अब तक हम सभी यही जानते आये थे कि अल्जाइमर डिजीज और डिमेंशिया इंसानों को होता है। इन स्वास्थ्य समस्याओं का सामना मनुष्य उम्र बढ़ने के साथ करता है। पर क्या आप जानती हैं कि आपके पालतू पशु (pets) जैसे कुत्ते और बिल्लियां भी इस समस्या से ग्रस्त हो सकते हैं। हालिया शोध बताते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ इन्हें भी मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम (dementia in pets) हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि सभी पशु डिमेंशिया के शिकार हों।
कोलोरेडो स्टेट यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ वेटरिनेरी मेडिसिन एंड बायोमेडिकल साइंसेज में पालतू कुत्तों और बिल्लियों पर अध्ययन किया गया। इस अध्ययन के निष्कर्ष के अनुसार, 8 वर्ष और उससे अधिक उम्र के पालतू कुत्तों में 14 -35 प्रतिशत तक डिमेंशिया देखा जा सकता है। वहीं 11 – 14 वर्ष की लगभग एक तिहाई बिल्लियां और 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र की 50 प्रतिशत बिल्लियां मनोभ्रंश (dementia) की शिकार हो सकती हैं। इसके लक्षण बाहरी तौर पर हल्के या सूक्ष्म भी हो सकते हैं। इसलिए इनके बारे में पेट ऑनर को बहुत अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है।
पालतू पशुओं द्वारा सीखी गई चीज़ों को भूलने लगना डिमेंशिया का सबसे पहला लक्षण हो सकता है। जैसे कि प्रशिक्षण के बावजूद कूड़े के डिब्बे का उपयोग नहीं करना, किसी भी स्थान पर पॉटी-सूसू करना।
भ्रम और भटकाव जैसे लक्षण दिखना। उनके सोने-जागने के चक्र में बदलाव हो जाना।
बिल्लियों का अधिक रोना या चिल्लाना। बिल्लियों में इसके लक्षण अधिक दिखते हैं। जैसे फुफकारने जैसी आवाज निकालना और स्वाट करना।
कुछ बिल्लियां पूरी रात जगी रह सकती हैं और चिल्लाती रह सकती हैं।
डिमेंशिया से पीड़ित होने पर कुत्ते-बिल्ली कूड़े के डिब्बे के पास जाते हैं, या कुछ ढूंढ नहीं पाते।
पेट डिमेंशिया पर एरिज़ोना विश्वविद्यालय के अध्ययन निष्कर्ष के अनुसार, कुत्ते अच्छे प्राकृतिक मॉडल हैं। उनमें मनुष्यों के समान ही कमी विकसित हो सकती है। उनका अध्ययन अधिक आसानी से किया जा सकता है, क्योंकि उनकी आयु मनुष्यों की तुलना में कम होती है। वे 7 साल की उम्र में ही सूक्ष्म लक्षण दिखा सकते हैं।
इससे मनुष्यों में बीमारी के बारे में जानने में मदद मिल सकती है। शोधकर्ता पालतू पशुओं की मृत्यु के बाद के ब्रेन टिश्यू का विश्लेषण कर रहे हैं। , इसमें कुत्तों के नमूनों की तुलना उन लोगों से की गई, जिन्हें डिमेंशिया था। इससे यह बेहतर ढंग से समझा जा सकेगा कि कुत्ते के मस्तिष्क की उम्र कैसे बढ़ती है।
सबसे पहले वेटेरिनरी डॉक्टर से मिलें और पेट की जांच कराएं। पशुचिकित्सक से उपचार के तहत दवा, सप्लीमेंट, आहार के बारे में पूछें। कुछ खाद्य पदार्थ भी ब्रेन हेल्थ में सहायक हो सकता है। सेलेगिलिन दवा कुत्तों में संज्ञानात्मक गिरावट के लक्षणों को कम कर सकती है। बिल्लियों को भी यह दवा दी जा सकती है।
अध्ययन निष्कर्ष मानते हैं कि इंसानों की तरह मनोभ्रंश से पीड़ित पेट को एक्सरसाइज में मदद मिल सकती है। एक्सरसाइज कुत्तों में संज्ञानात्मक गिरावट के जोखिम को कम कर सकता है। इसलिए अपने पेट (pets) को अपने साथ दौड़ायें और अन्य एक्टिविटी कराएं।
अपने पेट्स को कुछ नए कमांड सिखाएं। यदि वे आपकी कमांड समझ और सीख जाते हैं, तो उन्हें रिवॉर्ड दें। उन्हें ब्रेन एनरिचमेंट टॉयज दें। उनके टॉयज को इधर-उधर छुपा दें और उन्हें ढूंढने के लिए कहें। दूसरे पेट्स या इंसानों या मनुष्यों के साथ उनका सोशल एंगेजमेंट बनाए रखें। उनके साथ नियमित रूप से खेलें। इन सभी उपायों से आपके पेट्स डिमेंशिया जैसे कोगनिटिव डेक्लाइन से बचे रह सकते हैं।
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