सेहत-संवाद

स्पाइन हेल्थ एक्सपर्ट बता रहे हैं क्यों युवाओं में बढ़ती जा रही हैं रीढ़ की हड्डी की समस्याएं और इनसे बचाव के उपाय

अधिकतर लोग रीढ़ की हड्डी में होने वाली परेशानियों के प्रति लापरवाही बरतते हैं, वे दर्द को नजरअंदाज करते हैं और उनकी यह लापरवाही बाद में बड़ा रूप ले लेती है, जिससे आपकी रीढ़ की हड्डी डैमेज भी हो सकती है।
Apni reed ki haddi ka rakhe khayal
अपनी रीढ़ की हड्डी का रखें ख्याल। चित्र: शटरस्टॉक
Updated On: 2 Feb 2025, 10:42 pm IST

अंदर क्या है

  • रीढ़ की हड्डी का स्वास्थ्य
  • रीढ़ की हड्डी के स्वस्थ होने की जरूरत
  • रीढ़ की हड्डी में होने वाली सामान्य समस्याएं
  • इन समस्याओं से बचाव के उपाय

आपके खड़े होने, बैठने, यहां तक कि लेटने के लिए भी रीढ़ की हड्डी का स्वस्थ होना जरूरी है। यह शरीर का इतना जरूरी हिस्सा है कि, इसे मुहावरों में आत्मस्वाभिमान के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जो अपनी बात पर अडिग नहीं रहते, हम उन्हें स्पाइनलेस पीपल कह देते हैं। यह मुहावरा आपकी वैचारिक प्रतिबद्धता के साथ-साथ स्पाइनल कॉर्ड (spine health) की भूमिका के बारे में भी बताता है।

स्पाइन से जुड़ी समस्याएं इतनी तेजी से बढ़ रही हैं, किशोर और युवा भी कमर और गर्दन के दर्द की शिकायत कर रहे हैं। स्पाइन हेल्थ के बारे में जागरूक करने के लिए हेल्थ शॉट्स की विशेष साक्षात्कार श्रृंखला सेहत-संवाद में आज हमारे साथ हैं डॉ विकास टंडन। डॉ विकास इंडियन स्पाइनल इंजरीज़ सेंटर, दिल्ली में चीफ ऑफ स्पाइन सर्विसेज हैं।

Q. क्यों युवाओं में भी बढ़ता जा रहा है पीठ और गर्दन का दर्द? 

डॉ विकास टंडन पुअर स्पाइन हेल्थ (Spine health) के बारे में चेताते हुए है कहते हैं कि “ अधिकतर लोग इसमें लापरवाही बरतते हैं, वे दर्द को नजरअंदाज करते हैं और उनकी यह लापरवाही बाद में बड़ा रूप ले लेती है, जिससे आपकी रीढ़ की हड्डी डैमेज भी हो सकती है।”

इससे आपकी कमर में दर्द, स्‍कोलाइसिस, हर्निएटेड डिस्‍क, डिस्‍क प्रॉब्‍लम, अर्थराइटिस, स्‍पाइनल कॉर्ड इंजरी और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं और यह आपको अत्यधिक तकलीफ दे सकती हैं। ऐसे में वर्ल्‍ड स्‍पाइन डे जैसे आयोजन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

spine problems se kaise bachein
लंबे वक्त तक सही पोज़िशन में न बैठने से स्पाइन पर दबाव बढ़ने लगता है, जो दर्द का कारण साबित होता है। चित्र : अडोबीस्टॉक

अपनी दैनिक आदतों के कारण हम अनजाने में अपनी स्पाइनल कॉर्ड को इतना ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं कि कमर दर्द एक आम समस्या बन गई है। अगर आप भी अकसर कमर दर्द से परेशान रहते हैं तो आपको अपनी रीढ़ की हड्डी की सेहत पर ध्यान देना चाहिए। हेल्थ शॉट्स के इस लेख में रीढ़ की हड्डी की सेहत, उनमें होने वाली समस्याओं और समाधान के बारे में बात करते हैं।

Q. क्यों जरूरी है आपकी स्पाइन का स्वस्थ होना?

रीढ़ की हड्डी अर्थात मेरुदंड, यह आपके शरीर को एक सही पॉश्चर देने के लिए अत्यावश्यक है। मगर खराब लाइफस्टाइल, एक्सरसाइज की कमी और लॉन्ग सिटिंग के कारण रीढ़ की हड्डी का स्वास्थ्य लगातार खराब हो रहा है। दुनिया भर में लोग रीढ़ की हड्डी में होने वाली विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे हैं। स्पाइनल कॉर्ड आपके शरीर की वह सबसे जरूरी हड्डी है, जिसमें जरा सी भी समस्या आने पर, आपकी सेहत, दिनचर्या और उत्पादकता बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।

शरीर का भार संभालती है : एक स्वस्थ रीढ़ की हड्डी आपके शरीर को सहारा देती है। जिसके सहारे गर्दन, धड़ और और पूरा शरीर संभला रहता है। एक हेल्दी स्पाइनल कॉर्ड एक स्वस्थ शरीर का संकेत है।

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शरीर में लचीलापन बनाए रखती है : शरीर को हिलने-डुलने और लचीला बनाए रखने में रीढ़ की हड्डी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह 33 वर्टिब्रा से मिलकर बनती है, जिसके कारण आप सही तरह से झुक पाते हैं। यह आपके शरीर को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण है।

Healthy spine flexibility ke liye zaruri hai
लचीलापन बनाए रखने के लिए स्पाइन हेल्थ का सही होना जरूरी है। चित्र : अडोबीस्टॉक

