बिना डॉक्टर के दिशा निर्देश के किसी भी प्रकार की दवा का सेवन करना हमेशा नुकसान दायक होता है। फिर चाहे वह कोई आम सी गोली हो या गर्भनिरोधक गोली। क्या आप जानती हैं कि गर्भनिरोधक गोली के कितने सारे साइड इफ़ेक्ट होतें हैं। यह गोलियां आपके शरीर के साथ-साथ आपकी भावनाओं को भी अपना शिकार बना लेती हैं।
वॉकहार्ट अस्पताल, मुंबई में प्रसूति-स्त्रीरोग और सलाहकार विशेषज्ञ, डॉ. गंधाली देउरुखकर पिल्लई के अनुसार, गर्भनिरोधक गोलियों के नियमित सेवन के कारण कई मरीज़ आत्महत्या की प्रवृत्ति, क्रोध, मूडस्विंग और सिरदर्द का सामना करते हैं।
अब एक अन्य शोध में सामने आया है कि गर्भनिरोधक गोलियों को खाने से भावनात्मक स्वाास्य् ग भी बुरी तरह प्रभावित होता है।
साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन, यह समझने में मदद करता है कि बर्थ कंट्रोल पिल्स भावनात्मक जीवन को क्यों प्रभावित करती हैं।
डेनमार्क के आरहूस विश्वविद्यालय में अध्ययनकर्ता माइकल विंटरहल ने कहा- “ऑक्सिटोसिन शरीर में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक हार्मोन है। यह सामाजिक व्यवहार को मजबूत करने के लिए सामाजिक संकेतों और संबंधों के दौरान बनता है।”
“ऑक्सीटोसिन के लगातार ऊंचे स्तर का मतलब यह हो सकता है कि वह सामान्य परिस्थितियों में उसी गतिशील तरीके से नहीं बनता है। यह वही गति है जो हमारे भावनात्मक जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं।”
अब आप समझ गए होगें कि गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने के बाद आप भावनात्मक उथल-पुथल का अनुभव क्यों करतीं हैं। इस से यह भी साबित हो जाता है कि जो महिलाएं इन गोलियों का सेवन करती हैं उनमें घनिष्ठता, लगाव और प्यार जैसी भावनाएं क्यों बदलती रहती हैं।
निष्कर्षों के लिए, शोध टीम ने अमेरिका में 185 युवा महिलाओं के रक्त के नमूनों को एकत्र किया और उनका विश्लेषण किया। साथ ही उनसे कई सवाल पूछे गए।
इन गोलियों कि प्रतिक्रिया ऑक्सीटोसिन को भावनात्मक असंतुलन की ओर ले जाती है
ज्याेदातर महिलाओं को कभी न कभी गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करना पड़ता हैं। इस शोध के द्वारा यह साबित हो चुका है कि गर्भनिरोधक गोलियों के ज़रिए ऑक्सीटोसिन के स्तर में बदलाव होता है, जिसके कारण महिलाओं को मूड के बदलने का अनुभव होता है।
इस अध्ययन से पता चलता है कि महिलाओं के व्यवहार में बदलाव हो सकता है। यदि वह गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं, तो संभव है कि वह उसके साइड इफ़ेक्ट का भी अनुभव करती हैं।
विंटरहल ने कहा, “मानव सामाजिक प्राणी हैं, हम खुद को दूसरों के स्थान पर रखने में सक्षम हैं, सहानुभूति दिखाते हैं, अकेलेपन से डरते हैं और समुदाय की तलाश करते हैं – ये सभी ऑक्सीटोसिन के मस्तिष्क के स्राव से प्रेरित हैं।”
अंत में विंटरहल शोध के निष्कर्ष के रूप में कहते हैं- “हमारे दिमाग में होने वाले हर छोटे से छोटे बदलाव को ऑक्सीटोसिन द्वारा नियंत्रित किया जाता है। हम अपनी भावनाओं को कैसे व्यक्त करें, कैसे नही यह भी ऑक्सीटोसिन पर निर्भर करता हैं। और इस तरह हम एक-दूसरे से बातचीत करते हैं।“
ऐसे में बेहतर है कि बर्थ कंट्रोल पिल्सन खाने की बजाए आप अन्य। विकल्पों पर गौर करें।
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