अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन के अंतरराष्ट्रीय स्ट्रोक सम्मेलन 2021 में सामने आया कि, जिन लोगों को इस्केमिक स्ट्रोक होता है, उनमें कोविड-19 रोगियों की तुलना में – वृद्ध, पुरुष, ब्लैक रेस या उच्च रक्तचाप, टाइप 2 डायबिटीज या अनियमित दिल की धड़कन वाले रोगी शामिल हैं।
इस शोध में पाया गया कि कोविड-19 के रोगियों में स्ट्रोक का अधिक खतरा था, उनकी तुलना जिन्हें एक जैसे इन्फेक्शन थे जैसे इन्फ्लूएंजा और सेप्सिस।
शोधकर्ताओं और चिकित्सकों के लिए 17-19 मार्च, 2021 को आयोजित ये प्रीमियर वर्चुअल बैठक, स्ट्रोक और मस्तिष्क स्वास्थ्य को समर्पित थी।
विश्लेषण के लिए, शोधकर्ताओं ने अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के कोविड-19 कार्डियोवस्कुलर डिजीज रजिस्ट्री को, उनकी जनसांख्यिकीय विशेषताओं, चिकित्सा इतिहास और अस्पताल में जीवित रहने के लिए अस्पताल में भर्ती मरीजों के बीच स्ट्रोक के जोखिम की जांच करने के लिए एक्सेस किया।
इस अध्ययन के लिए कोविड-19 रजिस्ट्री डेटा में जनवरी और नवंबर 2020 के बीच पूरे अमेरिका में कोविड-19 के साथ अस्पताल में भर्ती 20,000 से अधिक मरीज शामिल थे।
सिएटल में वाशिंगटन विश्वविद्यालय में कार्डियोलॉजी के साथी और लीड अध्ययन लेखक Saate S. Shakil, M.D., ने कहा “इन निष्कर्षों से पता चलता है कि कोविड-19 स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाता है। हालांकि इसके लिए सटीक तंत्र अभी भी अज्ञात है।”
“जैसा कि महामारी अब भी जारी है, हम पा रहे हैं कि कोरोना वायरस सिर्फ एक श्वसन बीमारी नहीं है, बल्कि एक वैस्कुलर बीमारी है, जो कई अंग प्रणालियों को प्रभावित कर सकती है।”
कोविड-19 CVD रजिस्ट्री में दो सौ अस्सी लोगों यानि (1.4 प्रतिशत) को अस्पताल में भर्ती होने के दौरान, नैदानिक इमेजिंग द्वारा स्ट्रोक लगने की पुष्टि की गई थी। इनमें से 148 रोगियों (52.7 प्रतिशत) ने इस्केमिक स्ट्रोक का अनुभव किया, 7 रोगियों (2.5 प्रतिशत) में इस्केमिक अटैक (टीआईए) था और 127 रोगियों (45.2 प्रतिशत) ने रक्तस्राव स्ट्रोक का अनुभव किया।
कोविड-19 रोगियों के विश्लेषण में पाया गया कि – 64 प्रतिशत पुरुषों को स्ट्रोक की संभावना अधिक थी।
इस्कीमिक स्ट्रोक वाले चालीस प्रतिशत रोगियों में भी टाइप 2 मधुमेह था, बिना स्ट्रोक के लगभग एक-तिहाई रोगियों में और अधिकांश इस्केमिक स्ट्रोक के रोगियों में बिना स्ट्रोक वाले रोगियों की तुलना में उच्च रक्तचाप (80 प्रतिशत) था (58 यानी प्रति प्रतिशत)
इस्केमिक स्ट्रोक के रोगियों में से 18% में आर्टेरिअल फिब्रिलेशन था। जबकि बिना स्ट्रोक के 9 प्रतिशत लोगों में भी आर्टेरिअल फिब्रिलेशन था।
जिन मरीजों में स्ट्रोक पाया गया, उन्होंने अस्पताल में औसतन 22 दिन बिताये। साथ ही, बिना स्ट्रोक वाले मरीजों (16 फीसदी) की तुलना में स्ट्रोक वाले मरीजों की मौत दोगुनी थी।
यह भी पढ़ें – यह अध्ययन बताता है कि काम के दौरान छोटे ब्रेक लेना बढ़ा सकता है आपकी प्रोडक्टिविटी
डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।