जहां कोविड-19 के केस लाखों की तादाद में बढ़ने शुरू हो चुके हैं, वहीं एक नई बीमारी का कहर भारत में शुरू हो चुका है। महाराष्ट्र के पालघर जिले में हाई अलर्ट घोषित किया जा चुका है, वहीं पूरे राज्य में कांगो फीवर तेजी से फैल रहा है।
कांगो फीवर वायरस द्वारा संक्रमित जानलेवा बीमारी है, जो किलोनियों और पिस्सू से फैलती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, क्रिमीन-कांगो हेमोरेजिक फीवर, जिसे कांगो फीवर कहते हैं, वायरल बुखार है, जो शरीर में हैमरेज पैदा कर सकता है। यह पिस्सुओं के खून में रहता है और जब पिस्सू युक्त कोई जानवर मनुष्य के कॉन्टैक्ट में आता है, तो पिस्सू मनुष्य को संक्रमित कर देता है।
यह बुखार बहुत खतरनाक है और समय पर इलाज न होने पर जानलेवा भी हो सकता है।
सेंटर ऑफ डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) के अनुसार इस बुखार के प्रमुख लक्षण यह हैं:
·तेज बुखार
·पीठ में दर्द
· जोड़ों में तेज दर्द
· सर दर्द
·उल्टियां होना
·पेट दर्द
·आंखे लाल हो जाना
·जीभ और तालु पर लाल चक्कते
·गले पर लालामी
यही नहीं, गंभीर स्थिति में नाक से खून बहता है और रुकता नहीं है। कोई अन्य चोट लग जाए तो उससे भी खून बहना बंद नहीं होता।
मरीज का मूड और सेंस भी ठीक नहीं रहता है। बार-बार चिड़चिड़ाना, अपने परिवेश को समझ न पाना और होश में न रहने जैसे साइकोलॉजिकल लक्षण भी होते हैं।
इस बीमारी को सबसे पहले 1944 में क्रिमिया में देखा गया था, और यही बीमारी 1956 में कांगो में भी बुरी तरह फैली थी। इसकी मृत्यु दर 10 से 40 प्रतिशत है। यानी हर 100 मरीज में से 40 मरीज नहीं बचेंगे। यह समझाने के लिए काफी है कि यह बीमारी कितनी खतरनाक है।
इस बीमारी का कोई इलाज अभी मौजूद नहीं है। न ही इसकी कोई वैक्सीन बनी है। इसके लक्षणों का इलाज करने के लिए राइबावीरिन ड्रग का इस्तेमाल होता है।
यह तो आप पिछले कुछ महीनों में समझ ही चुके होंगे कि प्रीकॉशन्स लेना ही किसी भी बीमारी से बचने का सबसे सफल उपाय होता है। तो कांगो फीवर से बचने के लिए भी हमें सही प्रीकॉशन्स जानना और उनका पालन करना जरूरी है।
अब जैसे कि आप जानते हैं कांगो फीवर इंसानों में जानवरों से ही फैल रहा है और इस संक्रमण की सबसे प्रमुख जगह हैं कसाई बाड़े, क्योंकि जानवर के मरने के बाद पिस्सू उसका शरीर छोड़ते हैं और मनुष्य के शरीर पर चढ़ जाते हैं।
1. पहली और सबसे जरूरी सावधानी जो आपको बरतनी है, वह है नॉनवेज से दूर रहना। अगर आप मांसाहार की शौकीन हैं, तो कुछ समय इसे त्याग दें क्योंकि जानवर के मांस से यह आसानी से फैल सकता है।
2. कसाईबाड़ों से दूर रहें क्योंकि वहां पिस्सू फैलने की सबसे अधिक सम्भावना है।
3. अगर आपके घर में कुत्ता या अन्य जानवर हैं, तो उनके नियमित रूप से एन्टी-टिक दवा लगाएं। उनका बाहर जाना भी कम से कम रखें।
4. अगर आप जानवरों के NGO में काम करते हैं या आपका काम आपको जानवरों से सम्पर्क में लाता है तो कपड़ों पर एन्टी टिक पाउडर डालकर रखें और पूरे कपड़े पहन कर ही काम करें।
यह बीमारी बहुत घातक है और इस परिस्थिति में यह और अधिक जानलेवा हो जाती है। ऐसे में जरूरी है कि आप इस जानकारी को सभी के साथ साझा करें।