रोशनी हर एक के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। हमारे सोने और जागने की प्रक्रिया बहुत हद तक रोशनी की उपलब्धता पर निर्भर करती है। यही स्थिति अन्य जीवों के लिए भी है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि अगर रात को लाइट जला कर सोया जाए, तो मलेरिया के जोखिम (Connection between light and spreading of malaria) को कम किया जा सकता है। पर क्या ये तरीका वाकई कारगर है? आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
दुनिया अभी तक मलेरिया (Malaria) के खिलाफ जंग नहीं जीत पाई है। साल 2000 के बाद से कुल मामलों की संख्या प्रति 1000 जनसंख्या पर लगभग 81.1 मामलों से घटकर 59 प्रति 1000 हो गई है। फिर भी वैश्विक स्तर पर 2020 में लगभग 240 मिलियन मलेरिया के मामले सामने आए हैं, जिनमें से 600000 लोगों की मौत हो गई।
पूरे अफ्रीका में मलेरिया एक खतरा बना हुआ है। यहां हर साल मलेरिया के 94% मामले आते हैं और 96% मौतें होती हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 80 फीसदी मौतें बच्चों की हैं।
हालांकि, वैक्सीन मलेरिया (Malaria Vaccine) से बचने में मदद कर सकती हैं, लेकिन मच्छर (Mosquito) इतनी तेज़ी से म्यूटेट हो रहे हैं कि यह वैक्सीन के प्रभाव को कम कर सकते हैं। यहां तक कि मच्छर कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) विकसित कर रहे हैं। यह स्थिति कई वेक्टर नियंत्रण विकल्पों को तेज करने और नई रणनीतियों की खोज करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों की प्रजातियों को चकमा देने के लिए आर्टिफिशियल लाइट (Artificial light) का उपयोग किया जा सकता है। जिसकी वजह से मच्छरों को यह पहचानने में मुश्किल हो सकती है कि रात है या दिन। यह लोगों को मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के काटने से सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है।
मच्छरों का एनोफिलीज समूह, अफ्रीका के सभी मलेरिया मामलों के लिए जिम्मेदार है। यह मच्छर मादाएं संभोग के बाद, रक्त की तलाश करती हैं। ऐसा करने पर, वे प्लास्मोडियम परजीवी को स्थानांतरित करती हैं, जो मलेरिया का कारण बनता है। यही कारण है कि जब सही तरीके से उपयोग किया जाता है, तो मॉस्किटो नेट इतने प्रभावी होते हैं। जब लोग रात को सो रहे होते हैं, तो ये मच्छरों को काटने से रोकते हैं।
रोशनी पर हम सभी का जीवन निर्भर करता है, फिर चाहे वे इंसान हों या जानवर। मगर आजकल लोग नेचुरल लाइट के बीच में नहीं रहते हैं। दुनिया के लगभग 80% लोग आर्टिफिशियल लाइट में रहते हैं। तो, मलेरिया पर इस तरह के आर्टिफिशियल लाइट का क्या प्रभाव हो सकता है?
घरों में इस्तेमाल होने वाली आर्टिफिशियल लाइट मच्छरों के जीव विज्ञान को बदल सकती है। उदाहरण के लिए, एलईडी लाइट की एक छोटी पल्स, आमतौर पर घरों में “डाउनलाइट्स” या रीडिंग लैंप के रूप में उपयोग की जाने वाली रोशनी, एनोफिलीज मच्छरों के काटने में घंटों तक की देरी कर सकती है। इसलिए मच्छरों का कम काटना मलेरिया के जोखिम को कम कर सकता है। आर्टिफिशियल लाइट मच्छरों को भोजन न करने के लिए प्रेरित करती है।
ऐसे में सरकारें मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों से बचाव के लिए कई घरों में आसानी से एलईडी लाइटें लगा सकती हैं। मगर इसके मानव स्वास्थ्य पर अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं। कई अध्ययनों में सामने आया है कि आर्टिफिशियल लाइट की वजह से लोगों को सोने में दिक्कत हो सकती है और अनिद्रा (Insomnia) की समस्या आ सकती है।
कुल मिलाकर, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि मलेरिया संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए आर्टिफिशियल लाइट का उपयोग कैसे किया जा सकता है।
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