ठंड के मौसम में कई तरह की समस्याएं होती हैं। पोलूशन और ठंडी हवा दोनों मिलकर स्वास्थ्य समस्या को बढ़ा रहे हैं। ठंड के कारण लोग घर के अंदर रहने और लोगों से मिलने-जुलने पर भी इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। लगातार खांसी, बुखार, सांस लेने में दिक्कत जैसी परेशानी बढ़ जाती है। यह सच है कि ये सभी लक्षण कोविड के हैं, पर ये मौसमी बीमारियों यानी ठंड बढ़ने के कारण होने वाली समस्याएं (Seasonal diseases) हो सकती हैं। ठंड बढ़ने पर कुछ लोगों में सूखी खांसी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत (causes of dry cough and cold) होने लगती है। इसका मतलब यह नहीं है कि आप कोविड से पीड़ित हो गई हैं। आइये जानते हैं ठंड के कारण और कौन-कौन सी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
कम तापमान बीमार होने की संभावना को बढ़ा देता है। ठंडी हवा और नमी भी समस्या को बढ़ा देते हैं। जब ठंडी हवा नाक और ऊपरी वायुमार्ग में प्रवेश करती है, तो शरीर वायरस से लड़ने में प्रभावी नहीं रह जाता है । इसलिए कोल्ड, कफ, फ्लू (causes of dry cough and cold) और कोविड 19 जैसे वायरस भी अक्सर सर्दियों में अधिक आसानी से फैलते हैं।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (World Health Organization) के अनुसार, मौसम बदलने और ठंड बढ़ने पर इन्फ्लुएंजा का प्रकोप बढ़ जाता है। मौसमी इन्फ्लूएंजा एक एक्यूट श्वसन संक्रमण है, जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है। यह दुनिया के सभी भागों में फैलता है।
दुनिया भर में इस वार्षिक महामारी के कारण 3-5 मिलियन लोग गंभीर रूप से बीमार पड़ जाते हैं। इससे लगभग 2,90000 से 6,50000 श्वसन संबंधी मौतें होने का अनुमान है। एक अनुमान के मुताबिक, विकासशील देशों में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में 99% मौतें इन्फ्लूएंजा से संबंधित लोअर रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट के संक्रमण पाई जाती हैं।
सीजनल इन्फ्लूएंजा के कारण अचानक बुखार, खांसी हो सकती है। खांसी आमतौर पर सूखी, इनके अलावा सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, अस्वस्थ महसूस करना, गले में खराश होना और नाक बहना भी है। खांसी 2 या इससे अधिक सप्ताह तक रह सकती है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार, निमोनिया के कारण 2019 में दुनिया भर में 5 साल से कम उम्र के 740180 बच्चों की मौत हो गई। निमोनिया वायरस, बैक्टीरिया या फंगल इन्फेक्शन के कारण हो सकता है। टीकाकरण, पर्याप्त पोषण और पर्यावरणीय कारकों को संबोधित करके निमोनिया को रोका जा सकता है।
निमोनिया एक तरह का संक्रमण है, जो एक या दोनों फेफड़ों में हवा की थैली को फुला देता है। हवा की थैलियां द्रव या मवाद से भर सकती हैं। इससे कफ या मवाद के साथ खांसी, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। गंभीर मामलों में निमोनिया जानलेवा तक हो सकती है। इसके कारण बुखार, सूखी खांसी, सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द और भूख की कमी भी हो सकती है।
ठंड बढ़ने पर सबसे अधिक समस्या अस्थमा के मरीजों को होती है।वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के आंकड़े के अनुसार, 2019 में अस्थमा ने एक अनुमान के मुताबिक़ 262 मिलियन लोगों को प्रभावित किया। इसके कारण 455 000 लोगों की मृत्यु हो गई। अस्थमा नॉन कम्युनिकेबल डिजीज है। यह बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित करता है । फेफड़ों के वायुमार्ग में सूजन और संकुचन के कारण अस्थमा होता है। मांसपेशियों में सूजन और जकड़न के कारण फेफड़ों में वायु मार्ग संकीर्ण हो जाते हैं।
इससे सांस लेने में कठिनाई, सीने में जकड़न या दर्द, सांस लेने या छोड़ने पर घरघराहट की आवाज आती है। इसके कारण सोने में भी परेशानी होती है।
हार्वर्ड हेल्थ के अनुसार, ठंड के मौसम में ब्रोंकाइटिस की समस्या होती है। इसके कारण ब्रोन्कियल नलियों के लेवल में सूजन आ जाती है। ये नलियां ही हवा को फेफड़ों तक ले जाती है। जिन लोगों को ब्रोंकाइटिस होता है, उन्हें खांसने पर गाढ़े बलगम आते हैं । यह कम या ज्यादा भी हो सकता है। ब्रोंकाइटिस 2 सप्ताह या उससे अधिक समय तक भी रह सकता है। थकान महसूस करना, सांस लेने में दिक्कत होना, हल्का बुखार होना, ठंड महसूस होना और पीले या हल्के हरे रंग का मयूकस बनना इसके लक्षण हो सकते हैं। तीन हफ्ते से अधिक समय तक ब्रोंकाइटिस रहने पर डॉक्टर से तुरंत मिलें।
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