तंत्रिका तंत्र में योगदान करती है : रीढ़ की हड्डी सिर्फ आपके शरीर को सहारा ही नहीं देती, बल्कि यह तंत्रिका तंत्र का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। मस्तिष्क से आने वाले संदेशों  को यह शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाने में मदद करती है।

Q. रीढ़ की हड्डी में होने वाली सामान्य समस्याएं कौन सी हैं? (Common problems of spinal cord)

उम्र के साथ रीढ़ की हड्डी का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है। वहीं कुछ पोषक तत्वों की कमी , खराब लाइफस्टाइल, गलत पॉश्चर और व्यायाम न करना भी आपकी रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। ये वे कारण हैं, जो किसी भी आकस्मिक चोट या दुर्घटना से अलग हैं। अर्थात जिनसे बचा जा सकता है। यहां हम रीढ़ की हड्डी में होने वाली सामान्य समस्याओं पर बात करते हैं-

स्लिप डिस्क (Slip Disc) : कमर दर्द का एक सबसे सामान्य कारण स्लिप डिस्क है। वास्तव में स्लिप डिस्क वर्टिब्रा के बीच मौजूद एक नर्म जेली जैसा पदार्थ है, जो वर्टिब्रा के बीच मौजूद होता है। किसी भी कारण से जब यह अपनी जगह से खिसक जाता है, या बाहर निकल आता है, तब स्लिप डिस्क की समस्या हो जाती है। इससे कमर दर्द के अलावा हाथ-पैरों में दर्द या सुन्नपन महसूस हो सकता है।

2. स्पॉन्डिलाइटिस (Spondylitis) : गर्दन और कमर के निचले हिस्से में होने वाले दर्द का सबसे आम कारण स्पॉन्डिलाइटिस है। यह रीढ़ की हड्डी में सूजन के कारण होता है। सूजन रीढ़ की हड्डी के जिस जोड़ में होती है, उसे उस नाम से संदर्भित किया जाता है। सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस गर्दन में और लम्बर स्पॉन्डिलाइटिस कमर में दर्द और समस्या का कारण बनता है।

3. स्कोलियोसिस (Scoliosis) : रीढ़ की हड्डी के असामान्य रूप से एक ओर झुक जाने को स्कोलियोसिस कहते हैं। यह आमतौर पर बच्चों और किशोरों में देखा जाता है। इसके गंभीर मामलों में शरीर का संतुलन प्रभावित हो सकता है।

4. कशेरुकाओं का फ्रैक्चर (Vertebral Fracture) : चोट, दुर्घटना, या ऑस्टियोपोरोसिस के कारण रीढ़ की हड्डी की हड्डियां टूट सकती हैं। इससे तीव्र पीठ दर्द और रीढ़ की संरचना में बदलाव हो सकता है।

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अपनी रीढ़ की हड्डी का रखें ख्याल। चित्र: शटरस्टॉक

5. साइटिका (Sciatica) : यह स्थिति तब होती है जब रीढ़ की नस (साइटिक नर्व) पर दबाव पड़ता है। इसके लक्षणों में पीठ के निचले हिस्से से लेकर पैरों तक तेज दर्द, जलन, या झनझनाहट शामिल है।

6. स्पाइनल स्टेनोसिस (Spinal Stenosis) : इसमें रीढ़ की नलिका संकरी हो जाती है, जिससे नसों पर दबाव पड़ता है। यह उम्र बढ़ने के साथ अधिक आम हो जाता है। इसके प्रारंभिक लक्षण हैं पीठ दर्द, चलने में कठिनाई, और पैरों में कमजोरी।

7. ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) : यह रीढ़ के जोड़ों में उम्र के साथ होने वाला एक अपक्षयी रोग है। यह जोड़ों की कठोरता और दर्द का कारण बनता है।

8. हर्नियेटेड डिस्क (Herniated Disc) : यह स्लिप डिस्क का ही एक प्रकार है, जहां डिस्क का हिस्सा बाहर निकलकर नसों पर दबाव डालता है। इसके लक्षण हैं दर्द, सुन्नता, और मांसपेशियों की कमजोरी।

9. कूब (Kyphosis) : इसमें रीढ़ की हड्डी पीछे की ओर झुक जाती है, जिससे व्यक्ति की मुद्रा (posture) बिगड़ जाती है। यह अक्सर बुजुर्गों में देखा जाता है।

10. स्पोंडिलोसिस (Spondylosis) : यह रीढ़ की हड्डी में उम्र से संबंधित घिसावट या अपक्षय है। यह गर्दन और पीठ के दर्द का सामान्य कारण है।

11. रीढ़ का ट्यूमर (Spinal Tumor) : रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर होने से नसों और हड्डियों पर दबाव पड़ सकता है। इसके लक्षणों में लगातार दर्द, सुन्नता, और कमजोरी शामिल हो सकते हैं।

12. ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) : इसमें हड्डियां कमजोर और भुरभुरी हो जाती हैं, जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। यह समस्या उम्रदराज व्यक्तियों, विशेष रूप से महिलाओं में अधिक होती है।

Q इन समस्याओं से कैसे बचा जा सकता है? 

सही आसन: बैठते और खड़े होते समय रीढ़ को सीधा रखें।
नियमित व्यायाम: रीढ़ की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए स्ट्रेचिंग और योग करें।
संतुलित आहार: कैल्शियम और विटामिन डी का पर्याप्त सेवन करें।
वजन नियंत्रित रखें: अतिरिक्त वजन रीढ़ पर दबाव डाल सकता है।
चोट से बचाव: भारी वजन उठाने और गलत तरीके से झुकने से बचें।
यदि किसी प्रकार की समस्या लंबे समय तक बनी रहती है, तो डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।

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डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
योगिता यादव
योगिता यादव

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय।

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