सेलिब्रेटिंग पीरियड्स : सच्‍ची सहेली ने किया नवरात्रि में एक अनोखा कन्‍या पूजन

कन्‍या पूजन में लड़कियों का पहला पीरियड सेलिब्रेट करते हुए उन्‍हें माहवारी स्‍वच्‍छता के बारे में भी बताया।
पीरियड्स के बाद किया कन्‍याओं का पूजन। चित्र: सच्‍ची सहेली
पीरियड्स के बाद किया कन्‍याओं का पूजन। चित्र: सच्‍ची सहेली
योगिता यादव Updated: 10 Dec 2020, 01:49 am IST
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ज्‍यादातर लोगों से यही सुना है कि कन्‍या पूजन सिर्फ 12 वर्ष से छोटी बच्चियों का ही किया जाता है। पर इस बार पीरियड हाइजीन के लिए काम कर रहीं डॉ. सुरभि सिंह और उनकी टीम सच्‍ची सहेली ने पहली माहवारी से गुजरने वाली लड़कियों का कन्‍या पूजन किया। इसके साथ ही उन्‍हें पीरियड हाइजीन के लिए जरूरी टिप्‍स और गिफ्ट भी दिए।

अनोखा कन्‍या पूजन

पूर्वी-दिल्ली के मयूर विहार फ़ेज़ 2 स्थित गैर सरकारी संगठन सच्ची सहेली ने शनिवार 24 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी अवसर पर एक अनोखे कन्या-पूजन का आयोजन किया। जिसमें पहली माहवारी शुरू होने के बाद की उम्र लगभग 13 साल और उससे बड़ी उम्र की लगभग 50 कंजकों का विधिवत कन्या पूजन किया गया।

जरूरी है पीरियड्स मिथ्‍स को तोड़ना

सच्ची सहेली हमेशा से माहवारी से जुड़े मिथकों को तोड़ती आयी है। इसी श्रृंखला में फरवरी के महीने में माहवारी भोज का भी आयोजन किया गया था।

सच्ची सहेली ने खासतौर से ये आयोजन समाज की पुराने समय से चली आ रही उस रीति का खंडन करने के लिए किया, जिसके अनुसार नवरात्रि के शुभ पर्व पर सिर्फ कम उम्र वाली बच्चियों (जिनको माहवारी नहीं आती) को ही पूजने का प्रचलन है।

पीरियड्स मिथ्‍स को तोड़ना जरूरी है।चित्र: सच्‍ची सहेली
पीरियड्स मिथ्‍स को तोड़ना जरूरी है।चित्र: सच्‍ची सहेली

अशुद्ध नहीं है माहवारी

ऐसा माना जाता है कि एक बार माहवारी आने के बाद लड़की को कंजक में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। माहवारी को पूजा के स्थान से हमेशा ही दूर रखा जाता रहा है। इसको अशुद्ध माना जाता है, कुछ भ्रांतियों के चलते इस तरह की सोच आज भी समाज में चली आ रही है।

मां बनने की जरूरी प्रक्रिया है माहवारी

संस्था की संस्थापक डॉ. सुरभि का कहना है कि – स्त्री या कन्या हर उम्र में और हर रूप में पूजनीय है। अगर मां की पूजा की जाती है तो पीरीयड्स आने के बाद लड़की को अशुद्ध कैसे मान लेते हैं? एक तरफ़ तो हम देवी को मां कहते हैं वहीं दूसरी तरफ़ पीरियड्स को अशुद्ध, एक मां को पीरियड्स से अलग कैसे रखा जा सकता है ?

भेदभाव की बजाए हाइजीन है जरूरी

माहवारी के कारण कन्या के संग भेदभाव न हो और विशेष रूप से वो बच्चियां जिन्हें पहली माहवारी आयी हो उन्हें अपने शरीर और जीवन में आये इस बदलाव के लिए कोई कुंठा, भ्रम या पछतावा न हो इसलिए इन भ्रांतियों को अब तोड़ने का समय आ गया है।

इस तरह के रिवाजों और सोच को अब बदलने का वक़्त आ गया है। इसीलिए इस “नए युग के पूजन” के ज़रिये सच्ची सहेली कहती है, “नारी के हर रूप का सम्मान है …क्यूंकि देवी तो सबमे विराजमान हैI”

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पीरियड हाइजीन गिफ्ट

कार्यक्रम का आयोजन सच्ची सहेली की टीम से इला श्रीवास्तव, गौतममाया गुप्ता, नमिता भूरा, रचना सुधीन, शहनाज़ बानो, रिकिता नरूला, बरखा अरोरा, आकाश ने किया और उपहार के रूप में सभी कंजकों को पीरियड्स प्रबंधन में काम आने वाले 5 P pouch दिए गएI

सभी बच्चियां इस आयोजन से बेहद खुश और उत्साहित थीं। रूपाली ने कहा कि वो बहुत ख़ुश है। माहवारी के बाद पहली बार उन्हें दुर्गा पूजन पर फि‍र से कंजकों की तरह सम्मान मिला। समाज के सभी लोग इस नए युग के कन्या पूजन से सीख लेंगे ताकि सिर्फ माहवारी के कारण किशोरियों को अपवित्र मानकर उनकी अनदेखी न की जायेI

माहवारी पर शर्म नहीं स्‍वच्‍छता है जरूरी। चित्र: सच्‍ची सहेली
माहवारी पर शर्म नहीं स्‍वच्‍छता है जरूरी। चित्र: सच्‍ची सहेली

कोरोना काल में हो रहे इस कार्यक्रम में सेनिटाइजेशन और सोशल डिस्‍टेंसिंग का भी पूरा ध्यान रखा गया था।

इस मौके पर WCD दिल्ली सरकार की डायरेक्‍टर सुश्री रश्मि सिंह जी ने ऑनलाइन लाइव आकर के बच्चों से बात की। सच्ची सहेली के इस अनोखे कार्यक्रम की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि वैसे तो हम देवी को अमर और उमर के बंधन से परे मानते हैं, लेकिन जब कन्या पूजन करना हो तो कम उम्र की बच्चियों की पूजा करते हैं। मैं सच्ची सहेली को इस पहल के लिए धन्यवाद और शुभकामनाएं देती हूं।

इस अवसर पर DCPCR से रंजना प्रसाद व DMC के प्रेसिडेंट श्री अरुण गुप्ता जी भी मौजूद थे जिन्होंने कन्याओं को खाना खिलाकर उत्साह बढ़ाया।

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कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय। ...और पढ़ें

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