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Ramadan Fasting : वेट लॉस ही नहीं, हार्ट हेल्थ के लिए भी बहुत फायदेमंद है इंटरमिटेंट फास्टिंग का ये तरीका

ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, लो डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन हार्ट हेल्थ के लिए जोखिम कारक हैं। इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन घटाने के साथ-साथ हार्ट हेल्थ के लिए भी कारगर है। आइये जानते हैं एक्सपर्ट से।
Updated On: 31 Mar 2023, 10:40 am IST
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यह आहार वेट लॉस, हाई ब्लड प्रेशर में सुधार के साथ-साथ हृदय रोग के जोखिम को भी कम कर सकता है। चित्र: शटरस्टॉक

इन दिनों इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent fasting for heart) एक लोकप्रिय आहार पैटर्न के रूप में सामने आ रहा है। इसमें दो तरह से उपवास रखा जाता है। एक तो समय-प्रतिबंधित होता है, तो दूसरी तरफ वैकल्पिक दिन (Alternate Day) उपवास रखा जाता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है। यह सर्कैडियन रिद्म को सही करता है। केटोजेनेसिस सहित कई अन्य तरीकों की मदद से कार्डियोवैस्कुलर बीमारी के जोखिम को कम (Intermittent fasting for heart) कर सकता है। इसके लिए हमने बात की कानपुर के सूरी हॉस्पिटल में हेड ऑफ़ द डिपार्टमेंट  (कार्डियोलॉजी) डॉ. विजय सिंह से।

इंटरमिटेंट फास्टिंग वेट लॉस के अलावा, ब्रेन हेल्थ, बोन हेल्थ, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज यहां तक कि हार्ट हेल्थ के लिए भी बढ़िया बताया जा रहा है।

कार्डिएक कीटोन कार्डियो प्रोटेक्टिव होता है (Cardiac Ketone) 

डॉ. विजय सिंह बताते हैं, ‘यह कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, इंसुलिन और ब्लड शुगर लेवल को कम करके दिल और समग्र स्वास्थ्य में भी सुधार करता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग लिवर कोलेस्ट्रॉल सिंथेसिस को बाधित करके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है।

हार्ट प्रॉब्लम में प्रमुख एथेरोस्क्लेरोसिस के लिए सीरम टीसी और एलडीएल-सी स्तर सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारक हैं। फास्टिंग शरीर को टॉक्सिक सेल के ब्रेकडाउन और वेस्ट मटीरियल से छुटकारा पाने के लिए प्रेरित करता है। यह इन्फ्लेमेशन घटाता है और कीटोन बढ़ाता है। यह हार्ट के लिए इंधन का काम करता है। कार्डिएक कीटोन ओक्सिडेशन कार्डियो प्रोटेक्टिव होता है।’

वजन और लिपिड में सुधार (Weight Loss and HDL) 

इंटरमिटेंट फास्टिंग वेट लॉस के लिए खूब आजमाया जा रहा है। यह ओबेसिटी को घटाने में कुछ हद तक कारगर है। दरअसल, इंटरमिटेंट फास्टिंग केटोजेनिक अवस्था को प्रेरित करता है। यह अधिक वजन वाले व्यक्ति में पता चलता है। उपवास करने पर उनमें β-हाइड्रॉक्सीब्यूटाइरेट लेवल में वृद्धि हो जाती है। 8-8 घंटे के उपवास के बाद कीटोन लेवल का पता लगाया जा सकता है।

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इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन घटाने में मदद करती है। चित्र:शटरस्टॉक

यह फैट डिपोजिशन से वसा के उपयोग में कमी की शुरुआत होने का संकेत देता है। लो डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन (LDL) में कमी होती है। हाई डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन (HDL) के लेवल में वृद्धि होती है। शरीर एनर्जी के रूप में ग्लूकोज का उपयोग करता है।

मेटाबोलिज्म पर प्रभाव  (Metabolism)

डॉ. विजय सिंह के अनुसार, इस फास्टिंग के दौरान ऊर्जा के लिए फैटी एसिड और केटोन्स का उपयोग किया जाता है। इस परिवर्तन को आंतरायिक चयापचय स्विचिंग (intermittent metabolic switching) कहा जाता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग से वजन और लिपिड दोनों में सुधार होता है। इससे हार्ट हेल्थ को फायदा पहुंचता है।

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कीटोजेनिक डाइट लेने से अधिक फायदेमंद है इंटरमिटेंट फास्टिंग। कीटोजेनिक डाइट में अत्यधिक वसा का सेवन हानिकारक हो सकता है। यह ट्राइमिथाइलमाइन एन-ऑक्साइड के हाई लेवलसे जुड़ा हुआ है। यह हृदय संबंधी जोखिम से जुड़ा एक मेटाबोलाइट है, जो कीटोजेनिक आहार में अधिक पाया गया है

हृदय संबंधी रोगों पर प्रभाव (Intermittent fasting for heart)

पबमेड सेंट्रल के जर्नल ऑथर मेनुस्क्रिप्ट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, इंटरमाउंटेन हार्ट कोलैबोरेटिव स्टडी ग्रुप ने लगभग 648 रोगी पर फास्टिंग के प्रभाव को देखा। इसके निष्कर्ष में बताया गया कि हार्ट हेल्थ में प्रॉब्लम होने के बाद भी इंटरमिटेंट फास्टिंग हार्ट (Intermittent fasting for heart) को सुरक्षा प्रदान कर सकता है। स्टडी में ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जो रमजान के महीने में उपवास रखते थे

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हार्ट हेल्थ में प्रॉब्लम होने के बाद भी इंटरमिटेंट फास्टिंग हार्ट को सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
चित्र : शटर स्टॉक

इस्केमिक कार्डियोमायोपैथी के इतिहास वाले लोगों में वर्ष के अन्य महीनों की तुलना में रमजान के दौरान हार्ट फेलियर की घटनाओं में कमी देखी गई। शोधकर्ताओं ने कोरोनरी हार्ट डिजीज की घटनाओं में तुलनात्मक कमी पाई। एक महीने तक उपवास का पालन करने वाले लोगों में कोरोनरी हार्ट डिजीज के लिए कम जोखिम पाया गया।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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