होमियोपैथी की छोटी–छोटी गोलियां भले ही उपचार में वक्त लेती हों, मगर ये समस्या को जड़ से खत्म करने में कारगर हैं। इस चिकित्सा पद्धति के फायदों से लोगों को जागरूक करने के लिए विश्व होम्योपैथी दिवस के उपलक्ष्य में डॉ बत्तरा हेल्थकेयर की ओर से विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान होमियोपैथी के विभिन्न पहलुओं की जानकारी प्रदान करने के लिए समूह चर्चा का आयोजन किया गया। इस चर्चा में होम्योपैथी एजुकेशन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ तरकेश्वर जैन और राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ अनिल खुराना शामिल हुए (World homeopathy day)।
वर्ल्ड होमियोपैथी डे (World homeopathy day) के उपलक्ष्य में हुए कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ अनिल खुराना ने बातचीत के दौरान कहा कि अगर आंकड़ों की बात करें, तो कोविड के बाद होमियोपैथी की ओर लोगों का रूझान तेज़ी से बढ़ा है। उस समय टेलिफॉनिक कंसल्टेशन बढ़ा और लोगों तक इसका फायदा पहुंचा। अगर पिछले 25 सालों पर नज़र दौड़ाएं, तो होमियोपैथी को रफ्तार मिली है और लोगों तक आसानी से पहुंच पा रही है। इसमें जहां होमियोपैथी में बीमा की भूमिका पर रोशनी डाली गई, तो वहीं इस क्षेत्र में महिला चिकित्सकों की भागीदारी पर भी चर्चा हुई।
होम्योपैथी एजुकेशन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ तरकेश्वर जैन कहते हैं कि इन दिनों लोग क्रॉनिक डिज़ीज़ से ग्रस्त हो रहे हैं। ऐसे में लॉन्ग टर्म मैनेजमेंट की आवश्यकता होती है। अगर आप ऐसे समय में होमियोपैथी (World homeopathy day) को अपनाते हैं, तो उससे समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है। साथ ही इससे शरीर को कोई भी साइड इफेक्ट का सामना नहीं करना पड़ता है। फिर चाहे अर्थराइटिस हो, डायबिटीज़ हो या अस्थमा। लोगों को इससे फायदा मिला है।
उन्होंने बताया कि पुरूषों के मुकाबले महिलाएं होमियोपैथी के क्षेत्र में हिस्सा ले रही हैं, जो एक वेलकमिंग साइन है। वे कहते हैं कि अगर महिलाओं को होमियोपैथी का ज्ञान होता है, तो उससे पूरी जनरेशन को फायदा मिलता है। उनका कहना है कि आज से बीस साल पहले होमियोपैथी के स्टूडेंट्स में ज्यादा तादाद लड़कों की होती थी। मगर अब ये पूरी तरह से रिवर्स हो चुका है। अगर 2100 बच्चे दाखिला ले रहे हैं, तो उसमें 1700 लड़कियां देखने को मिलती हैं।
डॉ मुकेश बत्रा ने बताया कि होमियोपैथी (World homeopathy day) की फील्ड में बड़ी तादाद में महिला डॉक्टर योगदान दे रही है। मगर ऑफिस और प्रोफेशनल लाइफ को बैलेंस न कर पाने के कारण अक्सर महिलाएं प्रोफेशन को छोड़ देती है। उन्होंने कहा कि महिला डॉक्टरों में अधिक केयर और सहानुभूति देखने को मिलती है। ऐसे में महिलाओं को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, ताकि वो भी बढ़चढ़ कर इस क्षेत्र में आगे बढ़ पाएं। इस मौक पर होम्योपैथी की बदलती भूमिका और इससे जुड़े सामान्य संदेह पर विचार साझा किए गए। साथ ही दुनियाभर में होमियोपैथी की बढ़ती लोकप्रियता पर भी बातचीत हुई। इसके अलावा लोगों में एलोपैथी और होमियोपैथी को साथ साथ न लिए जाने की धारणा पर भी डॉ मुकेश बत्रा ने अपने विचार प्रकट किए।
डॉ बत्तरा क्लीनिक के एमडी डॉ अक्षय बत्रा ने भी अपने प्रजेंटेशन के ज़रिए होमियोपैथी (World homeopathy day) के कुछ सफल मामलों की जानकारी दी और इसके फायदों के बारे में भी बताया। वहीं डायबिटीज़ के इलाज में होमियोपैथी की भूमिका पर बातचीत की गई, तो देश के उन राज्यों पर भी रोशनी डाली गई, जहां लोग बड़ी संख्या में इस चिकित्सा को अपना रहे हैं। इस मौके पर होमियोपैथी के क्षेत्र में डॉ मुकेश बत्रा के योगदान पर रोशनी डाली गई। साथ ही किताब से जुड़े कुछ अंश भी साझा किए गए। तेज़ी से लोकप्रियता बटोर रही इस चिकित्सा पद्धति से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी फायदा मिलता है।
इस मौके पर डॉ बत्तरा हेल्थकेयर के फाउंडर और चेयरमैन ने अपनी नई किताब “डिफिकल्ट होम्योपैथी केस स्टडीज़ हीलिंग पीपल, चेंजिंग लाइव्स” का विमोचन किया। इस किताब का मकसद न केवल लोगों को होमियोपैथी के फायदों की जानकारी देना है, बल्कि उन सक्सेस स्टोरीज़ के बारे में बताना है, जिससे एक नहीं, दो नहीं, न जाने कितने लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं से राहत मिली है। फिर चाहे हाई कोलेस्ट्रॉल हो, डायबिटीज़ हो, हाई ब्लड प्रेशर हो या त्वचा व बालों से जुड़ी समस्याएं।
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