कोरोना के बढ़ते हुए प्रकोप को देखते हुए इसकी वैक्सीन को इतनी तेजी से बनाया गया कि कई लोगों के मन में इसको लेकर कई तरह के सवाल पैदा हो गए। उन सवालों का कोई सही जवाब नहीं मिलने पर लोगों के मन में इस वैक्सीन को लेकर कई भ्रम पैदा हो गए। कई लोग ये मानते हैं कि कोविड वैक्सीन से महिलाओं में फर्टिलिटी कम होती है, तो कुछ लोगों का कहना है कि इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है। तो आज हम ऐसे ही कुछ मिथ्स (Myths about covid-19 vaccine) पर बात करेंगे जिन्होंने कोविड-19 वैक्सीन के बारे में लोगों के मन में संशय पैदा किया।
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने इन दावों की सत्यता जांची है और आपके लिए हेल्थ शॉट्स पर हम दे रहे हैं कोविड-19 वैक्सीन से जुड़े कुछ मिथ्स और उनकी सत्यता।
यू.एस. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के कोविड-19 वैक्सीन के वितरण को अनुमति देने के बाद एमडी, एमसीएच, सीनियर डायरेक्टर ऑफ इंफेक्शन प्रिवेंशन लिसा मारगाकिस और गेबोर केलेन, एमडी, डायरेक्टर जॉन्स हॉपकिन्स ने वैक्सीन से जुड़े कई मिथकों पर बात की है।
जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार कोविड-19 वैक्सीन प्रजनन क्षमता को प्रभावित नहीं करेगी। सच्चाई यह है कि कोविड-19 वैक्सीन शरीर में कोरोना वायरस पर पाए जाने वाले स्पाइक प्रोटीन की कॉपी बनाती है। यह शरीर के इम्यून सिस्टम को कोरोना वायरस में पाए जाने वाले स्पाइक प्रोटीन को पहचानना और वायरस से लड़ना सिखाती है।
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भ्रम की स्थिति तब पैदा हुई जब सोशल मीडिया पर एक झूठी रिपोर्ट सामने आई। जिसमें कहा गया था कि कोरोना वायरस पर मौजूद स्पाइक प्रोटीन एक अन्य स्पाइक प्रोटीन के समान था। जिसे सिंकिटिन -1 कहा जाता है, जो गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा के बढ़ने में मदद करता हौ। रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि कोविड 19 वैक्सीन लेने से महिलाओं का शरीर प्लेसेंटा वाले स्पाइक प्रोटीन से लड़ेगा और उसकी प्रजनन क्षमता प्रभावित होगी।
वास्तव में ये दोनों स्पाइक प्रोटीन पूरी तरह से अलग-अलग हैं। कोविड 19 वैक्सीन लेने से उन महिलाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित नहीं होगी, जो गर्भवती होना चाहती हैं। फाइजर वैक्सीन परीक्षणों के दौरान, अध्ययन में शामिल 23 महिला वॉलेंटियर गर्भवती हो गईं और एक गर्भवती महिला जिसका गर्भपात हुआ, उसे वास्तविक टीका नहीं, बल्कि प्लेसिबो दिया गया था।
उपरोक्त शोध के अनुसार COVID-19 वैक्सीन लेना कोविड से सबसे अच्छा बचाव है, भले ही आपको पहले से ही कोविड हुआ हो या न हुआ हो। अगस्त 2021 में प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि यदि आपको पहले कोविड हुआ था और टीका नहीं लगाया गया है, तो आपके दोबारा संक्रमित होने का जोखिम उन लोगों की तुलना में दोगुना अधिक है, जो संक्रमित थे और टीका लगवा चुके थे।
टीका लगवाना आपके साथ-साथ दूसरों को भी सुरक्षा प्रदान करता है क्योंकि टीका COVID-19 के प्रसार को कम करने में मदद करता है। आप जब भी टीका लेने जाएं आपके डॉक्टर को अपने कोविड के इतिहास के बारे में जरूर बताएं।
अध्ययन में पाया गया कि दोनों प्रारंभिक टीके लगभग 95% प्रभावी हैं और कोई गंभीर या जीवन को खतरे में डालने वाले दुष्प्रभाव सामने नहीं आए हैं। COVID-19 के टीके इतनी जल्दी विकसित किए जाने के कई कारण हैं। चीन ने कोविड-19 के बारे में आनुवंशिक जानकारी को तुरंत अलग करके साझा किया, ताकि वैज्ञानिक टीकों पर काम करना शुरू कर सकें।
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कस्टमाइज़ करेंसोशल मीडिया ने कंपनियों को अध्ययन करने के लिए वॉलेंटियर खोजने और एकत्रित करने में मदद की और कई लोग कोविड-19 वैक्सीन अनुसंधान में मदद करने के इच्छुक थे।
Pfizer, BioNTech और Moderna के COVID-19 टीके एक ऐसी विधि से बनाए गए थे जो वर्षों से विकसित हो रही है। ताकि कंपनियां महामारी के शुरुआती दिनों में ही टीका बनाने की प्रक्रिया शुरू कर सकें।
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सीडीसी (CDC) कोविड-19 के प्रसार पर लगातार निगरानी रखता है और उन लोगों को फेस मास्क पहनने की सलाह देता है, जिन्हें पूरी तरह से टीका नहीं लगा है। पर साथ ही उन्हें भी, जो पूरी तरह से टीका लगवा चुके हैं। यह भी अनुशंसा की गई है कि सभी अस्पतालों, देखभाल केंद्रों और कार्यालयों सहित डॉक्टर के कार्यालय में जाने पर मास्क और शारीरिक दूरी की आवश्यकता होती है।
जॉन हाॅपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार इस वैक्सीन से आपको कोविड नहीं होगा। दो अधिकृत mRNA टीके आपकी कोशिकाओं को एक ऐसे प्रोटीन को बनाने का निर्देश देते हैं जो SARS-CoV-2 कोरोना वायरस में पाया जाता है। यह आपके शरीर को वायरस को पहचानने और उससे लड़ने में मदद करता है। कोविड-19 वैक्सीन में SARS-Co-2 वायरस नहीं होता है, इसलिए आपको वैक्सीन से कोविड नहीं हो सकता है।
वैक्सीन से जो प्रोटीन मिलता है वो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को वायरस को पहचानने और उससे लड़ना सिखाता है। इससे आपको संक्रमण नहीं होगा।