देश में भले ही संक्रमण के मामलों का ग्राफ नीचे आ रहा हो, मगर अभी तक पूर्ण रूप से सभी का टीकाकरण नहीं हो पाया है। भारत में 16 जनवरी 2021 से सफलतापूर्वक टीकाकरण अभियान चल रहा है। हालांकि बच्चों के टीकाकरण को लेकर तैयारियां थोड़ी धीमी चल रही थी। हाल ही में 15 से 18 साल के बच्चों को कोवैक्सीन लगाई जानी शुरू हुई थी, लेकिन अब भारत में एक नई वैक्सीन कोर्बेवैक्स (Corbevax) को 12 से 18 की उम्र के बच्चों को लगाने की इमरजेंसी अनुमति दे दी गई है।
कोर्बेवैक्स खास इसलिए भी है, क्योंकि यह भारत की पहली सब प्रोटीन बेस्ड स्वदेशी वैक्सीन है। इसका ट्रायल पिछले साल ही शुरू कर दिया गया था। ट्रायल सफलतापूर्वक होने के बाद कंपनी का यह दावा है कि यह 80% तक कारगर पाई गई है। ट्रायल के परिणामों को देखते हुए ड्रग्स कंट्रोल जर्नल ऑफ इंडिया ने इस वैक्सीन की 12 से 18 साल तक के बच्चों को लगाने की अनुमति प्रदान कर दी है।
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो जल्द ही अब 12 साल और 14 साल के बच्चों का टीकाकरण भी शुरू हो जाएगा। इससे पहले 15 से 18 साल के बच्चों का टीकाकरण भारत बायोटेक की कोवैक्सीन द्वारा किया जा रहा था।
कोर्बेवैक्स कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ काम करने वाली स्वदेशी वैक्सीन है। जिसका निर्माण हैदराबाद की फार्मास्युटिकल कंपनी बायोलॉजिकल-ई लिमिटेड ने टेक्सस चिल्ड्रंस हॉस्पिटल के टीका विकास केंद्र के साथ मिलकर कर किया। यह एक आरबीडी प्रोटीन सब यूनिट वैक्सीन है। यानी यह पूरी तरह से प्रोटीन एंटीजन तकनीक पर आधारित है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इनको लेने के बाद इम्यूनिटी खुद ब खुद संक्रमण के संपर्क में आने के बाद एंटीबॉडी डेवलप करना शुरू कर देती हैं।
प्रोटीन सब यूनिट वैक्सीन का अर्थ यह है कि यह पूरे वायरस के बजाय उसके एक हिस्से का इस्तेमाल कर इम्यून रिस्पांस जनरेट करने का प्रयास करती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह वैक्सीन कोरोना वायरस संक्रमण के ही S प्रोटीन का इस्तेमाल करता है। जब वैक्सीन के माध्यम S प्रोटीन शरीर के अंदर पहुंचता है, तो बॉडी का इम्यून सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है।
यह वैक्सीन 12 से 18 साल की उम्र के लोगों को कब से लगने शुरु होगी इस बात की कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। हालांकि जल्द ही टीकाकरण अभियान में इस वैक्सीन को शामिल करने की बात कही जा रही है। बता दें, इस वैक्सीन का ट्रायल 5 साल से लेकर 18 साल तक के बच्चों के लिए किया गया था। हालांकि अभी 12 से 18 साल के बच्चों को लगाने की अनुमति दी गई है। पहली डोज के बाद दूसरी डोज में 28 दिन का अंतर रखा जाएगा।
हालांकि अभी तक इसका कोई साइड इफैक्ट सामने नहीं आया है। फिर भी सतर्कता के लिहाज से अभी तक इसके इमरजेंसी इस्तेमाल की ही अनुमति दी गई है। ट्रायल में इसे 80 फीसदी तक प्रभावी पाया गया है।