कोकोआ में मौजूद फ्लावनॉल्स कर सकते हैं आपके दिमाग को तेज, हम बताते हैं कैसे

किसने सोचा था कि कोकोआ का सेवन हमारे दिमाग के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। पर हां यह सच है।
Cocoa hai copper ka important source
कोकोआ है कॉपर का महत्वपूर्ण स्रोत। चित्र- शटरस्टॉक।
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 27 Nov 2020, 15:49 pm IST
  • 89

फ्लावनॉल्स असल में पौधों से मिलने वाले एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। फ्लावनॉल्स प्राकृतिक रूप से चाय, सेब और कोकोआ में मिलते हैं। जिनमे से कोकोआ में मौजूद फ्लावनॉल्स बहुत पौष्टिक होते हैं। कई वर्षों से इसके चिकित्सकीय लाभों को स्टडी किया जा रहा है।

इससे पहले स्टडी में कोकोआ का ब्लड प्रेशर कम करने और दिमाग मे ब्लड फ्लो बढ़ाने का प्रभाव देखा गया था।

कोकोआ के फायदों पर हुई एक नवीन स्टडी में दिमाग पर इसके प्रभाव को पढ़ा जाता है। जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित स्टडी में पाया गया है कि स्वस्थ वयस्कों का दिमाग मामूली वैस्क्युलर समस्याओं से बेहतर उभरता है अगर व्यक्ति ने कोकोआ का सेवन किया हो।

क्या कहती है ये स्टडी?

इस स्टडी में 18 प्रतिभागियों को कोकोआ दिया गया। इसमें से 14 प्रतिभागियों की मस्तिष्क की वैस्कुलर एक्टिविटी में सुधार नजर आया। “इससे पहले भी कुछ स्टडी में यह पाया गया था कि कोकोआ में मौजूद फ्लावनॉल्स का दिमाग की वैस्कुलर एक्टिविटी पर प्रभाव पड़ता है। लेकिन स्वस्थ वयस्कों में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है यह दर्शाने वाली यह पहली स्टडी है”, बताती हैं इस स्टडी की अध्यक्ष और यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉइस की शोधकर्ता कैटरीना रेन्डिरो।

ध्‍वनि स्‍नान आपके मस्तिष्‍क को रिलैक्‍स करता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
कोकोआ का सेवन आपके दिमाग के लिए फायदेमंद है। चित्र- शटरस्टॉक।

वह बताती हैं,”फ्लावनॉल्स छोटे छोटे कण होते हैं जो फल और सब्जियों में पाए जाते हैं। कोकोआ में ये फ्लावनॉल्स अधिक मात्रा में होते हैं और फायदेमंद होते हैं। ये दिमाग के काम करने की प्रक्रिया और कॉग्निटिव फंक्शन को बेहतर बनाते हैं।”

इस तरह हुई है ये स्टडी?

इस स्टडी के लिए 18 स्वस्थ वयस्कों को चुना गया जो स्मोक नहीं करते थे और उन्हें कोई दिल, दिमाग या सांस की बीमारी नहीं थी। इससे यह पता लगाया जा सकता था कि स्वस्थ व्यक्ति पर फ्लावनॉल्स का क्या असर होता है।

इन 18 प्रतिभागियों को दो अलग अलग कोकोआ दिए गए- एक जिनमें फ्लावनॉल्स ज्यादा थे और दूसरा जिसमें फ्लावनॉल्स कम। ना शोधकर्ताओं ना प्रतिभागियों को पता था कि किस में कौन सा कोकोआ है, ताकि परिणामों के लिए कोई पूर्वाग्रह ना रहे।

अब सभी प्रतिभागियों को 5 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड वाली हवा में सांस लेने को कहा गया। यह सामान्य हवा के मुकाबले 100 गुना अधिक था, जिससे दिमाग के वस्क्युलार को जांचा जा सके।

