शरीर के किसी भी अंग में होने वाला दर्द और ऐंठन किसी स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकता है। हम सभी कभी न कभी सिरदर्द का सामना करते हैं। कभी-कभी इसकी फ्रीक्वेंसी बढ़ जाती है यानि थोड़े थोड़े समय में सिरदर्द की शिकायत का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर अनियमित डाइट, पानी की कमी, कमज़ोर दृष्टि और तनाव सिरदर्द का कारण हो सकता है। हांलाकि कुछ लोग सिरदर्द को माइग्रेन से जोड़कर देखने लगते हैं। मगर ज़रूरी नहीं सिर में उठने वाला दर्द माइग्रेन ही हो। हाल ही में आध्यात्मिक वक्ता सद्गुरू जग्गी वासुदेव को एक इमरजेंसी सर्जरी करवानी पड़ी। हालांकि वे लंबे समय से सिरदर्द का सामना कर रहे थे, लेकिन अपनी व्यस्तता के कारण वे इसे लगातार इग्नोर कर रहे थे। ऐसी गलती आप न करें, इसके लिए बार-बार होने वाले सिर दर्द के संभावित कारणों के प्रति जागरुक होना बहुत जरूरी है।
इस बारे में इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ विनीत सूरी बताते हैं कि सद्गुरू ने 4 सप्ताह तक सिरदर्द का सामना किया, जो काफी तेज था। उन्होंने कई दिनों तक सिरदर्द को इग्नोर करके अपनी नॉर्मल एक्टीविटी को जारी रखा। मगर धीरे- धीरे दर्द की फ्रीक्वेंसी बढ़ने लगी। 15 मार्च को उन्हें तेज़ सिरदर्द का सामना करना पड़ा। जिसके बाद वे जांच के लिए आए। एमआरआई में उनके ब्रेन में लगातार ब्लीडिंग देखी गई। जिसके कारण ब्रेन में स्वैलिंग बढ़ रही थी। 17 मार्च को सद्गुरू को अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां उनका सीटी स्कैन किया गया और फिर सर्जरी के लिए ले जाया गया। ब्रेन सर्जरी के बाद वो बिल्कुल हेल्दी और फिट हैं और उनका शरीर बहुत जल्द रिकवर हो रहा है।
वहीं एमडी इन इंटरनल मेडिसिन डॉ नवनीत कालरा बताते हैं कि ब्लीडिंग के चलते सद्गुरू के ब्रेन पर उसका प्रभाव धीरे-धीरे दर्द के रूप में नज़र आने लगा। जिसके चलते ब्रेन एक तरफ शिफ्ट हो गया, जो बेहोशी का कारण साबित हो रहा था।
ब्लीडिंग ब्रेन के अंदर न होकर, ब्रेन और स्कल के बीच में 2 से 3 बार हुई, जिससे ब्रेन पर प्रेशर बढ़ रहा था। इसके चलते सद्गुरू की टांग में भी दर्द और सुन्नपन बढ़ने लगा। 1 महीने से लगातार सिर में दर्द की शिकायत कर रहे सद्गुरू जग्गी वासुदेव में सबडयूर हेमाटोमा (Subdural hematoma) का जोखिम बढ़ रहा था, जो अक्सर हेड इंजरी के कारण बढ़ने लगता है।
डॉ विनीत बताते हैं कि सिर दर्द को कभी भी नजरंदाज नहीं करना चाहिए। खासतौर से यदि वह सप्ताह में तीन से चार बार और दो सप्ताह से अधिक हो रहा हो। यह किसी खतरनाक स्थिति का संकेत भी हो सकता है। यहां हम उन कारणों के बारे में बात कर रहे हैं , जो सिरदर्द को ट्रिगर कर सकते हैं।
माइग्रेन स्कैल्प की सेंसिटीविट के चलते बढ़ने लगता है, जो महिलाओं में पुरूषों से ज्यादा पाया जाता है। हार्वड हेल्थ के मुताबिक 70 फीसदी मामलों में माइग्रेन माता पिता से बच्चों में आता है। इसके चलते ये पूरी तरह से जेनेटिक है।
कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक रहने वाले इस दर्द के चलते व्यक्ति अपनी दिनचर्या के कार्यों को उचित प्रकार से नहीं कर पाता है। इस दर्द से व्यक्ति कम से कम 4 घण्टे से लेकर 72 घंटों तक प्रभाविम रहता है। मील स्किप करना और इमोशनल स्ट्रेस इस समसया के बढ़ने का कारण साबित होते हैं। इसके अलावा सनलाइट की कमी भी इस समस्या का कारण साबित होती है।
हार्वड हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार हर 4 से 3 एडल्टस को टेंशन हैडेक का सामना करना पड़ता है। 20 मिनट से लेकर 2 घण्टों तक सिरदर्द का कारण साबित होने वाला ये दर्द सप्ताह में 3 से 4 बार होने लगता है। भावनात्मक तनाव और चिंता के कारण ये समस्या बढ़ने लगती है। सिरदर्द से ग्रस्त लोगों को कंधों और गर्दन दर्द का सामना करना पड़ता है। वार्म शावर, हीटिंग पैड और योग की मदद से इस समस्या को सुलझाया जा सकता है।
वे लोग जो एक समय में एक से अधिक दवाओं का सेवन करते है, उन्हें सिरदर्द का सामना करना पड़ता है। मेडिकेशन का ओवरयूज साइड इफैक्ट का कारण साबित होता है। इससे सिर में दर्द की शिकयत बढ़ने लगती है। इससे राहत पाने के लिए डॉक्टरी सलाह से दवाओं की मात्रा को कम करना आवश्यक है।
एक्यूट साइनस की समस्या सिरदर्द की समस्या का बढ़ा देता है। साइनस के चलते सिर, चीक्स, आंखों और नाक में दर्द की समस्या बढ़ने लगती है। साइनस के चलते नेज़ल डिस्चार्ज, कंजैशर और बुखार का सामना करना पड़ता है।
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कस्टमाइज़ करेंब्रेन ट्यूमर हैडेक माइग्रेन और टैंशन हैडेक से पूरी तरह से अलग होता है। वे लोग जो इस समस्या का शिकार होते हैं, वे सोते वक्त एकदम जाग जाते हैं और सिरदर्द की शिकायत करते हैं। इसके चलते कई दिनों तक सिरदर्द की समस्या का सामना करना पड़ता है।
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