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अगले तीन सालों में और ज्यादा बढ़ सकते हैं तंबाकू से होने वाले कैंसर के मामले, जानिए क्या कहते हैं शोध

अगर आप किसी भी तरह से तंबाकू का सेवन करती हैं, तो उसे छोड़ने की दिशा में अभी से पहल करना शुरू कर दें। वरना बहुत देर हो सकती है और ये कैंसर का कारण बन सकता है।

चलिए जानें क्या वजह है कैंसर की संख्या में आई बढ़ोत्तरी की, चित्र:शटरस्टॉक
शालिनी पाण्डेय Updated: 12 Sep 2022, 14:16 pm IST
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दुनिया भर में अलग-अलग तरह के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पर इनमें मध्यम और निम्न आय वर्ग के देशों में ऐसे मामले और भी ज्यादा देखे जा रहे हैं। विभिन्न शोधों में यह बात सामने आई है कि न केवल खराब हाइजीन और डाइट के कारण इन देशों में कैंसर के मामले बढ़े हैं, बल्कि असुरक्षित माहौल भी पराबैंगनी और अन्य प्रदूषकों से होने वाले नुकसान को बढ़ा देता है। भारत के संदर्भ में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले तीन सालों में यहां तंबाकू से होने वाले कैंसर के मामले कई गुणा बढ़ सकते हैं।

भारत लंबे समय से कैंसर से जूझ रहा है, लेकिन नए अनुमानों के अनुसार पिछले कुछ सालों से यह काफी तेज़ी से बढ़ रहा है। कभी बुढ़ापे की बीमारी समझा जाने वाला कैंसर अब युवाओं और बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रहा है।

बीते कुछ सालों में, 50 साल से कम उम्र के लोगों में कैंसर होने का खतरा बढ़ रहा है। नेचर रिव्यू क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित बोस्टन, मास में ब्रिघम और महिला अस्पताल के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन के अनुसार, 1990 के दशक की शुरुआत में, स्तन, फूड सिस्टम, गुर्दे, यकृत और अग्न्याशय के कैंसर में काफी बढ़ोतरी हुई है। यहां तक कि 2025 में तंबाकू के सेवन से जुड़े कैंसर की संख्या 4,27,273 होगी।

कैंसर के बारे में क्या कहते हैं शोध

राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अनुसार, वर्तमान में, स्तन कैंसर के केस की औसत आयु 62 है, जबकि प्रोस्टेट कैंसर के लिए यह 66, कोलोरेक्टल कैंसर के लिए 67 और फेफड़ों के कैंसर के लिए उम्र की औसत सीमा 71 वर्ष है ।
मेडिकल जर्नल द बीएमजे में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के सेवन से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
अध्ययन ने 46,000 से अधिक पुरुषों और 150,00 महिलाओं के आहार का विश्लेषण किया। वे क्या खा सकते हैं और क्या नहीं। जिससे कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों के बीच संबंध का पता लगाया जा सके। प्रतिभागियों के फॉलोअप के 24-28 वर्षों के बाद, शोधकर्ताओं ने पुरुषों में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों और कोलोरेक्टल कैंसर के बीच एक लिंक पाया, लेकिन यह लिंक महिलाओं में नहीं मिला।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ गायनोकोलॉजिकल के नए अध्ययन से पता चलता है कि स्टेज 4 सर्वाइकल कैंसर के मामले 2001 से काफी बढ़ गए हैं। अध्ययन में विस्तार से बताया गया कि जिन पुरुषों ने अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का ज़्यादा सेवन किया, उनमें कोलोरेक्टल कैंसर विकसित होने का जोखिम 29% अधिक था।

