लाख स्वास्थ्य चेतावनियों के बावजूद हम प्लास्टिक का लगातार इस्तेमाल कर रहे हैं। रंग-बिरंगे प्लास्टिक बोतल और प्लास्टिक के टिफिन्स का इस्तेमाल बदस्तूर जारी है। यहां तक प्लास्टिक से रैप किये हुए डिब्बाबंद भोजन को भी हम चटखारे लेकर खाते हैं। सैंडविच, बर्गर की रैपिंग भी बारीक प्लास्टिक पन्नियों वाली होती है। हम इन पन्नियों से निकालकर जब इन्हें खाते हैं तो साथ ही अपनी सेहत के लिए भी बहुत सारा जहर (fast food wraps health risks) निगल लेते हैं।
साथ ही तुरंत हम इन बारीक पन्नियों को डस्टबिन में फेंक देते हैं। ये पन्नियां किसी न किसी तरह जमीन तक पहुंच जाती हैं। इस तरह हम न सिर्फ अपना बल्कि पृथ्वी ग्रह का भी बहुत नुकसान करते हैं। पृथ्वी के प्रति हो रही ज्यादती के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए इस वर्ष अर्थ डे की थीम प्लेनेट वर्सेज प्लास्टिक (Planet Vs Plastic) रखी गई है।
आज पृथ्वी दिवस है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस ( Earth Day 2024) मनाया जा रहा है। पहली बार 22 अप्रैल, 1970 को यह दिवस मनाया गया था। तब पृथ्वी को बचाने की जो चिंता थी, आज वही चिंता खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है।
धरती के गर्म होने से लेकर अब बहुत सारी चुनौतियां भी इसमें शामिल होती जा रही हैं। आधुनिक समय की ऐसी ही बड़ी चिंता है प्लास्टिक। जो न केवल पृथ्वी, बल्कि पृथ्वीवासियों की सेहत के लिए भी खतरनाक है। इस संकट को पहचानने और इससे बचने के लिए अर्थ डे 2024 की थीम (Earth Day 2024 Theme) प्लेनेट वर्सेज प्लास्टिक रखी गई है।
प्लास्टिक समय के साथ टूट जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि वे संभावित रूप से भोजन में उन सभी रसायनों की थोड़ी मात्रा छोड़ सकते हैं, जिनसे वे बने हैं। ऐसा तब होने की संभावना अधिक होती है जब प्लास्टिक को गर्म किया गया जाता है। जब वह पुराना हो और बार-बार इस्तेमाल या धोया गया हो।
फास्ट फूड की रेपिंग और पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाली पतली प्लास्टिक भी सेहत के लिए खतरनाक है। यदि बर्गर और सैंडविच को प्लास्टिक रैप से पैकेजिंग (plastic packaging) की गई है, तो उससे निकलने वाले रसायन भोजन में मिल सकते हैं।
हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग ने प्लास्टिक के खतरे पर 1,200 अध्ययनों की समीक्षा की। इसके आधार पर यह निष्कर्ष निकला कि प्लास्टिक में खाना गर्म करने से रासायनिक रिसाव बढ़ जाता है। जब भी आप फास्ट फूड खरीदते हैं, तो वे एक महीन पन्नी में पैक किए जाते हैं। इसी पैकिंग में उन्हें गर्म करके आपको दिया जाता है। जबकि घरों में भी हम अकसर बचा हुआ खाना प्लास्टिक के मोटे कंटेनरों में भरकर ओवन में हल्का गर्म करते हैं। इन दोनों ही प्रक्रियाओं में प्लास्टिक में मौजूद खतरनाक रसायन आपकी शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार, अब तक तैयार हुए सभी प्लास्टिक कचरे में से केवल 9% को ही रिसाइकल किया जा चुका है। कई टन प्लास्टिक कचरा वैश्विक तापमान और प्रदूषण बढ़ा रहा है। साथ ही यह माइक्रोप्लास्टिक्स (micro plastics side effects) हमारे शरीर, फ़ूड चेन और पर्यावरण में प्रवेश कर रही है।
फेथलेट्स, जिनका उपयोग प्लास्टिक को अधिक लचीला बनाने के लिए किया जाता है। यह फूड पैकेजिंग और प्लास्टिक रैप में सबसे अधिक इस्तेमाल होता है। कई अध्ययन इन्हें प्रजनन संबंधी समस्याओं से जोड़ते हैं। कुछ शोधकर्ताओं ने मनुष्यों में प्रजनन क्षमता में कमी, न्यूरोडेवलपमेंटल प्रॉब्लम और अस्थमा से भी प्लास्टिक को जोड़ा है।
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरमेंटल हेल्थ साइंस के अनुसार, प्लास्टिक में बिस्फेनॉल ए और फेथलेट्स जैसे रसायन हो सकते हैं। ये विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े हुए हैं। जब प्लास्टिक को गर्म किया जाता है या एसिडिक या ऑयली खाद्य पदार्थों के संपर्क में लाया जाता है या लंबे समय तक छोड़ दिया जाता है, तो यह टूट सकता है। ये रसायन टूटकर भोजन में मिल सकते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंपानी की बोतलों और डिब्बों में मौजूद बिस्फेनॉल भी नवजात और शिशु के ब्रेन फंक्शन को प्रभावित करने वाला माना गया है। टेक्सास यूनिवर्सिटी और वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के अध्ययनों से पता चला है कि प्रति ट्रिलियन में एक भाग की खुराक पर भी बिस्फेनॉल सेल फंक्शन को बाधित कर सकता है। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के 2019 के एक अध्ययन के अनुसार, बच्चों में मोटापा बिस्फेनॉल से भी जुड़ा हो सकता है।