Fibroid Causes : जुलाई है फायब्रॉइड अवेयरनेस मंथ, जानिए इसके लक्षण, कारण और उपचार का तरीका

रिप्रोडक्टिव एज में महिलाओं को कई तरह की समस्या हो सकती है। इनमें से एक है गर्भाशय में होने वाला फायब्रॉइड। फायब्रॉइड अवेयरनेस मंथ जुलाई में जानें कैसे ग्रो करता है फायब्रॉइड और इसका उपचार क्या हो सकता है।
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जुलाई फायब्रॉइड जागरूकता माह या फायब्रॉइड अवेयरनेस मंथ है। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 18 Oct 2023, 10:21 am IST
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प्रेगनेंसी के दौरान स्त्रियों को कई तरह की समस्या हो सकती है। उनमें से एक है फायब्रॉइड। यह गर्भाशय में होता है। यह नॉन कैंसरस होता है। गंभीर मामलों में इसमें कैंसर भी हो सकते हैं। प्रेगनेंसी के अलावा यह अन्य कारणों से भी हो सकता है। जुलाई को फायब्रॉइड अवेयरनेस मंथ (fibroid awareness month 2023) भी माना जाता है। इस ख़ास महीने में विशेषज्ञ से जानते हैं फायब्रॉइड के कारण, लक्षण और समस्याएं (fibroid causes and treatment) ।

फायब्रॉइड अवेयरनेस मंथ (fibroid awareness month-July)

जुलाई फायब्रॉइड जागरूकता माह या फायब्रॉइड अवेयरनेस मंथ (fibroid awareness month) है। इसलिए इस महीने में महिलाओं को इसके बारे में जानना जरूरी है। फायब्रॉइड रिप्रोडक्टिव एज की कई महिलाओं को प्रभावित करते हैं। अक्सर जानकारी के अभाव में इसका डायग्नोसिस नहीं हो पाता है। इसके लक्षणों को अन्य कारणों से जोड़ कर देखा जाने लगता है। इसके कारण समस्या और भी जटिल हो जाती है।

क्या है यह रोग (Uterus Fibroid)

फायब्रॉइड मस्कुलर ट्यूमर है, जो गर्भाशय (Uterus) की दीवार में बढ़ते हैं। यह एकल ट्यूमर के रूप में विकसित हो सकता है या कई हो सकते हैं। ये सेब के बीज जितने छोटे या अंगूर जितने बड़े हो सकते हैं। असामान्य मामलों में ये बहुत बड़े हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि फायब्रॉइड हमेशा कैंसरयुक्त हो।

इसे लेयोमायोमा या सिर्फ मायोमा भी कहा जाता है। कभी-कभी यूट्रस में फायब्रॉइड होने के बावजूद महिलाओं में इसके लक्षण और प्रभाव को नहीं देखा जाता है। जिन महिलाओं में लक्षण दिखाई देते हैं, उन्हें अक्सर फायब्रॉइड के साथ रहना मुश्किल लगता है। दरअसल, कुछ को बेहद तेज दर्द और भारी पीरियड फ्लो होने लगता है। यूट्रस फायब्रॉइड का उपचार लक्षणों की जटिलता पर निर्भर कर सकता है।

किन महिलाओं को ज्यादा होता है जोखिम

ऑरा स्पेशलिटी क्लिनिक, गुरुग्राम में ऑरा स्पेशलिटी क्लिनिक की डाइरेकटर और क्लाउड नाइन हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट (गायनेकोलोजी) डॉ. रितु सेठी कहती हैं, ‘लगभग 20 प्रतिशत से 80 प्रतिशत महिलाओं में 50 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते फायब्रॉइड विकसित हो जाते हैं।

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लगभग 20 प्रतिशत से 80 प्रतिशत महिलाओं में 50 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते फायब्रॉइड विकसित हो जाते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक

एक्यूट पेन और अधिक ब्लड फ्लो होने के अलावा फायब्रॉइड मूत्राशय पर भी दबाव डाल सकता है। इससे बार-बार पेशाब आता है या मलाशय पर दबाव पड़ता है। यदि फायब्रॉइड बहुत बड़े हो जाते हैं, तो ये पेट को बड़ा कर सकते हैं। इससे महिला गर्भवती दिख सकती है।’

क्या हो सकते हैं कारण (Fibroid causes)

कोई भी निश्चित रूप से नहीं जानता कि फायब्रॉइड डेवलप करने का कारण क्या है। यह आनुवंशिक कारणों से हो सकता है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के लेवल प्रभावित होने पर यह हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन दोनों हॉर्मोन तेजी से बढ़ते हैं। हार्मोन का स्तर अधिक होने पर ये फूल सकते हैं। जब एंटी-हार्मोन दवा का उपयोग किया जाता है, तो वे सिकुड़ जाते हैं। मेनोपॉज होने पर इनका बढ़ना या सिकुड़ना भी बंद हो सकता है।

कौन कौन सी हो सकती हैं समस्याएं (Fibroid causes problems)

डॉ. रितु सेठी कहती हैं, ‘पीरियड के दौरान एक्यूट पेन के साथ हेवी ब्लड फ्लो
पेल्विक रीजन यानी पेट के निचले हिस्से में भारीपन का एहसास
पेट के निचले हिस्से का बढ़ना
जल्दी-जल्दी यूरीन पास करने की इच्छा होना
सेक्स के दौरान दर्द होना
पीठ के निचले हिस्से में दर्द
गर्भावस्था और प्रसव के दौरान बहुत अधिक समस्या होना
इसके कारण इन फर्टिलिटी भी हो सकती है’

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फायब्रॉइड डेवलप  होने पर पीरियड के दौरान तेज दर्द हो सकता है। चित्र : शटरस्टॉक

लक्षण के आधार पर किया जाता है उपचार (Fibroid Treatment)

डॉ. रितु सेठी के अनुसार, यदि किसी महिला को फायब्रॉइड है, लेकिन कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहा है, तो ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं पड़ेगी। डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है, क्योंकि फायब्रॉइड की साइज़ और जटिलता पर ही इसका इलाज किया जा सकता है।

डॉक्टर हल्के दर्द के लिए इबुप्रोफेन या एसिटामिनोफेन जैसी ओवर-द-काउंटर दवा भी दे सकते हैं। यदि मासिक धर्म के दौरान भारी रक्तस्राव होता है, तो आयरन सप्लीमेंट लेने से एनीमिया से बचाव किया जा सकता है। गंभीर लक्षण होने पर सर्जरी की सलाह भी दी जा सकती है।

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स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।...और पढ़ें

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