतरा बना रहता है।

आपकी सेहत को इन 5 तरह से खराब करते हैं मोमोज (Side effects of momos)

1 गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफ़ेक्शन (Gastrointestinal infection)

ज्यादा मात्रा में मोमोज़ का सेवन करने पर डाइजेशन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके चलते ब्लोटिंग, पेट दर्द, कब्ज और अपच जैसी समस्याएं बढ़ जाती है। इसमें प्रयोग की जाने वाली कच्ची सब्जियों को लंबे वक्त तक बिना धोए रखने से उनमें माइक्रोऑरगेनिज्म बढ़ने लगते है। गर्मी के मौसम में माइक्रोऑरगेनिज्म का विकास तेज़ी से होने लगता है, जिससे पेट में बैड बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं।

2. वज़न तेज़ी से बढ़ता है (Weight gain)

मोमोज़ में मोनोसोडियम ग्लूटामेट की मात्रा पाई जाती है, जो मोटापे का कारण बनने लगता है। कैलोरीज़ से भरपूर मोमोज में अनहेल्दी फैट्स पाए जाते हैं। इससे वेटगेन (weight gain) के अलावा पाचन संबधी समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है। फ्राइड मोमोज़ को तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला तेल भी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है। इससे शरीर में वसा का स्तर बढ़ जाता है और टाइप 2 डायबिटीज़ का जोखिम बढ़ने लगता है।

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kai karan ho sakte hai weight badhane ke
मोमोज़ में मोनोसोडियम ग्लूटामेट की मात्रा पाई जाती है, जो मोटोप का कारण बनने लगता है। चित्र : शटर स्टॉक

3. कैंसर का खतरा (Danger of cancer)

रोज़ाना मोमोज खाने से आंतों में मैदा चिपकने लगता है। इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला अजीनोमोटो, प्रिजर्वेटिवस, मसाले और बैक्टीरिया ग्रस्त सब्जियां आंत के कैंसर का कारण बनने लगती हैं। इसके अलावा अनहाइजीनिक तरीके से तैयार की जाने वाली मोमोज की चटनी में इस्तेमाल किया जाने वाला रंग या डाई और मसाले कैंसर के जोखिम को बढ़ा देते हैं।

4. कोलेस्ट्रॉल का खतरा (Cholesterol)

फ्राइड मोमोज़ को तलने के लिए प्रयोग किया जाने वाला तेल शरीर में अनहेल्दी फैट्स की मात्रा को बढ़ा देता है, जिससे बैड कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ने लगती है। इसमें पाई जाने वाली हाई सोडियम कंटेट की मात्रा ब्लड प्रेशर को बढ़ा देती है। इससे शरीर में कोलेस्ट्रोल का खतरा बना रहता है।

5. हाइजीन की कमी (Unhygienic)

ठेले पर तैयार किए जाने वाले मोमोज़ को पकाने के दौरान सब्जियों से लेकर इस्तेमाल किए जाने वाले तेल तक किसी भी चीज़ में हाइजीन का पूरा ख्याल नहीं रखा जाता है। सब्जियों को न धोने से गर्मी के मौसम में उनमें तेज़ी से बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। इसके अलावा प्रयोग की जाने वाली चटनी से लेकर मसालों तक सभी को पीसने से लेकर पकाने तक बर्तनों की स्वच्छता की कमी पाई जाती है। इसके अलावा तलने के लिए प्रयोग किया जाने वाला तेल भी दिनभर एक ही इस्तेमाल किया जाता है, जिससे फूड पॉइज़निंग का खतरा बना रहता है।

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लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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