ग्लेनमार्क ने ‘फेविपिराविर’ नामक गोली तैयार की है। और दावा किया है कि यह कोविड-19 का इलाज करने में मददगार हो सकती है। सरकार ने भी इस दवा के निर्माण और बिक्री को मंजूरी दे दी है। दुनिया भर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ और शोधकर्ता जहां कोविड-19 का इलाज ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं, वहां यह दवा एक बड़ी राहत दे सकती है।
पर आपको जाननी चाहिए इस पर विशेषज्ञों की राय।
ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने कोविड-19 (Covid-19) के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के लिए जहां विषाणु रोधी दवा ‘फेविपिराविर’ पेश की है। दूसरी ओर, चिकित्सा विशेषज्ञों ने शनिवार को आगाह किया कि इसे कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए रामबाण औषधि के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इलाज में यह मददगार होगी और वायरस के प्रभाव को घटाएगी चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा कि यह दवा कितनी कारगर साबित होगी, यह आने वाले महीनों में पता चल पाएगा।
ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने कहा कि उसने कोविड-19 के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के इलाज के लिए ‘फेबिफ्लू ब्रांड नाम से विषाणु रोधी औषधि ‘फेविपिराविर’ पेश की है। कंपनी ने इसकी कीमत प्रति गोली करीब 103 रुपये बताई।
साथ ही यह भी दावा किया गया कि ‘फेबिफ्लू भारत में केाविड-19 के इलाज के लिए गोली के रूप में ली जाने वाली पहली दवा ‘फेविपिराविर’ को मंजूरी मिल गई है।
फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग, में श्वसन संबंधी रोग एवं अनिद्रा विकार विभाग के निदेशक डॉ विकास मौर्या ने कहा, ”जापान में इन्फ्लूएंजा के लिए यह दवा पहले से उपयोग की जा रही है। वे कोविड-19 मरीजों पर भी इसका उपयोग कर रहे हैं। ‘रेमडेसिविर और ‘फेविपिराविर जैसी विषाणु रोधी दवा कोविड-19 के लिए विशेष रूप से नहीं है, बल्कि इन्फ्लूएंजा के लिए उपयोग की जाती रही है।”
मौर्या ने कहा कि अध्ययनों में यह पाया गया है कि कोविड-19 के इलाज में ‘फेविपिराविर के कुछ फायदे हैं और यही कारण है कि इसे भारत में भी पेश किया गया है।
उन्होंने कहा कि यह दवा एक राहत के तौर पर काम में लाई जा सकती है।
मौर्या ने कहा, ”यह रामबाण औषधि नहीं है क्योंकि (मरीज को) सिर्फ इसे ही हमें नहीं देना होगा। यह कोविड-19 के लिए विशेष रूप से नहीं बनी है। लेकिन यह कितनी उपयोगी है, हमें देखना होगा। जब व्यापक स्तर पर इसका उपयोग किया जाएगा, तब इसके प्रभाव का पता चलेगा।
मैक्स हेल्थकेयर में इंटरनल मेडिसिन के सहायक निदेशक डॉ. रोमील टिक्कू ने कहा कि यह दवा महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
उन्होंने कहा कि जब मरीज को संक्रमण के शुरुआती समय में यह दवा दी जाएगी तो यह वायरस के प्रभाव को घटा सकती है और इसमें संक्रमण को बढ़ने को रोकने की भी क्षमता है। इसलिए यह अस्पतालों में लोगों के भर्ती होने की दर में कमी ला सकती है।
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंवहीं, प्रख्यात सर्जन एवं सर गंगाराम अस्पताल में कार्यरत रहे डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि ‘रेमडेसिविर और ‘फेविपिराविर जैसी दवाइयां तुरुप का पत्ता साबित होंगी।
कंपनी ने कहा कि ‘फेविपिराविर 200 एमजी की एक गोली होगी और 34 गोलियों के पत्ते का अधिकतम मूल्य 3,500 रुपये होगा।
कंपनी को शुक्रवार को भारतीय औषधि महानियंत्रक से इसके विनिर्माण एवं विपणन की शुक्रवार को मंजूरी मिली थी।