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विदेश यात्रा पर जा रहीं हैं तो बर्ड फ्लू से रहें सावधान, जानिए क्या है इसका कारण

दुनिया के कुछ देशों में बर्ड फ्लू बड़ी तेज़ी से फ़ैल रहा है। इसकी संभावना भारत में भी है। बर्ड फ्लू से खुद का बचाव के लिए किन-किन बातों को हमेशा दिमाग में रखना चाहिए।
वायरस स्वाभाविक रूप से दुनिया भर में जंगली जलीय पक्षियों के बीच फैलते हैं। चित्र: शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 3 Dec 2022, 17:00 pm IST
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पिछले दिनों मध्य इज़राइल के एक टर्की फ़ार्म में बर्ड फ़्लू का पता चला। आठ दिनों के अंदर इजराइल में इस रोग की दूसरी घटना पाई गई। यहां बर्ड फ्लू की पहचान होते ही भारत सहित दुनिया के ज्यादातर देशों में हडकंप मच गया। हर साल हम बर्ड फ्लू के फैलने की खबर सुनते हैं और दहशत में आ जाते हैं। जब यह पक्षियों में होने वाला फ्लू है, तो हम इंसान इतने आशंकित क्यों हो जाते हैं? दरअसल जानकारी के अभाव में ऐसा होता है। बर्ड फ्लू क्या है और हमें इससे बचाव के लिए किन बातों का ख्याल रखना (Tips to prevention from Bird Flu) चाहिए।

क्या कहता है वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन ((WHO) बर्ड फ्लू के बारे में 

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) के अनुसार, एवियन इन्फ्लूएंजा या बर्ड फ्लू(Bird Flu) टाइप ए वायरस के संक्रमण के कारण होता है। ये वायरस स्वाभाविक रूप से दुनिया भर में जंगली जलीय पक्षियों के बीच फैलते हैं। फिर इनसे संक्रमण पोल्ट्री फार्म और अन्य पक्षियों और जानवरों की प्रजातियों में फैलता है। बर्ड फ्लू के वायरस आम तौर पर इंसानों को संक्रमित नहीं करते हैं। लेकिन संक्रमित पक्षियों के खाने पर ये इंसानों की मुश्किल बहुत अधिक बढ़ा सकते हैं।

एवियन, स्वाइन और दूसरे जूनोटिक वायरस होते हैं अलग 

बर्ड स्वाइन और दूसरे तरह के जूनोटिक इन्फ्लूएंजा वायरस के अंतर स्पष्ट करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन बताता है कि एवियन, स्वाइन और दूसरे तरह के जूनोटिक इन्फ्लूएंजा वायरस से इंसान संक्रमित हो सकता है। एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस A(H5N1), A(H7N9), और A(H9N2) है। स्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस A(H1N1), A(H1N2) और A(H3N2) है। इंसानों में यह संक्रमण मुख्य रूप से संक्रमित जानवरों या दूषित वातावरण के सीधे संपर्क के माध्यम से प्राप्त होते हैं।

क्या हो सकते हैं लक्षण (Bird Flu Symptom)

मनुष्यों में, एवियन इन्फ्लूएंजा के लक्षण वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन (strain) पर निर्भर करते हैं। मनुष्यों में एवियन, स्वाइन और अन्य जूनोटिक इन्फ्लूएंजा वायरस के संक्रमण से रेस्पिरेटरी सिस्टम का ऊपरी भाग संक्रमित हो जाता है। लक्षणों में हल्के फ्लू जैसी बीमारी, कभी-कभी आंखों में जलन, दर्द, पेट में दर्द और उल्टी- दस्त, सांस लेने में कठिनाई, निमोनिया भी हो सकता है। बुखार, खांसी, सलीवा का प्रोडक्शन अधिक होना, निमोनिया, सेप्सिस, सांस लेने में बहुत अधिक दिक्कत होना यहां तक ​​​​कि व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

बर्ड फ्लू का उपचार (Bird Flu Treatment) 

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, बर्ड फ्लू होने पर बहुत कम दवाइयां असर करती हैं। कुछ एंटीवायरल दवाएं, विशेष रूप से न्यूरोमिनिडेस इनहिबिटर (ओसेल्टामिविर, ज़नामिविर दवाएं) वायरल रेप्लिकेशन की अवधि को कम करने में मदद कर सकती हैं। ये दवाएं जीवित रहने की संभावनाओं में सुधार कर सकती हैं।

बर्ड फ्लू में भी इन्फ्लुएंजा वैक्सीन दिया जाता है। चित्र: शटरस्टॉक

बर्ड फ्लू में भी इन्फ्लुएंजा वैक्सीन दिया जाता है। H5N1 इन्फ्लूएंजा वैक्सीन दो खुराक में दी जाएगी। दी जाने वाली खुराक मौजूदा मौसमी इन्फ्लूएंजा वैक्सीन में किसी एक स्ट्रेन के लिए दी गई खुराक से 12 गुना अधिक होती है। आवश्यक खुराक को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। उपचार से अधिक कामगार एवियन फ्लू से बचाव है।

बर्ड फ्लू से कैसे करें बचाव (Tips to avoid Bird Flu)

1 कई बातों का ख्याल रखने पर न सिर्फ अपना, बल्कि दूसरों के जीवन का भी बर्ड फ्लू से बचाव किया जा सकता है।
2 नियमित रूप से हाथों को अच्छी तरह धोकर सुखाना।
3 खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढंकना, टिश्यू पेपर का उपयोग करना। उपयोग करने के बाद टिश्यू या दूसरे संक्रमण फैलाने वाले सामान को सही जगह पर डंप करना।
4 अस्वस्थ महसूस करने वाले, बुखार से पीड़ित और इन्फ्लुएंजा लक्षण वाले लोगों के निकट संपर्क से बचना।

खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढंकना, टिश्यू पेपर का उपयोग करना चाहिए । चित्र : शटरस्टॉक

5 किसी की आंख, नाक या मुंह को छूने से बचना।
6 विदेश यात्रियों और एवियन इन्फ्लूएंजा के प्रकोप वाले देशों में रहने वाले लोगों को, यदि संभव हो तो, पोल्ट्री फार्मों से बचना चाहिए। किसी भी सतह से संपर्क करने से अपना बचाव करें, जो दूषित प्रतीत होता है। मुर्गे या अन्य जानवरों के मल को नहीं छुएं।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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