“सामन्यतः ऐसी स्थिति में शरीर ब्लड फ्लो बढ़ा देता है ताकि ऑक्सिजन ज्यादा पहुंचता रहे और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकाला जा सके”,वह बताते हैं।

अब इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी की मदद से दिमाग में ब्लड फ्लो को लाइट की मदद से देखा गया। इससे दिमाग के काम जैसे सोचना, निर्णय लेना और प्लान करना इत्यादि लिए गए और उन्हें जांचा गया।
“इससे पता चलता है दिमाग अत्यधिक कार्बन डाइऑक्साइड होने पर क्या करता है”, कहते हैं डॉ फबीआनी।

अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें

कस्टमाइज़ करें

ये भी पढ़ें- कोविड-19 की तीसरी लहर, एक एक्‍सपर्ट से जानिए क्‍या है जमीनी हकीकत

इसके साथ ही प्रतिभागियों को मुश्किल काम दिए गए

शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिभागियों में से ज्यादातर में कोकोआ फ्लावनॉल्स के संपर्क में आने के बाद एक मजबूत और तेज मस्तिष्क ऑक्सीजनेशन प्रतिक्रिया नजर आयी।

इस ब्रेन बूस्टिंग प्रोपर्टीज होती हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
इस ब्रेन बूस्टिंग प्रोपर्टीज होती हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

“कटरीना ने कहा,” उच्च फ्लावनॉल्स कोको में निम्न फ्लावनॉल्स कोको के स्तर के मुकाबले ऑक्सीजन का स्तर तीन गुना अधिक था, और ऑक्सीजन की प्रतिक्रिया लगभग एक मिनट तेज थी।”

कोको फ्लेवानोल्स को ग्रहण करने के बाद, प्रतिभागियों ने सबसे चुनौतीपूर्ण संज्ञानात्मक परीक्षणों पर भी बेहतर प्रदर्शन किया, 11% तेजी से समस्याओं को हल किया। हालांकि, आसान कार्यों पर प्रदर्शन में कोई औसत दर्जे का अंतर नहीं था।

शोधकर्ताओं ने पाया कि कोको फ्लावनॉल्स के प्रति सभी की अपनी अलग प्रतिक्रिया है। हालांकि अधिकांश लोगों को फ्लावनॉल्स सेवन से लाभ हुआ, लेकिन एक छोटा समूह था जिसे फायदा नहीं हुआ,” कटरीना ने कहा। 18 अध्ययन प्रतिभागियों में से चार में फ्लावनॉल्स के सेवन के बाद मस्तिष्क ऑक्सीकरण प्रतिक्रिया में कोई सार्थक अंतर नहीं था, न ही परीक्षणों पर उनके प्रदर्शन में सुधार हुआ।

यह भी पढ़ें – फैट और कैलोरीज की है चिंता, तो सर्दियों में इस तरह करें गोंद को अपनी डाइट में शामिल

“क्योंकि इन चार प्रतिभागियों के पास पहले से ही बेसलाइन पर सबसे अधिक ऑक्सीजनेशन प्रतिक्रियाएं थीं, यह संकेत देता है कि जो लोग पहले से ही काफी फिट हैं, उनमें सुधार के लिए बहुत कम जगह है। कुल मिलाकर, निष्कर्ष हैं कि फ्लेवोनोल्स के संपर्क में आने के बाद वैस्कुलर गतिविधि में सुधार होता है”, उनका निष्कर्ष है।

  • 89
लेखक के बारे में

ये हेल्‍थ शॉट्स के विविध लेखकों का समूह हैं, जो आपकी सेहत, सौंदर्य और तंदुरुस्ती के लिए हर बार कुछ खास लेकर आते हैं। ...और पढ़ें

हेल्थशॉट्स वेलनेस न्यूजलेटर

अपने इनबॉक्स में स्वास्थ्य की दैनिक खुराक प्राप्त करें!

सब्स्क्राइब करे
अगला लेख