हम करीब एक साल से कोरोनावायरस महामारी का प्रकोप झेल रहे हैं और पूरी दुनिया में इसकी वजह से रोग और अकाल मृत्यु हो रही हैं। अब नए साल की शुरुआत अच्छी खबर के साथ हुई है। भारत सहित दुनिया के कई देशों में वैक्सीनेशन शुरू हो गयी है।
हाल में डीजीसीआई ने भारत में कोरोनावायरस संक्रमण से बचाव के लिए दो वैक्सीनों के प्रयोग को मंजूरी दी है। ये हैं – कोवीशील्ड वैक्सीन, जिसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाया है। जबकि दूसरी, यानी कोवैक्सीन को भारत बायोटैक ने आईसीएमआर के सहयोग से तैयार किया है। आइये इन दोनों वैक्सीनों के बारे में और विस्तार से जानकारी लें।
यह वैक्सीन ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन के समान है। इसे रेप्लीकेशन डेफिशिएंट चिंपांज़ी एडिनोवायरल प्रोटीन से बनाया गया है। यह वही वायरस है जो चिंपांजियों में फ्लू का कारण होता है और इसकी प्रोटीन भी कोरोनावायरस की स्पाइक प्रोटीन की तरह ही होती है।
इस वैक्सीन के शरीर में पहुंचने के बाद हमारा शरीर वायरल स्पाइक प्रोटीन से बचाव के लिए इम्युनिटी तैयार कर लेता है, जो हमें आगे कोरोनावायरस से संक्रमित होने पर बचाता है।
डीजीसीआई से मंजूरी मिलने के बाद से इस वैक्सीन के 3 परीक्षण हो चुके हैं। इसे कोविड19 संक्रमण से बचाव में 70% प्रभावी पाया गया है और यह सुरक्षित भी है।
भारत बायोटैक द्वारा आईसीएमआर के सहयोग से निर्मित इस वैक्सीन को भी मंजूरी मिल चुकी है। इस वैक्सीन में, निष्क्रिय कोरोनावायरस पार्टिकल कण (पार्टिकल) का इस्तेमाल किया गया है। शरीर में प्रविष्ट होते ही यह प्रतिरक्षा तंत्र को सक्रिय कर देता है, जो भविष्य में होने वाले संक्रमण से बचाव करता है।
फिलहाल तीसरे चरण का परीक्षण जारी है लेकिन अब तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, इस वैक्सीन के निर्माता को यकीन है कि यह पूरी तरह सुरक्षित तथा प्रभावी वैक्सीन है।
दोनों वैक्सीनों के मामलों में चार से छह सप्ताह के अंतराल पर दो टीके लगवाने होते हैं। दूसरी खुराक लेने के दो सप्ताह बाद शरीर में सुरक्षात्मक इम्युनिटी बनने लगती है।
ये दोनों वैक्सीन निष्क्रिय वायरल पार्टिकल हैं। इसलिए इन्हें लेने के बाद वैक्सीन से कोरोनावायरस संक्रमण की कतई आशंका नहीं रहती।
अब तक मनुष्यों पर जितने भी परीक्षण किए गए हैं, वे सभी सुरक्षित पाए गए हैं। टीका लगने वाली जगह पर मामूली दर्द या सूजन हो सकती है, लेकिन किसी तरह का साइड इफेक्ट नहीं पाया गया है।
भारत सरकार ने दो चरणों में टीकाकरण शुरू करने का फैसला किया है। पहले चरण में, स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंटलाइन कर्मियों तथा बुजुर्गों (>50 वर्ष से अधिक) को वैक्सीन दी जाएगी। कोविड-19 संक्रमण से प्रभावित हो चुके लोगों को भी वैक्सीन लेने की सलाह दी गई है।
ऐसा इसलिए क्योंकि कई लोगों में एंटीबडीज़ निर्मित नहीं होती जो कि संक्रमण में कमजोरी की वजह से होता है। यदि ऐसा होता भी है, तो कई बार एंटीबॉडीज़ का स्तर 2-3 महीनों के बाद कम हो जाता है।
वैक्सीन लगवाना पूरी तरह स्वैच्छिक है और इसके लिए कोई जोर-जबरदस्ती नहीं की जाएगी। लेकिन वैक्सीन लेने की सलाह दी जाती है। एक अनुमान के मुताबिक, 60-70% लोगों को वैक्सीन दी जाएगी, जिससे हर्ड इम्युनिटी तैयार हो जाएगी और वायरस संक्रमण काफी हद तक कम हो जाएगा।
इस तरह महामारी पर नियंत्रण हो सकेगा, और फिर वैसे भी अब वक्त आ चला है नॉर्मल लाइफ को वापस लाने का! तो हैप्पी वैक्सीनेशन।
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