वर्ष 2019 के आख़िर में दुनिया में सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनवायरस 2 (SARS- Cov-2) नाम के नए कोरोनवायरस का पता चला। इस वायरस से पैदा हुई बीमारी को कोरोनावायरस 19 (Covid-19) नाम दिया गया। 11 मार्च, 2020 को डब्ल्यूएचओ ने इस बीमारी को महामारी घोषित किया। देखते ही देखते यह वायरस पूरी दुनिया में फैल गया और बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई। इस महामारी के कारण स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग में ज़बरदस्त बढ़ोतरी हुई। सार्स कोव 2 की ताकत के बारे में धीरे-धीरे ज्यादा जानकारी मिल रही है।
आशंका है कि अर्थव्यवस्था के खुलने, सर्दियों के मौसम की शुरुआत और त्योहारों का मौसम आने से इस बीमारी की नई लहर आ सकती है। इस महामारी के समय इन्फ्लूएंजा और निमोनिया जैसी बीमारियों को रोकने वाले टीके की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि इन्फ्लूएंजा का मौसम आने वाला है।
टीकाकरण को स्वास्थ्य सेवा के प्रमुख हिस्से के तौर पर मान्यता दी जानी चाहिए। टीकाकरण को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। ताकि संक्रामक बीमारियों के प्रसार को रोका जा सके।
इन्फ्लुएंजा और कोविड -19 दोनों के लक्षण एक जैसे हो सकते हैं और दोनों बीमारियों से एक साथ ग्रसित होने पर स्थिति गंभीर हो सकती है, जिससे मृत्यु दर में भी बढ़ोतरी हो सकती है। इन्फ्लूएंजा और कोविड 19 दोनों से संक्रमित होने पर बुजुर्गों और को-मोर्बिडिटी के मरीज़ों को काफी खतरा हो सकता है।
स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों में कोविड 19 और इन्फ्लूएंजा जैसे संक्रामक रोग होने का खतरा काफी ज़्यादा है। इसलिए ज़्यादा जोखिम वाले समूहों का टीकाकरण बहुत ज़रूरी है। ताकि उनके इन्फ्लूएंजा और सार्स-कोव 19 दोनों से एक साथ संक्रमित होने की आशंका को कम किया जा सके।
स्वास्थ्य सेवा से जुड़े पेशेवरों को इन्फ्लूएंजा का टीका लगाने से उनकी और उनके मरीज़ों की सुरक्षा हो सकती है और स्वास्थ्य सेवा पर पड़ने वाले दबाव को भी कम किया जा सकता है। इन्फ्लूएंजा को रोकने वाले टीके को लगाने पर ज़ोर देने के साथ-साथ नियमित टीकाकरण पर ध्यान देना भी बहुत ज़रूरी है। जैसे बुजुर्गों और क्रोनिक बीमारियों वाले मरीज़ों के लिए न्यूमोकोकल टीकाकरण और गर्भवती महिलाओं के लिए पर्टसिस टीकाकरण।
50 वर्ष से ज़्यादा उम्र वाले उन लोगों को हर साल इन्फ्लुएंजा का टीका लगवाने की सलाह दी जानी चाहिए, जिन्हें डायबिटीज, सीओपीडी, हृदय रोग और किडनी की बीमारियां है। इन्फ्लुएंजा की वैक्सीन वैकल्पिक नहीं है, बल्कि कोविड 19 महामारी के समय इसे लगवाना बहुत आवश्यक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी कोविड महामारी के दौरान लोगों की जान बचाने के लिए सांस के रोगों से जुड़े टीके (न्यूमोकोकल टीका और एचआईबीटीका) लगाने की सलाह दी है। डॉक्टरों को बच्चों के माता-पिता को सलाह देनी चाहिए कि वे अपने बच्चों का टीकाकरण सही समय पर करवाएं।
अभी कोविड 19 की अगली लहर और कोविड 19 वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है, तो ऐसे में इन्फ्लूएंजा टीकाकरण को कोविड-19 से लड़ने की तैयारियों और योजनाओं का अटटू हिस्सा बनाया जाना चाहिए। वर्तमान महामारी ने हमें याद दिलाया है कि संक्रामक रोगों का खतरा हमेशा मौजूद है।
हमें इस मौके का फायदा उठाकर प्राथमिक देखभाल और पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम में जनता के भरोसे को मज़बूत बनाने की कोशिश करनी चाहिए। इस बात को प्रभावी तरीके से बताना चाहिए कि टीकाकरण से होने वाले फायदे उससे होने वाले खतरों की तुलना में कहीं ज़्यादा है।
भारत में अगस्त के महीने में कोविड-19 की तीसरी लहर आने की आशंका है और ऐसा अनुमान है कि कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी होगी। फिलहाल 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को टीका लगाया जा रहा है, लेकिन बच्चों का टीकाकरण अभी शुरू नहीं हुआ है। फिलहाल स्कूल, सिनेमाघर या भीड़-भाड़ वाली किसी जगह को खोलना सही नहीं है।
आज हम डिजिटल दुनिया में रह रहे हैं। स्कूलों में होने वाली भीड़ और बच्चों में संक्रमण की आंशका को दूर करने के लिए ऑनलाइन क्लासों का सहारा लिया जा सकता है। जब तक 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का टीकाकरण पूरा न हो जाए, तब तक स्कूलों को बंद ही रखना चाहिए। आंशका है कि आने वाले समय में कोविड 19 मामलों में अचानक उछाल आएगा।
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