महिलाओं एवं पुरुषों दोनों की शारीरिक क्षमता अलग-अलग होती है। आप मानें या न मानें पर सेहत के मामले में भी यह अंतर नजर आता है। दोनों की शारीरिक बनावट, बॉडी फंक्शन और हॉर्मोन का फ्लो अलग होता है। प्यूबर्टी से लेकर प्रेगनेंसी और मेनोपॉज तक महिलाओं को बहुत सारे शारीरिक बदलावों से गुजरना पड़ता है। जबकि पुरुषों का शरीर इस तरह की प्रक्रिया से नहीं गुजरता। यही वजह है कि महिलाओं को अपनी सेहत पर पुरुषों की तुलना में ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। वर्ल्ड हेल्थ डे (world health day) के अवसर पर हम बता रहे हैं वे 4 जरूरी बातें (4 health tips), जो आपको अपनी सेहत के लिए अवश्य करनी चाहिए।
हर साल 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस यानि वर्ल्ड हेल्थ डे के रूप में मनाया जाता है। वर्ल्ड हेल्थ डे 2023 की थीम हेल्थ फॉर आल (health for all) रखी गई है। इसका मुख्य मकसद लोगों तक सेहत संबंधी जरुरी जानकारियां पहुंचाना और सेहत के प्रति लोगों को जागरूक करना है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस का उदेश्य स्वस्थ और बेहतर जीवन को बढ़ावा देना है। इस दौरान सभी स्वास्थ्य संस्थान, स्कूल, कॉलेज तथा अन्य सामाजिक संस्थानों पर कई प्रोग्राम किये जाते हैं। जिसमें लोगों का फ्री चेकअप, सेहत संबंधी जरुरी बातचीत और अन्य बिमारियों से बचाव के उपाय बताये जाते हैं।
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महिलाओं में पहले से ही पुरुषों की तुलना में हड्डियों के ऊतक कम होते हैं, लेकिन कैल्शियम की कमी होने से हड्डियों पर अधिक प्रभाव पड़ता है। यहां तक कि नाख़ून और मांसपेशिया भी कमजोर होने लगती हैं। इसके साथ ही मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजेन के गिरते स्तर के कारण शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसकी वजह से बोन डेंसिटी पर बुरा असर पड़ता है।
थायरॉयड जैसी हार्मोनल समस्यायों से पीड़ित महिलाओं को हड्डियों एवं जोड़ों से जुड़ी समस्या जैसे गठिया का खतरा बना रहता है।
इसलिए सही समय से कैल्शियम युक्त उचित खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल कर लें। हरी सब्जियां, फलियां और दाल शरीर में कैल्शियम की पूर्ति कर सकते हैं। क्रूसिफेरस सब्जियां, ड्राई फ्रूट्स, संतरा, बेरीज, बीज और दूध भी आपके शरीर को पर्याप्त कैल्शियम प्रदान करेंगे।
अगर फिर भी लगता है कि कैल्शियम की कमी स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है तो डॉक्टर की सलाह से सही कैल्शियम सप्लीमेंट लें।
जर्नल ऑफ़ नुट्रिशन एंड मेटाबोलिज्म द्वारा प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मेटाबोलिक रेट धीमा होता है। इसके साथ ही महिलाएं एक समान गतिविधि में भाग लेने के बावजूद पुरुषों की तुलना में कम कैलोरी बर्न करती हैं।
मेनोपॉज के दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण फैट प्रोड्यूस करने वाले एंजाइम (Aldh1a1) की मात्रा भी बढ़ जाती है। इन सभी फैक्टर की वजह से महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा वेट गेन करती हैं। साथ ही प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में अधिक पानी होने के कारण शरीर का वजन बढ़ने लगता है। ज्यादातर महिलाएं मां बनने के बाद काफी ज्यादा वेट गेन कर लेती हैं।
ऐसे में महिलाओं को शुरुआत से ही वेट मैनेजमेंट पर ध्यान देना चाहिए। मेनोपॉज के दौरान जरुरी एक्सरसाइज करें और प्रेगनेंसी के बाद यदि वजन नहीं कम हो रहा है, तो डॉक्टर से मिलें और सलाह लें। साथ ही डाइट पर विशेष ध्यान देना जरुरी है। एक सही खानपान आपके शरीर को स्वस्थ रखता है और एक्स्ट्रा वेट गेन नहीं होने देता।
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आमतौर पर महिलाएं पुरुषो की तुलना में अधिक भावुक होती हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन की माने तो इसका सबसे बड़ा कारण महिला एवं पुरुष के बिच का हार्मोनल अंतर है। महिलाओं के शरीर में मौजूद हॉर्मोन्स उन्हें अधिक भावुक बनाते हैं। ज्यादातर महिला छोटी-छोटी बातों पर भावुक हो जाती हैं। या उन्हें कोई भी बात बहुत जल्दी ठेस पहुंचा देती है। ऐसे में इसका असर उनके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
सभी महिलाओं को अपने भावनात्मक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की अधिक आवश्यकता है। यदि आपको अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं है, तो योग और मैडिटेशन जैसी गतिविधियों में भाग लेकर इसे सामन्य रखने की कोशिश कर सकती हैं। साथ ही उन लोगों से बातचीत करें, जिन्होंने भावनात्मक रूप से मजबूत और कठोर होकर जीवन में मुसीबतों का सामना किया है।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं की सेहत को शराब ज्यादा प्रभावित करती है। महिलाओं का शरीर शराब को अलग तरीके से मेटाबॉलाइज और अवशोषित करता है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑन अल्कोहल एब्यूज एंड अलक्होलिस्म द्वारा प्रकाशित स्टडी के अनुसार एक सामानय वजन वाले पुरुष की तुलना में महिला के शरीर में कम पानी मौजूद होता है।
यदि दोनों एक बराबर मात्रा में भी शराब पीते हैं, तो महिला के ब्लड में अधिक अल्कोहल ट्रांसफर होता है। जिसकी वजह से महिलाएं बराबर मात्रा में शराब पीने के बाद भी ज्यादा नशे में नजर आती हैं। साथ ही महिलाओं को हैंगओवर भी ज्यादा होता है।
महिलाओं के शरीर में मौजूद रिप्रोडक्टिव हॉर्मोन और साइकोलॉजिकल इफ़ेक्ट के कारण शराब पीने से महिलाओं के लिवर के प्रभावित होने का खतरा भी ज्यादा होता है। ऐसे में इन असुविधाओं से बचने के लिए अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए सीमित मात्रा में और कभी कभार ही शराब पियें।
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