हम सभी ने जीवन में किसी न किसी समय मौसमी बीमारियों का कहर देखा है। भारत में मानसून खास तौर पर बीमारियों का मौसम माना जाता है। चाहे वह टायफॉइड हो या डेंगू मलेरिया। अब ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि इस लम्बी फेहरिस्त में एक और मौसमी बीमारी जुड़ सकती है- कोविड-19। वैज्ञानिकों का मानना है कि हर्ड इम्युनिटी पाने के बाद भी कोविड-19 एक मौसमी बीमारी की तरह कई देशों में रह सकता है।
जर्नल फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ के रिव्यू के अनुसार जब तक हर्ड इम्युनिटी नहीं प्राप्त हो जाती, तब तक कोविड-19 हर समय मौजूद रहने वाली बीमारी होगी।
इस स्टडी के सीनियर लेखक और अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ बेरूत के प्रोफेसर डॉ हसन ज़ारकेट कहते हैं, “कोविड-19 यहां लम्बे समय तक रहने वाला है और जब तक हर्ड इम्युनिटी नहीं बन जाती तब तक साल भर, बारह महीने ऐसे ही कहर बरपायेगा। इसलिए हमें इसके साथ जीना सीखना ही होगा। प्रीवेंशन के कदम जैसे मास्क पहनना, फिजिकल डिस्टेंसिंग, हाथ धोना और भीड़ से बचना हमें अपनी आदत में शामिल करना होगा।”
युवाओं में कोरोनावायरस का अनुपात बढ़ता जा रहा है। चित्र: शटरस्टॉकदोहा में कतर विश्वविद्यालय के सहयोगी लेखक डॉ हादी यासीन ने भी बताया कि हम हर्ड इम्युनिटी के चरण तक पहुंचने से पहले कोविड -19 के कई कहर देख सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने समझाया कि हवा में और सतहों पर वायरस के अस्तित्व, संक्रमण के लिए लोगों की संवेदनशीलता और मानव व्यवहार-जैसे इनडोर भीड़, तापमान और नमी में परिवर्तन के कारण मौसम भिन्न होते हैं। ये कारण वायरस के संचरण को वर्ष के अलग-अलग समय में प्रभावित करते हैं।
हालांकि, फ्लू जैसे अन्य विषाणु की तुलना में कोविड -19 में संक्रमण की दर अधिक होती है। इसका मतलब है कि फ्लू और अन्य वायरस के विपरीत, यह वायरस के मौसमी नियंत्रण वाले फैक्टर अभी तक गर्मियों के महीनों में कोविड -19 के प्रसार को रोक नहीं सकते हैं।
डॉ यासीन कहते हैं,“गर्मी के मौसम की परवाह किए बिना प्रति व्यक्ति उच्चतम वैश्विक कोविड -19 संक्रमण दर खाड़ी राज्यों में दर्ज की गई थी। हालांकि इसका प्रमुख रूप से समुदाय संक्रमण को वायरस तेजी से फैलने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। फिर भी वायरस के प्रसार को सीमित करने के लिए कठोर नियंत्रण उपायों की आवश्यकता है। जब तक कि सामुहिक प्रतिरक्षा यानी हर्ड इम्युनिटी हासिल नहीं की जाती है।”