बच्चों पर ज्यादा हो सकता है H3N2 वायरस का असर, जानिए कैसे रखना है अपने बच्चों का ख्याल
कोरोना ने देश से अभी विदाई नहीं ली थी कि एच3एन2 नामक वायरस (H3N2 Virus) ने दस्तक दे दी है। जिसके बाद प्राइवेट अस्पताल, सरकारी अस्पताल, क्लीनिक सभी जगह मरीज़ों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। देश के ज्यादातर राज्यों हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, उड़ीसा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों में इसका प्रकोप फैल रहा है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि छोटे बच्चे इस वायरस के सॉफ्ट टार्गेट हैं। इसलिए उन्हें बचाना और बिना डाॅक्टरी सलाह के दवा देने से बचना जरूरी है। यहां एक्सपर्ट बता रहे हैं कैसे आप अपने बच्चों को इस वायरस से बचा सकती हैं।
देश भर में फैल रहा है एच3 एन2 वायरस
खांसी, जुखाम, बुखार की शुरूआत देते वाला इन्फ्लुएंजा वायरस का यह वैरियंट, रौद्र रूप धारण कर चुका है। जिस कारण मरीज़ों को अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत पड़ रही है। वहीं गंभीर समस्या पर आईसीयू में भर्ती किया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस वायरस को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। साथ ही डॉक्टर्स का यह भी कहना है इस वायरस का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर हो रहा है। जिसमें पांच वर्ष से कम आयु के बच्चे शामिल हैं। जानकारी के लिए बता दे एच3एन2 के साथ एच1एन1 वायरस के मामले भी दिन प्रति दिन बढ़ने लगे हैं। इस दौरान सभी को सतर्क रहने की जरूरत है। खासकर बच्चों को ध्यान देने की आवश्यकता है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ संजय काला के अनुसार सेंट्रल गवर्मेंट ने हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा है कि एच3एन2 वायरस का प्रकोप मार्च अंत तक खत्म हो सकता है। हां तब तक लोगों को सतर्कता बर्तनी होगी, नहीं तो वे इसकी चपेट में आ सकते हैं। उन्होंने कहा मेडिकल कॉलेज में होने वाली आरटीपीसीआर रिपोर्ट में एच3एन2 वायरस के लक्षण शामिल हैं। कोरोना के मामले जो दर्ज हो रहे हैं, उसमें इसके लक्षण हैं। यह समय बेहद सतर्क रहने का है। ऐसे में बच्चों को जरा भी समस्या होने पर चाइल्ड स्पेशलिस्ट को दिखाना और परामर्श के बाद ही दवा लेने की सलाह है।
समस्या होने पर आईसीयू की पड़ सकती है जरूरत
चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर यामिनी जमोद के अनुसार इन दिनों मौसम में बहुत उतार चढ़ाव देखा जा रहा है। ऐसे में बच्चों पर खास ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि एच3एन2 वायरस का प्रकोप बच्चों में ज्यादा देखा जा रहा है। डॉ यामिनी के अनुसार बच्चों में तेज़ बुखार के साथ सांस लेने में दिक्कत, नाक बहने की समस्या देखी जा रही है। यह समस्या ज्यादातर पांच साल से कम आयु वाले बच्चों में हो रही है। यदि इस वायरस को नजर अंदाज किया तो शायद बच्चे को आईसीयू में भर्ती करने की ज़रूरत पड़ सकती है। इस वायरस से बचाव के लिए मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग करना उचित रहेगा।
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बिना डॉक्टर नो टेबलेट
डॉक्टर के अनुसार बिना किसी से जांच कराए, परामर्श लिए दवा का सेवन न करें। दवा कोई भी हो जब तक डॉक्टर की सहमति न हो उसका सेवन न करें। नहीं तो समस्या बड़ी हो सकती है। हालांकि इन्फ्लुएंजा के मरीज ज्यादातर सामान्य दवाईयों से सही हो रहे हैं। लेकिन कुछ लोग खुद ही एंटीबॉयटिक दवाओं का सेवन करना शुरू कर रहे हैं। उन्हें यह जानना चाहिए कि एच3एन2 वायरस में एंटीबायोटिक दवाएं काम नहीं आती हैं। तो न ही खुद सेवन करें न बच्चों को सेवन कराएं। डॉक्टर की सलाह है कि किसी भी प्रकार के लक्षण दिखने पर जो डॉक्टर दवाएं बताए उसका ही सेवन करें।
ऐसे करें बचाव एच3 एन2 वायरस से अपने बच्चों का बचाव
- भीड़ भाड़ वाली जगह पर जाने से पहले मुंह को मास्क से ढकें।
- बुखार या बॉडी पेन होने पर आवश्यकतानुसार पैरासिटामोल लें, समस्या ज्यादा है तो डॉक्टर के सलाह के बगैर कुछ न करें।
- बार-बार चेहरा और मुंह छूने से बचें, हांथों को सैनिटाइज करें या साबुन से धोएं।
- बाहर का भोजन करने से बचें, घर का बना हुआ भोजन करें।
- तला भुना कोई खाना न खाएं। पानी ज्यादा पिएं, फ्रेश रहें, किसी बात का तनाव न लें।
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