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कोविड-19: संभावित वैक्सीन की कतार में वैज्ञानिकों ने विकसित किया एंटीबॉडीज बनाने वाला टीका

कोरोनावायरस के मामले अब लाख की दर से बढ़ रहे हैं, और संभावित वैक्सीन की दुनिया में लगभग हर दूसरे दिन एक नई वैक्सीन का नाम सुनाई दे रहा है। इसी में अब एंटीबॉडीज विकसित करने वाला टीका तैयार किया गया है।
भाषा
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इसके तीसरे फेज का ट्रायल भारत में भी किया जाएगा। चित्र: शटरस्‍टाॅॅॅक

अमेरिका की बायोटेक कंपनी पीएआई लाइफ साइंसेज से कोरोनावायरस को समाप्तए करने के लिए एक ऐसा टीका विकसित किया है, जो शरीर में एंटीबॉडीज का निर्माण करेगा। जिससे कोरोनावायरस पूरी तरह खत्म हो जाएगा। रिप्लिकेटिंग आरएनए वैक्सीन का परीक्षण चूहों पर किया जा चुका है और अब इसका पहले चरण का ट्रायल शुरू किया जाना है।

एक अध्ययन के अनुसार वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कोविड-19 टीका विकसित किया है, जिसमें वे एंटीबॉडीज उत्पन्न करते हैं जो चूहों और स्तनपायी प्रा‍णियों में एक ही टीके से कोरोना वायरस को ”पूरी तरह से बेअसर कर देते हैं।

इस अध्ययन को करने वाले वैज्ञानिकों में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है। अमेरिका स्थित बायोटेक कंपनी पीएआई लाइफ साइंसेज के अमित खंडार सहित शोधकर्ताओं ने बताया कि मांसपेशियों में इंजेक्शन लगाने के दो सप्ताह के भीतर टीके का प्रभाव शुरू होता है।

‘साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, ”रिप्लिकेटिंग आरएनए वैक्सीन का प्रभाव चूहों में कोरोना वायरस को बेअसर करने में दिखाई दिया।

रिप्लिकेटिंग आरएनए वैक्सीन का प्रभाव चूहों पर सकारात्‍मक रहा है। चित्र: शटरस्‍टॉक

बढ़ाता है रोग प्रतिरोधक क्षमता

वैज्ञानिकों ने बताया कि इस प्रकार का टीका प्रोटीन की अधिक मात्रा को दर्शाता है, और वायरस-संवेदी तनाव प्रतिक्रिया को भी सक्रिय करता है, जो अन्य प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है।

उन्होंने कहा कि अमेरिका स्थित जैव प्रौद्योगिकी कंपनी एचडीटी बायो कार्पोरेशन द्वारा विकसित ‘लिपिड इनऑर्गेनिक नैनोपार्टिकल (एलआईओएन) रासायनिक प्रणाली का उपयोग करके आरएनए वैक्सीन को कोशिकाओं में पहुंचाया जाता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, नैनोपार्टिकल, टीके की वांछित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाता है और इसकी स्थिरता को भी बनाये रखता है।

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इस कमरे के तापमान पर एक सप्‍ताह तक रखा जा सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

कमरे के तापमान पर रह सकता है स्थिर

उन्होंने कहा कि टीका कमरे के तापमान पर कम से कम एक सप्ताह तक स्थिर रहता है।
शोधकर्ताओं ने प्रेस को दिये एक बयान में कहा, ”इसके घटक इसे बड़ी मात्रा में तेजी से निर्मित करने की अनुमति देंगे और यह मानव परीक्षणों में सुरक्षित और प्रभावी साबित होना चाहिए।
वैज्ञानिकों ने कहा कि वे वर्तमान में लोगों में वैक्सीन के चरण एक परीक्षण के वास्ते आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं।

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