“प्राकृतिक औषधियों द्वारा कैंसर का शत- प्रतिशत इलाज, कीमोथेरेपी से बचें और कैंसर दूर करें”
इस प्रकार की आकर्षित करने वाली हेड लाइन्स आपने अक्सर कहीं न कहीं देखी या सुनी होंगी। ऐसी ही बहुत सारी भ्रमित करने वाली बातें कैंसर को लेकर समाज में या फिर व्हाट्सएप पर बहुत आम हो गई हैं। एक पढ़े-लिखे समाज में ऐसी भ्रामक अवधारणाओं (Cancer myths) के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
अच्छा सोचिए अगर आपके घर में बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट हो जाए, तो आप क्या करेंगे? इलेक्ट्रीशियन को बुलाकर ठीक करवाएंगे या फिर व्हाट्सएप या गूगल से कोई हल ढूढेंगे। अगर आप उसके लिए व्हाट्सएप अथवा गूगल पर नहीं जाएंगे, तो फिर कैंसर जैसी जटिल समस्याओं के लिए गूगल या वॉट्सएप क्यों?
आमतौर पर मरीज कैंसर के लेट स्टेज में हमारे पास पहुंचते हैं। उनमें से कई इसी प्रकार की अवधारणाओं के चलते ठीक हो सकने वाली बीमारी को अंतिम स्टेज तक पहुंचा देते हैं। उसके बाद इनका इलाज पहले की तुलना में और ज़्यादा मुश्किल हो जाता है। ऐसी ही कुछ बातों का आज हम स्पष्टीकरण करेंगे एवं उन भ्रमित करने वाली बातों से धूल हटाएंगे।
अक्सर लोग बायोप्सी करवाने से डरते हैं और कहते हैं कि सुई डालने या उसको छेड़ने से कैंसर फैल जाता है। यह एक पूर्णतः निराधार बात है। बायोप्सी करने से आपके कैंसर का न केवल पता चलता है, बल्कि उसके लिए किस प्रकार का इलाज संभव होगा, यह भी ज्ञात होता है।
कुछ कैंसर में हमें बायोप्सी की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन अधिकतर कैंसर बायोप्सी द्वारा ही पता चलते हैं और इसमें बायोप्सी से कैंसर के फैलने का न ही कोई प्रमाण है और न कोई वैज्ञानिक कारण इसलिए बायोप्सी से मत डरिए। अपने कैंसर विशेषज्ञ से सलाह करिए।
कैंसर एक कठिन बिमारी अवश्य है, मगर हर कैंसर जानलेवा नहीं होता। यदि सही समय पर पता चल जाए और उचित उपचार मिले, तो कैंसर का इलाज एवं कैंसर से ठीक होना संभव है। कैंसर के आधुनिक इलाज आज नई उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं और कैंसर से ठीक होने वाले मरीजों की तादाद लगातार बढ़ रही है।
आम धारणा के विपरीत कैंसर एक व्यक्ति से दूसरे को नहीं फैलता। ये कोई छूत की बिमारी या संक्रमण नहीं है जो कि सिर्फ छूने, साथ बैठने, खांसने या छींकने से फैल जाए। कैंसर होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ कारण जेनेटिक (अनुवांशिक) वातावरण से जुड़े हुए या कुछ वाइर्सेस से हो सकते हैं। लेकिन कैंसर के रोगियों के साथ मिलने-जुलने, उनके साथ भोजन करने या उनसे गले मिलने या हाथ मिलाने से कैंसर नहीं फैलता।
प्राकृतिक तत्व जैसे कि साफ हवा, पानी एवं खाना सभी के लिए अच्छे हैं। योग प्राणायाम एवं पौष्टिक आहार, सभी को सेवन करना चाहिए और यह हमारी रोग अविरुद्ध शक्ति (इम्युनिटी) को बढ़ाते भी हैं। मगर ये कैंसर का मूलभूत इलाज नहीं है। कैंसर के उपचार के लिए वैज्ञानिक एवं प्रमाणित इलाज ही उपयोग होने चाहिए केवल इन वैकल्पिक इलाज प्रणालीयो से यह संभव नहीं ।
कैंसर नवजात शिशु से लेकर नौजवान एवं वृद्ध सभी आयु वर्ग के लोगों को हो सकता है। हालांकि कुछ कैंसर ऐसे हैं जो कि आमतौर पर वृद्धावस्था में ही होते हैं। मगर कुछ ऐसे भी हैं जो कि ज्यादा आम है इसलिए हम सभी को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। कैंसर इस बदलते समय की एक कड़वी सच्चाई है।
जरूरत यह है कि हम कैंसर के बारे में अपनी जानकारी बढ़ाएं और अवधारणाओँ से बचें। अपने डॉक्टर से मिलकर सही जानकारी पाए और दूसरों को भी गलतफहमियों से बचाएं।
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