इन दिनों चिकित्सा में प्रकृति और प्राकृतिक चीज़ों की खूब मदद ली जा रही है। सदियों से आयुर्वेद, होमियोपैथी, नेचुरोपैथी में उपचार के लिए प्रकृति प्रदत्त जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता रहा है। इन दिनों एक और चिकित्सा पद्धति की चर्चा हो रही है, जिसका नाम है ज़ायरोपैथी। इसमें बीमारी के मूल कारण का इलाज करके स्वास्थ्य में सुधार किया जाता है। इन दिनों कैंसर के उपचार में जायरापैथी के इस्तेमाल की बात की जा रही है। पर क्या यह वाकई कैंसर जैसी जटिल समस्या का उपचार कर सकती (Zyropathy for cancer) है? आइए जानते हैं इस बारे में सब कुछ।
ज़ायरोपेथी क्या है और यह कैसे काम करती हैं इसके लिए हमने बात की ज़ायरोपैथ के फाउंडर और ज़ायरोपैथोलोजिस्ट डॉ. नरेश कुमार से।
ज़ायरोपैथ चिकित्सक डॉ. नरेश कुमार कहते हैं, ‘इस चिकित्सा पद्धति में शरीर में हुई बीमारी के कारणों पर मुख्य रूप से काम किया जाता है। शरीर के लिए भोजन सबसे जरूरी है। इसलिए केवल भोजन से ही बीमारी को ठीक किया जा सकता है। ऐसा भोजन, जो पोषक तत्वों से भरपूर हो। जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान कर रोगों को खत्म करने में मदद करे। इस में शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए भोजन की खुराक के संयोजन का उपयोग किया जाता है। यह बिना किसी साइड इफेक्ट के बीमारियों में लंबे समय तक राहत प्रदान करता है।’
डॉ. नरेश कुमार के अनुसार, ज़ायरोपैथी में शरीर की प्रतिरक्षा यानी इम्युनिटी सिस्टम पर काम किया जाता है। इम्यून सिस्टम ही शरीर को बाहरी आक्रमण और आंतरिक विकारों से बचाता है। यह मानव शरीर और उसके अंगों की मरम्मत के लिए भोजन की खुराक और नेचुरोपैथी के कॉम्बिनेशन का उपयोग करती है। यह बीमारी के मूल कारण को खत्म करती है।
शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाये रखने के साथ शरीर के सभी सेल को पर्याप्त न्यूट्रीशन भी उपलब्ध कराया जाता है, जिससे बीमारी को समाप्त करने के लिये अधिक से अधिक एनर्जी बनाई जा सके। इन दोनों प्रक्रियाओं के माध्यम से शरीर के अंदर मौजूद कैंसर सेल को खत्म करने की कोशिश की जाती है। साथ ही अपक्षरण हुये (Erosion) कैंसर सेल को बाहर निकाला जाता है।
कैंसर एक पुरानी अपक्षयी बीमारी (chronic degenerative disease) है। यह सबसे खतरनाक बीमारी है, जो शरीर की कोशिका या कोशिकाओं के समूह की असामान्य वृद्धि का कारण बनती है। इसके कारण घातक ट्यूमर (Malignant Tumor) हो जाता है। वर्ल्ड हेल्थ ओर्गेनाइजेशन के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया में हृदय रोगों के बाद कैंसर के कारण लोग सबसे अधिक मरते हैं।
यूनाइटेड किंगडम कैंसर रिसर्च ऑर्गनाइजेशन जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, कैंसर के शुरुआती चरणों में हमारी प्रतिरक्षा कोशिकाएं अलग-अलग कैंसर कोशिकाओं के पैदा होने पर मारने का अच्छा काम करती हैं। इसे उन्मूलन चरण (eliminating phase) के रूप में जाना जाता है। यहां प्रतिरक्षा कोशिकाएं शांति से अपना काम करती हैं।
कैंसर का इलाज किये बिना उसका खत्म होना दुर्लभ है। हर मामले में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उपचार की आवश्यकता होती है। दरअसल, कैंसर कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं की तरह काम नहीं करती हैं। वहीं जब कैंसर चौथे स्टेज में पहुंच जाता है, तो मुश्किल बढ़ जाती है।
नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट ऑफ़ अमेरिका में हुए शोध के मुताबिक कैंसर के उपचार में इम्यूनोथेरेपी का प्रयोग किया जाता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने में मदद करता है। प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर को संक्रमण और अन्य बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। यह सफेद रक्त कोशिकाओं और अंगों और लिम्फ सिस्टम के ऊतकों से बना है। इम्यूनोथेरेपी एक प्रकार की जैविक चिकित्सा है। इसमें कैंसर के इलाज के लिए जीवित जीवों से बने पदार्थों का उपयोग होता है। इसमें सफलता की दर 20-50 प्रतिशत के बीच होती है।
पबमेड में प्रकाशित अमेरिका के इंटरनेशनल लोमलिंडा यूनिवर्सिटी के शोध के अनुसार, फाइटोकेमिकल्स से भरपूर प्लांट बेस्ड फ़ूड कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में सक्षम होते हैं। बेरी, पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, मूली, फूलगोभी, ब्रोकोली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, सरसों का साग, लहसुन, टमाटर आदि कैंसर पेशेंट को दिया जा सकता है।
कोई भी प्राकृतिक चिकित्सा तभी कारगर है, जब कैंसर का पता शुरुआती स्टेज में चल जाए। चौथे चरण में पता चलने पर कैंसर का इलाज पूरी तरह नहीं किया जा सकता है। संभव है कि व्यक्ति की लोंगिविटी (Longevity) बढ़ जाए।
यह भी पढ़ें :- world homeopathy day 2023 : सर्दी-जुकाम-बुखार से लेकर आर्थराइटिस तक इन 6 बीमारियों के समाधान में कारगर है होमियोपैथी