क्या हैं कैंसर के इतनी तेजी से बढ़ने के कारण

कैंसर मल्टीस्टेज प्रॉसेस में सामान्य कोशिकाओं के ट्यूमर कोशिकाओं में परिवर्तन होने से उत्पन्न होता है। कोशिकाएं प्री कैंसर से घातक ट्यूमर तक बढ़ती जाती हैं। ये परिवर्तन किसी व्यक्ति के आनुवंशिक कारकों और बाहरी एजेंटों की तीन श्रेणियों के बीच परस्पर क्रिया का परिणाम हैं, जिनमें शामिल हैं:
भौतिक कार्सिनोजेन्स (physical carcinogens), जैसे कि पराबैंगनी और आयनकारी विकिरण (ionizing radiation)
रासायनिक कार्सिनोजेन्स (chemical carcinogens), जैसे एस्बेस्टस, तंबाकू के धुएं के घटक, शराब, एफ्लाटॉक्सिन (मिलावट के लिए इस्तेमाल होने वाला पदार्थ), और आर्सेनिक (पीने के पानी में मिलावट के लिए इस्तेमाल होने वाला पदार्थ)
जैविक कार्सिनोजेन्स (chemical carcinogens), जैसे कि कुछ वायरस, बैक्टीरिया या परजीवी से होने वाले संक्रमण।

जानें कैंसर के कारक और उपाय, चित्र: शटरस्टॉक

कैंसर के जोखिम कारकों में एक व्यक्ति का वजन, जीवन शैली, तंबाकू और शराब का सेवन, अन्हेल्दी डाइट, शारीरिक निष्क्रियता और वायु प्रदूषण कैंसर और अन्य नॉन कम्यूटेबल रोगों की वजह हैं।
पर्यावरणीय जोखिम और माइक्रोबायोम भी इनमें शामिल हैं। नए अध्ययन के अनुसार, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स कोलोरेक्टल कैंसर की वजह बनते हैं।
तंबाकू और शराब का सेवन, अन्हेल्दी डाइट, शारीरिक निष्क्रियता और वायु प्रदूषण कैंसर और अन्य नॉन कम्यूटेबल रोगों की वजह हैं।

कुछ खास देशों में ज्यादा तेजी से बढ़ रहे हैं कैंसर के मामले
कैंसर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में एक खास समस्या है। विश्व स्तर पर 2018 में ठीक किए गए लगभग 13% कैंसर कार्सिनोजेनिक संक्रमणों के लिए जिम्मेदार थे। जिनमें हेलिकोबैक्टर पाइलोरी, मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी), हेपेटाइटिस बी वायरस, हेपेटाइटिस सी वायरस और एपस्टीन-बार वायरस शामिल हैं।

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हेपेटाइटिस बी और सी वायरस और कुछ प्रकार के एचपीवी लिवर और सर्वाइकल कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं। एचआईवी के संक्रमण से सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा छह गुना बढ़ जाता है और कापोसी सरकोमा जैसे चुनिंदा अन्य कैंसर विकसित होने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है।

उन कारणों से बचिए, जो कैंसर कारक हैं

कैंसर से बचने और इसके रोकथाम रणनीतियों को अपना कर 30 से 50% कैंसर को रोका जा सकता है। इसका जल्द पता लगाने, कैंसर रोगियों के उचित उपचार और देखभाल के माध्यम से भी कैंसर के बोझ को कम किया जा सकता है। जल्दी निदान शुरू किया जाए और उचित उपचार किया जाए तो कैंसर के ठीक होने की संभावना अधिक होती है। कैंसर के खतरे को कम करने के लिए इन उपायों पर गौर करना भी जरूरी है –

तंबाकू का उपयोग नहीं करना
स्वस्थ शरीर के अनुकूल वजन को बनाए रखना
फल और सब्जियों सहित स्वस्थ आहार खाना
नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि
शराब के सेवन से बचना या कम करना
एचपीवी और हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना
पराबैंगनी किरणों के जोखिम से बचना, जो मुख्य रूप से सूर्य और कृत्रिम उपकरणों के संपर्क में आने से हो सकते हैं।
स्वास्थ्य की देखभाल करना।

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