हाल ही में नई दिल्ली के एक 70 साल के व्यक्ति को ब्रेस्ट कैंसर का मामला सामने आया है। इसने इस मिथ को तोड़ दिया कि यह बीमारी केवल महिलाओं तक ही सीमित है। रिपोर्ट की मानें, तो इस साल सितंबर में 70 वर्षीय मरीज को मॉडिफाइड रेडिकल मास्टेक्टॉमी से गुजरना पड़ा और फिलहाल उसकी कीमोथेरेपी की जा रही है।
डॉ अनिल हारूर, डायरेक्टर एडवांस्ड ओंकोसर्जरी यूनिट (एओयू), फोर्टिस हॉस्पिटल्स, मुंबई ने हेल्थशॉट्स को बताया कि “पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर के 1% मामले होते हैं। लोगों को बीमारी के बारे में अच्छी तरह से पता होना चाहिए। लिंग की परवाह किए बिना, समय पर निदान और निवारक उपचार सुनिश्चित करना जरूरी है।
डॉ. हारूर ने एक चौंकाने वाला फैक्ट शेयर किया। वे बताते हैं, “अध्ययनों से पता चलता है कि जागरुकता की कमी के कारण महिलाओं की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर वाले पुरुषों की मृत्यु दर काफी ज्यादा है।
आइए हम आपको उसके बारे में थोड़ा बताते हैं, जो डॉ हारूर ने हमारे साथ शेयर किया ।
डक्टल कार्सिनोमा (Ductal carcinoma ): यह तब होता है जब मिल्क डक्ट्स में कैंसर शुरू होता है। ज्यादातर पुरुष ब्रेस्ट कैंसर के मामले इस प्रकार के होते हैं।
लोब्युलर कार्सिनोमा ( Lobular carcinoma ) : कैंसर दूध बनाने वाली ग्लैंड्स में शुरू होता है और पुरुषों में बहुत रेयर होता है।
1 दर्द भरी गांठ, ब्रेस्ट के टिश्यू का मोटा होना
2 ब्रेस्ट की स्किन पर लाली, स्केलिंग या पकना
3 निपल्स से डिस्चार्ज होना
4 लाली, निपल्स की स्केलिंग
कई पुरुष इस प्रकार के रोगों की चिकित्सा सहायता लेने में संकोच महसूस करते हैं। डॉ हारूर ऐसे ही एक मरीज की कहानी बताते हैं, एक 45 वर्षीय पुरुष सरकारी कर्मचारी था। जो मुलुंड के फोर्टिस अस्पताल में बढ़े हुए स्तन और दर्द न होने की शिकायत के साथ आया था। वह बड़े हुए स्तनों के कारण शर्मिंदगी और बेचैनी महसूस कर रहा था।
रोगी ने तब तक डॉक्टर से परामर्श करने में देरी की जब तक कि वे बड़े और असहज नहीं हो गए। आखिर में स्थिति बिगड़ चुकी थी। रोगी की जांच के बाद, हमें एक सख्त गांठ का पता चला। यह त्वचा से बाहर निकलने और फटने ही वाला था।
गांठ के आकार को कम करने के लिए उपचार का पहला कोर्स कीमोथेरेपी था। इसके बाद मरीज की सर्जरी हुई। जहां उसके ब्रेस्ट के ऊतक और प्रभावित मांसपेशियों को हटा दिया गया।
पुरुषों के लिए मैमोग्राफी के जरिए जांच करवाना चुनौतीपूर्ण होता है। इसलिए, हमने कैंसर का निदान करते हुए सोनोग्राफी और बायोप्सी की। उचित चिकित्सा उपचार प्राप्त करने में दुर्भाग्यपूर्ण देरी के कारण, उनका कैंसर स्थानीय स्तर पर काफी आगे बढ़ चुका था।
पुरुषों में बहुत कम स्तन ऊतक की उपस्थिति कैंसर के तेजी से प्रसार को बढ़ावा देती है। हालांकि, इस रोगी के लिए, यह केवल उसकी मांसपेशियों को प्रभावित कर रहा था, न कि यकृत, फेफड़े, मस्तिष्क आदि जैसे महत्वपूर्ण अंगों को।
पुरुषों के लिए शर्म के कारण डॉक्टर से बचना बहुत आम बात है। लेकिन अनिवार्य रूप से ऐसा नहीं करना चाहिए, खासकर अगर स्तन बढ़ने लगे हैं। हो सकता है कि यह कैंसर हो। डॉ हारूर आगे कहते हैं, “यदि व्यक्ति का कैंसर का पारिवारिक इतिहास है, तो वे अतिसंवेदनशील होते हैं। इसलिए, किसी भी स्तन गांठ या अन्य लक्षणों के प्रति आंखें न मूंदना और सतर्क रहना ही आप के हित में है।”
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