जीन और पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए फैमिली की सही प्लैनिंग जरूरी है। समय पर बच्चे पैदा होना जरूरी है। एक महिला के जीवन में शिशु एक बड़ा बदलाव लेकर आता है। इसलिए उनका स्वस्थ रहना जरूरी है। उनके स्वस्थ रहने पर ही बच्चा स्वस्थ होगा। कुछ महिलाओं को रुमेटीइड गठिया (Rheumatoid Arthritis) होता है। रुमेटीइड अर्थराइटिस होने पर दवाएं भी ली जाती हैं। अब सवाल यह है कि ये दवाएं क्या बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकती है? क्या अर्थराइटिस डिलीवरी को भी प्रभावित कर सकता (rheumatoid arthritis and pregnancy ) है? इन सभी के बारे में विशेषज्ञ से जानते हैं।
गुरुग्राम के मैक्स हॉस्पिटल्स में एसोशियेट डायरेक्टर (ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलोजी) और औरा स्पेशलिटी क्लिनिक की डायरेक्टर डॉ. रितु सेठी बताती हैं, ‘कुछ शोध के अनुसार रुमेटीइड अर्थराइटिस से पीड़ित कुछ महिलाओं को बिना बीमारी वाली महिलाओं की तुलना में गर्भधारण करने में अधिक कठिनाई होती है। जरूरी नहीं है कि सभी को समस्या हो।
अर्थराइटिस अधिक होने पर दवाएं गर्भधारण और बच्चे के विकास को कुछ हद तक प्रभावित कर सकती है। गर्भावस्था से पहले योजना बनाना जरूरी है। रुमेटोलॉजिस्ट और ऑब्सटेट्रिशियन इस दौरान होने वाली समस्या को नियंत्रित कर सकते हैं। जिन महिलाओं में यह अच्छी तरह से नियंत्रित होता है, उनकी गर्भावस्था और बच्चे उन महिलाओं की तुलना में अधिक स्वस्थ होते हैं, जिन्हें गर्भवती होने के समय वास्तव में सक्रिय बीमारी होती है।
डॉ. रितु सेठी बताती हैं, ‘गर्भावस्था के लिए प्रयास करने से पहले रुमेटीइड अर्थराइटिस को 3 से 6 महीने तक नियंत्रित किया जाना चाहिए। जिन महिलाओं को अनियंत्रित रुमेटीइड अर्थराइटिस है, उनमें समय से पहले डेलिवरी और गर्भकालीन आयु के हिसाब से लम्बाई कम होने जैसी जटिलता का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे शिशु को शुरुआत में अधिक देखभाल की जरूरत पड़ती है।
रुमेटाइड अर्थराइटिस को नियंत्रित करने के लिए आमतौर पर एंटी रुमेटिक दवाओं की जरूरत पड़ती है। गर्भावस्था से पहले और उसके दौरान सुरक्षित एंटी रुमेटिक दवा की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। हालांकि सभी दवा सुरक्षित नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए मेथोट्रेक्सेट जैसी दवा गर्भावस्था को नुक्सान पहुंचा सकती है। इसलिए इस दवा को कम से कम तीन महीने पहले बंद कर देना चाहिए। इससे जन्म दोष होने की संभावना होती है। किसी भी दवा को रुमेटोलॉजिस्ट और गायनेकोलोजिस्ट से पूछकर ही लेनी चाहिए।‘
डॉ. रितु सेठी के अनुसार, अर्थराइटिस पीठ या हिप्स को प्रभावित करता है। गर्भ के अंदर बढ़ रहे बच्चे के कारण इनमें अधिक दर्द देखा जा सकता है।बच्चे के बढ़ने पर जॉइंट्स पर अधिक तनाव पड़ता है। इससे पेल्विक रीजन में विकृति आ सकती है। यदि यह समस्या नहीं होती है, तो रुमेटीइड अर्थराइटिस सामान्य योनि प्रसव कराने की क्षमता को प्रभावित नहीं कर पाता है। गर्भावस्था के दौरान रुमेटीइड अर्थराइटिस बढ़ने पर समय से पहले, कम वजन वाले बच्चों का खतरा बढ़ जाता है। सिजेरियन डिलीवरी की जरूरत बढ़ जाती है।
गर्भावस्था के दौरान प्रसव के बाद आपको जिस मदद की जरूरत होगी, उसके लिए योजना बनाना जरूरी है। भले ही बीमारी अच्छी तरह से नियंत्रित हो, आपको अन्य नई माताओं की तुलना में अधिक थकान हो सकती है। इसलिए बच्चे के आने के बाद अतिरिक्त सहायता की जरूरत होगी।
इसका कोई सबूत नहीं है कि आरए दूध उत्पादन को कम करता है। कुछ महिलाओं को बच्चों को स्तनपान कराने के लिए पकड़ने की कोशिश करते समय दर्द का अनुभव होता है। अगर उनका आरए अच्छी तरह से नियंत्रित नहीं होता है।
स्तनपान से बच्चे को अर्थराइटिस नहीं दे सकती हैं, लेकिन कुछ दवाएं दे सकती हैं। कई दवाएं स्तनपान के दौरान उपयोग करने के लिए सुरक्षित हैं। कई मामलों में स्तन के दूध के माध्यम से मेडिसिन पाथवेज अपेक्षाकृत कम होता है।
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