वाशिंगटन की स्वानसी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि डिस्पोजेबल फेस मास्क पानी में खतरनाक रासायनिक प्रदूषक छोड़ते हैं। इस शोध में लेड आधारित, एंटीमनी, और तांबा सहित उच्च स्तर के प्रदूषकों का पता चलता है। जो आम डिस्पोजेबल फेस मास्क के सिलिकॉन-आधारित और प्लास्टिक फाइबर के भीतर होते हैं।
हाल ही में शोधकर्ताओं द्वारा किए गए परीक्षणों में विभिन्न प्रकार के मास्क का उपयोग किया गया था – जिसमें सादे फेस मास्क से लेकर फेस्टिव मास्क तक की जांच की गयी। परीक्षण किए गए सभी मास्क में प्रदूषकों के महत्वपूर्ण स्तर का पता चलता है। इन सभी मास्क ने सूक्ष्म / नैनोकणों और भारी धातुओं को पानी में छोड़ा।
शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि इसका पर्याप्त पर्यावरणीय प्रभाव होगा और इसके अलावा, सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए संभावित नुकसान हो सकते हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि बार-बार एक्सपोज़र खतरनाक हो सकता है, क्योंकि पाए जाने वाले पदार्थों में कोशिका मृत्यु, जीनो टॉक्सिसिटी और कैंसर के गठन के लिंक होते हैं।
डॉ. सरपर सर्प का कहना है कि: ” नए SARS-CoV-2 वायरस के प्रसार से निपटने के वैश्विक प्रयास में चीन में डिस्पोजेबल प्लास्टिक फेस मास्क (DPFs) का उत्पादन एक दिन में लगभग 200 मिलियन तक पहुंच गया है। हम पहले से ही एक महामारी से जूझ रहे हैं और ऐसे में ये डिस्पोजेबल प्लास्टिक फेस मास्क नये खतरे की घंटी है।”
स्वानसी यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के प्रोजेक्ट लीड डॉ. सरपर सर्प ने कहा: “हम सभी को मास्क पहने रखने की आवश्यकता है, क्योंकि वे महामारी को समाप्त करने के लिए आवश्यक हैं। लेकिन हमें फेस मास्क के उत्पादन पर अधिक शोध और विनियमन की भी आवश्यकता है। जिससे हम पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए जोखिम कम हो सके।”
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