कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए या नहीं? एक्सपर्ट दूर कर रहे हैं आपकी कन्फ्यूजन

लंबे लॉकडाउन के बाद अब जाकर स्कूल खुले हैं। मोबाइल, लैपटॉप और कमरों तक सीमित रहने वाले बच्चे अरसे बाद चहकते नज़र आ रहे हैं। इतने खुशगवार हालात के बीच कोरोना का नया वैरिएंट अगर आपकी भी चिंता बढ़ा रहा है, तो जानिए एक पेरेंट्स के नाते आपको क्या करना है।
corona khyal
वैक्सीन के साथ-साथ बच्चों को मास्क, सेनिटाइजर आदि का सुरक्षा कवच देना जरूरी है। चित्र: शटरस्टॉक
Published On: 16 Apr 2022, 04:06 pm IST
  • 122

कोरोना वायरस (Coronavirus) की चौथी लहर (4th wave) आने के बावजूद स्कूलों का खुलना पेरेंट्स के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। एक तरफ स्कूल खुल गए हैं, तो दूसरी तरफ कोरोना पीड़ितों की संख्या (Covid-19 update) में हर दिन बढ़ोतरी हो रही है। पूरी दुनिया के हर कोने में कोरोना पीड़ितों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। तब क्या वाकई आपको बच्चों को बाहर निकलने से रोकना चाहिए? या एहतियातन उपाय के साथ उन्हें स्कूल भेजा जा सकता है! आइए जानते हैं इस बारे में क्या है विशेषज्ञों की राय।

देश-दुनिया में बढ़ रही है पीड़ितों की संख्या

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो 14 अप्रैल, 2022 तक कोरोना पीड़ितों की संख्या 500,186,525 थी। भारत सरकार के स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार गुरूवार तक कोरोना पीड़ितों की संख्या 4,30,39,023 थी, जिसमें 1,007 मामले और जुड़ गए।

क्या ये कम्युनिटी प्रसार की शुरूआत है?

ओमिक्रॉन वैरिएंट का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. मौजूदा रिपोर्ट्स के अनुसार देश में कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो चुका है। इंडियन सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स सीक्वेंसिंग कंसोर्टियम ( इंसाकॉग) ने स्वीकारा ने अपने एक बयान में स्वीकारा कि देश में कोरोना का सामुदायिक प्रसार हो चुका है और जरूरत है इस खतरे को गंभीरता से लेने की. बयान में कहा गया है कि कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के कारण लोगों में डेल्टा संक्रमण जैसी समस्या नहीं हो रही है लेकिन परेशानी की बात यह है कि इसका प्रसार काफी तेज है।

covid 19 se apne bacchon ko bachaen
कोविड 19 से अपने बच्चों को लगाएं। चित्र: शटरस्टॉक

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, किसी भी संक्रमण का कम्युनिटी ट्रांसमिशन वह स्थिति है जिसमें लोग तेजी से संक्रमण का शिकार हो रहे होते हैं जबकि संक्रमण के स्रोत का पता नहीं होता है।आसान शब्दों में कहें तो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए भी संक्रमण होने की स्थिति कम्युनिटी ट्रांसमिशन का संकेत मानी जाती है। संक्रमित की कॉटैक्ट हिस्ट्री न होने पर भी उनमें संक्रमण की पुष्टि की जाती है।

सावधान रहना है जरूरी, क्योंकि संकट अभी टला नहीं है

देश में यूं तो महामारी से लड़ने की पूरी तैयारी की गई है और अब तक 11,294,502,059 वैक्सीन डोज भी दी जा चुकी हैं, फिर भी महामारी संकट टला नहीं है। सरकार के स्कूल खोलने के फैसले और बच्चों की सेहत के साथ बीमारी से बचाव से जुड़ी पेरेंट्स की तमाम चिंताओं पर हमने बात की गवर्मेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर, डॉक्टर हरिओम सोलंकी से।

डॉ. सोलंकी कहते हैं कि स्कूल बच्चों के लिए सिर्फ पढ़ने की जगह नहीं होती, बल्कि उनके सर्वांगीण विकास के लिए स्कूल जरूरी हैं। ऐसे में बेहद जरूरी है कि दो साल के लम्बे अंतराल के बाद अब स्कूल खुलें।

बच्चों के लिए कितना खतरनाक है नया वैरिएंट?

बात जहां तक बीमारी की है, तो ऐसा देखा गया है कि इस बीमारी का असर बच्चों पर मामूली सर्दी-जुकाम से ज़्यादा नहीं होता। चूंकि बच्चे बीमारी के कैरियर की तरह काम कर सकते हैं, तो उनसे घर में मौजूद बुजुर्गों तक भी बीमारी पहुंच सकती है। जो एक खतरनाक स्थिति हो सकती है। आमतौर पर बुजुर्गों में उम्र बढ़ने के साथ इम्युनिटी यानी रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है।

पोल

कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच बंद कर देने चाहिए स्कूल?

janiye covid - 19 XE variant ke baare mein
जानिए कोविड – 19 एक्सई वेरिएंट के बारे में सबकुछ. चित्र : शटरस्टॉक

बच्चों को स्कूल भेजें या न भेजें ?

बीमारी से बच्चों के बचाव के लिए उन्हें भी आम सावधानियां रखनी चाहिए जैसे मास्क पहनना, सैनेटाइजर या साबुन का इस्तेमाल कर हाथ धोना आदि। इसके साथ ही बारह साल से ऊपर के हर बच्चे को वैक्सीनेशन दिया जाना बेहद जरूरी है। यह वैक्सीनेशन आपके नजदीकी सरकारी अस्पताल में उपलब्ध है।

छोटे बच्चे मास्क लगाने से कतराते हैं, क्योंकि यह उनके लिए असुविधाजनक हो सकता है। ऐसे में सर्जिकल मास्क का इस्तेमाल एक बढ़िया विकल्प है, क्योंकि यह सुविधाजनक भी रहता है।

क्या है पेरेंट्स के लिए एक्सपर्ट का सुझाव

बच्चों में ओमिक्रॉन के जो लक्षण दिख रहे हैं, वे मुख्यत: शरीर में सांस लेने वाले मार्ग के संक्रमण (Respiratory tract infection) से जुड़े हैं, जैसे नाक बहना (Runny nose), गले में दर्द (Throat pain), शरीर में दर्द (Body ache), सूखी खांसी (Dry cough) और बुखार (Fever)। अगर आपके बच्चे में भी तमाम सावधानियों के बावजूद इस तरह के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो घबराएं नहीं उसे आइसोलेशन में रखें और बिना घबराए डॉक्टर की सलाह से इलाज शुरू करें।

यह भी पढ़ें : थकावट और नींद न आने की समस्या का कारण हो सकती है आपकी गट हेल्थ, जानिए इसे कैसे करना है दुरुस्त

  • 122
लेखक के बारे में

ये हेल्‍थ शॉट्स के विविध लेखकों का समूह हैं, जो आपकी सेहत, सौंदर्य और तंदुरुस्ती के लिए हर बार कुछ खास लेकर आते हैं। ...और पढ़ें

अगला लेख