देश में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामले चिंता का विषय बने हुए हैं। बीते 24 घंटों के दौरान दो लाख से ज्यादा नए मामले दर्ज किए गए। वहीं ओमिक्रोन वैरिएंट के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। जिसको देखते हुए विशेषज्ञ और डॉक्टर सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। अभी तक कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए मात्र वैक्सीन और सावधानियां ही उपाय थे। पर अब आपके लिए खुशखबरी है कि कोरोनावायरस से बचाव की दवा भी आ गई है। इसका नाम है मोलनुपिराविर (Molnupiravir)।
जी हां, मोलनुपिराविर (Molnupiravir) एंटी कोरोना ड्रग है। ऐसी दवा जो कोरोना वायरस संक्रमण को ठीक करने में सक्षम है। कई देशों में इस दवा को इजाजत दे दी गई है, वहीं अब भारत में भी इस दवा की इमरजेंसी इस्तेमाल करने की मंजूरी मिल गई है।
एंटीवायरल दवाएं वह दवाएं हैं जो संक्रमण से लड़ने का काम करती है। इन दवाओं को बिना डाक्टरी सलाह के लेने की अनुमति नहीं है। हर प्रकार के संक्रमण के लिए अलग-अलग एंटीवायरल दवाएं उपलब्ध हैं। ज्यादातर फ्लू के इलाज में एंटीवायरल दवाओं का उपयोग डॉक्टरों द्वारा मरीजों पर किया जाता है।
ये टैबलेट, कैप्सूल, सीरप, पाउडर या इंट्रावीनस यानी नसों के जरिए भी मरीज के शरीर में पहुंचाई जाती हैं। अन्य वायरल बीमारियों में एंटीवायरल ड्रग शुरू के 48 घंटों के भीतर दिए जाने की सलाह है। वहीं कोविड -19 के एंटीवायरल ड्रग की बात की जाए, तो इसका 5 दिन का कोर्स तैयार किया गया है और यह कैप्सूल है।
विश्व स्वास्थ संगठन (World Health Organisation) के अनुसार एंटीवायरल ड्रग हर साल करोड़ों लोगों की जान बचाने का काम करता है। एंटीवायरल ड्रग वायरस खत्म करने के लिए दो प्रकार से शरीर में काम करती है। पहला बैक्टीरिया पर सीधा हमला करके उन्हें खत्म करना और दूसरा बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकना।
दरअसल जब भी वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करता है, तो काफी तेजी से मल्टीपल होने लगता है। वायरस में मौजूद स्पाइक प्रोटीन हमारे शरीर की कोशिकाओं से चिपक जाते हैं और उन्हें खराब करना शुरू कर देते हैं। इसीलिए बीमारी की शुरुआत में ही एंटीवायरल ड्रग सबसे ज्यादा कामयाब है।
असल में Molnupiravir नई दवा नहीं है, बल्कि इसे इनफ्लुएंजा वायरस का इलाज करने के लिए विकसित किया गया था। यह दो नामों MK-4482 और EIDD-2801में थी। इसे कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज मे सफल पाया गया। जिसके बाद इसमें कुछ बदलावों के साथ इसे एंटीवायरल ड्रग के रूप में पेश किया गया है। यह मुंह के जरिए पानी से खाए जाने वाले कैप्सूल हैं। यह दवा कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकती है।
ड्रग की आवश्यकता को देखते हुए भारत में इस दवा को 13 भारतीय कंपनियां बना रहीं हैं। कोरोनावायरस संक्रमण से बचाने वाली इस दवा को भारत की बड़ी फार्मा कंपनियां जैसे डॉ रेड्डी,सन फार्मा, सिपला, हीटेरो और ऑप्टीमस व अन्य कंपनियां बना रहीं हैं। बताया जा रहा है कि सबसे पहले डॉ रेड्डी की दवाएं बाजार में उपलब्ध होंगी।
डॉ रेड्डीज ने इस दवा का Molflu नाम रखा है, जो बाजारों में आने के लिए तैयार है। इसके एक कैप्सूल की कीमत कंपनी ने 35 रूपये रखी है।
आईसीएमआर के मुताबिक कोरोना वायरस संक्रमण की इस नई दवा के कई स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं। आईसीएमआर के डॉ बलराम भार्गव के अनुसार मर्क की कोरोनावायरस गोली को कुछ ‘प्रमुख सुरक्षा चिंताओं’ के कारण राष्ट्रीय उपचार प्रोटोकॉल में नहीं जोड़ा गया है।
डॉ. भार्गव कहते हैं, “अमेरिका ने गंभीर-मध्यम कोविड रोग में 3% की कमी के साथ 1,433 रोगियों के आधार पर मोलनुपिरवीर को मंजूरी दी। दवा टेराटोजेनिसिटी, म्यूटेजेनेसिटी का कारण बन सकती है और कार्टिलेज को भी नुकसान पहुंचा सकती है। यह मांसपेशियों के लिए भी हानिकारक हो सकती है।
कोरोना वायरस संक्रमण के लिए इस दवा की डोज 200 एमजी होगी। इसे 5 दिन के कोर्स के तौर पर संक्रमित व्यक्ति को दिया जाएगा जिसमें कोरोना के गंभीर लक्षण होंगे। यह डेल्टा वैरिएंट पर पूरी तरह से काम करेगी। दिन में किसी भी संक्रमित व्यक्ति को 8 गोलियों का सेवन करना होगा। यानी 5 दिन में कुल मिलाकर 40 गोलियों का सेवन, जिसकी कीमत करीब 1400 रुपए होगी।
इस दवा का सेवन सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही करना है और इसे 18 साल से कम उम्र के लोगों को नहीं दिया जा सकता। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करने की अनुमति नहीं है।
ध्यान दें कि कोई भी व्यक्ति इसे अपनी मर्जी से इस्तेमाल नहीं कर सकता। केवल कोविड-19 के गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को ही डॉक्टरी सलाह पर यह दवा दी जाएगी। यह दवा दरअसल अमेरिकी फार्मा कंपनी Merck’s ने बनाई है। जिसे FDA ने फिलहाल कोरोना की दवा के तौर पर मंजूरी दे दी है।