जहां बच्चे सुबह उठने का नाम नहीं लेते, वो वहीं बुजुर्ग नींद न आने की समस्या से हर वक्त परेशान नज़र आते हैं। जब देखो, तब हर छोटी आहट भी उन्हें बड़ा शोर नज़र आती है और झट से उठ जाते है। नींद आना यां न आना आपके बस में नहीं है। हां कुछ आदतों को सुधारा जाए तो नींद नियमित (Healthy sleep time) भी हो सकती है। मगर नींद न आने के पीछे उम्र भी एक बहुत बड़ा कारण है। तो आइए समझते हैं इस पाठशाला में सुलझाते हैं नींद से जुड़ी कुछ क्वेरीज़ और जानेंगे कि बच्चे इतना ज्यादा क्यों सोते हैं।
न्यू बाॅर्न बेबी(New born baby) की नींद 12 से 16 घंटे बताई जाती है
1से 2 साल का बच्चा 11 से 14 घंटे सोता है।
3 से 5 साल के बच्चे को 10 से 13 की नींद चाहिए होती है
6 से 9 साल का बच्चा 9 से 12 घंटे सो पाता है।
टीन एजर्स की नींद 8 से 10 घंटे की होती है, जो रूटीन के हिसाब से कभी ज्यादा और कभी कम भी हो सकती है।
18 से 60 साल तक के लोग 7 घंटे की नींद लेते हैं। वहीं 60 से ज्यादा उम्र के लोगों को कम से कम 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए।
नेशनल स्लीप फांउडेशन के शोध की मानें तो टीनएज गर्ल्स(Teenage girls) को 8 से 10 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है। वहीं 24 से लेकर 64 साल की महिलाओं को दिन में सात घंटे की नींद अवश्य लेनी चाहिए। एक रिसर्च में ये पाया गया है कि महिलाओं को पुरूषों के मुकाबले ज्यादा नींद की ज़रूरत होती है। हर महिला को पुरूष से 20 मिनट ज्यादा सोना चाहिए।
पीरियड्स में मूड स्विंग(Mood swing) होने के कारण नींद नहीं आती है।
मेनोपॉज की कंडीशन में महिलाएं पूरी तरह नहीं सो पाती
तनाव(Depression) के कारण महिलाओं को नींद नहीं आती है
प्रेग्नेंसी(Pregnancy) में शरीर में आने वाले बदलाव और हार्मोस चेंज होने के चलते नींद में डिस्टर्बेंस आने लगती है।
स्टडी में पाया गया है कि अगर रोज़ रात को आप एक ही समय पर सोते हैं, तो आप अच्छी नींद का अनुभव कर पाएंगे। इसके लिए आपको अपने रूटीन को बैलेंस करने की ज़रूरत है। अपने कामों को समय से निपटा लें, ताकि समय रहते सो पाएं और नींद पूरी होने से स्वास्थ्य उचित बना रहे।
रात को सोने से कुछ देर पहले तक गैजेटस से दूरी बना लें, ताकि आप आसानी से सो पाएं। दरअसल, बार बार फोन और टैब देख्उने से आपकी नींद उड़ जाती है और अगर आप उन्हें एक तरफ रखकर सो भी जाते हैं, तो मेलाटोनिन नाम के हार्मोंन को रिलीज़ होने में वक्त लगता है।
पूरी नींद पाने के लिए दिनभर में आने वाली झपकियों से खुद को दूर रखें अन्यथा रात मं अच्छी तरह से नींद नहीं आ पाती है। इसके अलावा खुद को कैफीन से भी बचाएं, जिसका अक्सर घंटों तक हमारे शरीर में रहता है। अगर आप चाय यां कॉफी के शौकीन है, तो सोने से कुछ देर पहले इनका सेवन करने से बचें।
किताबें पढ़ने से भी आपको गहरी नींद आती है। बहुत बार ऐसा होता है कि हम लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त तो करना चाहते है, मगर ऐसा हो नहीं पाता। ऐसे में कुछ नया जानने के इच्छुक लोग हमेशा किताबें पढ़ते हैं।, जो एक तरह की चिकित्सा है। अगर आपको भी अगली बार नींद न आए, तो किताब पढ़ना न भूलें।
सुबह और शाम का योग शरीर को सुकूल पहुंचाता है। साथ ही आपके आचरण में बदलाव आने लगता है, जो सेहत के लिए भी फायदेमंद साबित होता है। अगर आप भी शरीर को चुस्त दुरूस्त और पूरी नींद लेना चाहते हैं, तो मेडिटेशन का सहारा ज़रूर लें।
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